आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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रविवार, 1 मार्च 2009

शेष ..जडी बूटियाँ का

किंतु सफ़ेद मूसली की एक खास किस्म क्लोरोफाइटम बोरिविलिएनम ही उपर्युक्त गुणों तथा उपर्युक्त लवणों से युक्त है। वैसे तो सफ़ेद मूसली की कई किस्म प्रचलित है और प्रत्येक किस्म के अपने-अपने खास गुन हैं। क्लोरोफाइटम अरुन्दिनेशियम , क्लोरोफाइटम त्युबरोज़म, क्लोरोफाइटम कोमोसम ,अस्पेरेगास सारमेंतोसस ,एस्पेरेगस एडसेंस ,क्लोरोफाइटम अटेनयूएटम ,क्लोरोफाइटम एतेरनिएतम आदि सफ़ेद मूसली की विश्व के अलग-अलग भागों में होने वाली प्रजातियाँ हैं ।
जहाँ एक तरफ सफ़ेद मूसली शारीरिक क्षमता बढ़आने के लिए रामबाण है वहीँ दूसरी तरफ जटामांसी का प्रयोग मानसिक क्षमता बढ़।ने केलिए अति जादुई है। मस्तिष्क को शांत रखने के लिए तथा ध्यान केंद्रित करने के लिए जटामांसी तथा शंखपुष्पी के निश्चित मिश्रण द्वारा निर्मित पथ्य लाभकारी सिद्ध हुआ है। जटामांसी दिमाग की टूट-फ़ुट को दुरुस्त करती है तथा शंखपुष्पी की खासियत सोच क्षमता बढ़ने की है। याददास्त खो चुके मरीज अथवा मंद बुद्धि मरीज इन दवाओं के सेवन से ठीक हो सकते हैं। मानसिक क्षमता वाले खेलों जैसे शतरंज , शूटिंग आदि के खिलाड़ियों को इणकासेवन नियमित करना चाहिए। शारीरिक और मानसिक क्षमता बढ़ .ने वाली यह ओषधियाँ डोप टेस्ट से पूरी तरह मुक्त हैंऔर इनका कोई साईद इफेक्ट भी नहीं होता। आम नागरिक भी चाहें तो इन ओषधियों का सेवन निडर होकर कर सकते हैं,परन्तु निश्चित मात्र में ही और नियत तरीकों से । सफ़ेद मूसली और अश्वगंधा में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़।ने की अभूतपूर्व क्षमता है। अगर किसी मरीज को [चाहे वह किसी बीमारी का हो ]एक निश्चित मात्र में इनका सेवन भी अन्य दवाओं के साथ कराया जाएतो वह अपने रोग से जल्दी मुक्त हो जाएगा। सफ़ेद मूसली में पाया जाने वाला ऍफ़ ऐ तत्व तो सीधे जीन पर असर करता है। अगर उपयुक्त परिक्षण के बाद इसका उपयोग किया जाए तो वंशानुगत बिमारियों को भी काबू में किया जा सकता है। इन ओषधियों को कई रूप में प्रयोग किया जाता है:- ,चटनी ,अर्क ,पाउडर,सत्व ,मिश्रण आदि ।
इस सम्बन्ध में हमने एक जिले के रीजनल स्पोर्ट्स अफसर से वार्ता भी की परन्तु कोई संतोषजनक उत्साह एवं उत्तर नहीं मिला। जबकि विभागीय अधिकारी चाहे तो इन ओषधियों के द्वारा एक से एक नायाब खिलाड़ी पैदा कर सकते हैं,ताकि हमारे जैसे अन्य देशवासी भी पदकों की भीड़ देख कर गर्व का अनुभव कर सकें ।
१ .३. २००९
फाल्गुन शुक्ल पंचमी

4 टिप्‍पणियां:

के सी ने कहा…

बहुत गंभीर जानकारी दी है !

Pradeep Kumar ने कहा…

bahut achchhi jaankaari hai .

meri beti 3 saal maheene ki hai . usko ek samasyaa hai . wo peshaab par niyantran nahi kar paati . isliye aksar raat ko bistar par peshaab kar deti hai. din main bhi wo peshaab ke baare main us waqt bataati hai jab nikal jaataa hai ya nikalne waalaa hota hai .
koi ilaaz ya salaah mile to badi meharbaani hogi .

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत बडिया जानकारी है मैने एक माह लगातार अश्व गन्धा के तीन पत्ते रोज़ खाये हैं और मेरे घुटनो की दर्द ठीक हुई और 2 कि ग भार कम हुया है आयुर्वेद राम वाण है आभार््

रचना गौड़ ’भारती’ ने कहा…

आज़ादी की 62वीं सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं। इस सुअवसर पर मेरे ब्लोग की प्रथम वर्षगांठ है। आप लोगों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मिले सहयोग एवं प्रोत्साहन के लिए मैं आपकी आभारी हूं। प्रथम वर्षगांठ पर मेरे ब्लोग पर पधार मुझे कृतार्थ करें। शुभ कामनाओं के साथ-
रचना गौड़ ‘भारती’