आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

फ़ॉलोअर

शुक्रवार, 20 मार्च 2009

भविष्य औषधीय खेती का

  1. भारतीय परिप्रेक्ष्य में रोजगार सृजन में कृषि क्षेत्र की भूमिका सदैव सर्वोपरि रही है। संभवतया यही कारण है कि हमारे पूर्वजों ने कृषि कार्य को सबसे उत्तम व्यवसाय का दर्जा दिया । वर्तमान में भारत खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर तो हो गया है लेकिन औषधीय एवं हर्बल उत्पादों की स्थिति संतोषजनक नहीं है। इसका मुख्य कारण यह है किदेश में जितने भी जंगल रहे हैं ,जहाँ ऐसी औषधियां प्राकृतिक तरीके से उपलब्ध रहतीं थीं ,जंगलों की कटान के कारण उनकी उपलब्धता समाप्त हो गयी। इस क्षेत्र में काम करने वाले ऐसे लोगों की भी कमी होने लगी ,जिनको जडी - बूटियों एवं औषधीय पौधों की जानकारी तथा पहचान थी। परंपरांगत तरीकों से ऐसी फसलों की खेती कभी की ही नहीं गयी, जबकि इनकी मांग दिन-प्रतिदिन अन्तरराष्ट्रीय बाजारों में बदती ही जा रही है।


    पिछले कई दशकों से हमारे देश के वैज्ञानिकों ने अथक परिश्रम कर व्यावसायिक स्तर पर खेती करने के लिए विभिन्न तकनीकियों एवं प्रजातियों की खोज की है। वैज्ञानिकों द्बारा इन फसलों के बीजों/पौधों की बुवाई ,सिंचाई व निराई -गुडाई ,खाद -उर्वरक , कीटनाशक ,फसलचक्र , भूमि व मृदा की विस्तृत तकनीकी एवं जानकारी उपलब्ध कराने के साथ-साथ भंडारण एवं प्रसंस्करण {आसवन} संयंत्रों की भी पुरी जानकारी उपलब्ध करायी गयी , परन्तु अभी तक जनसाधारण तथा किसानों को ऐसी फसलों की खेती के बारे में नाम मात्र की ही जानकारी है।

    औषधीय एवं सगंध पौध आधारित खेती ,स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के अतिरिक्त ग्रामीण उद्योग के अंतर्गत रोजगार सृजन हेतु बहुत ही महत्वपूर्ण एवं उपयोगी है। इनकी खेती के नए आयामों से रोज़गार, आय तथा जीवन स्तर को उठाना सम्भव हो रहा है। इसके अंतर्गत जहाँ एक ओर प्रति माह लाभार्थियों को आय प्राप्त होगी, वहीं दूसरी ओर निरंतर आमदनी के स्रोत प्राप्त होते रहेंगे और प्रतिवर्ष आमदनी में भी बढोत्तरी होती जायेगी। इसका मूल कारण यह है कि वर्तमान में इस क्षेत्र में आपूर्ति की तुलना में मांग अधिक हो रही है, फलस्वरूप मार्केटिंग की उपयुक्त व्यवस्था उपलब्ध है। औषधीय तथा सगंध कृषि की कुछ विशेषताएं निम्न हैं :---
    १-पारम्परिक कृषि फसलों की अपेक्षा औषधीय एवं सुगन्धित फसलों की खेती करने पर २--३ गुना आमदनी होगी एवं २ गुना रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे ।2
    2-साल भर लगातार रोजगार के अवसर , क्योकि विभिन्न फसलों की नर्सरी , रोपाई , सिंचाई व निराई-गुडाई , कटाई , फूलों एवं पत्तियों का तोड़ना व सुखाना एवं प्रसंस्करण पूरे वर्ष चलता रहता है। ग्रामीण अंचल में सभी वर्ग की महिलाओं, बच्चों व पूरे परिवार के लोगों के साथ-साथ अन्य जरुरतमंदों को भी रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर हैं। यह कार्य आसान भी है।
    ३-योजना बनाते वक्त ऐसी औषधीय एवं सुगंधीय फसलों का चयन किया गया है जिनकी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्टार पर गुणात्मक मांग है।
    ४-वर्तमान में एलोपैथिक दवाओं के स्थान पर आयुर्वेदिक व हर्बल दवाओं पर विशेष बल दिया जा रहा है । रसायन आधारित साबुन, क्रीम, टूथपेस्ट ,पावडर, तेल, हेयरडाई ,वाशिंग पावडर , शैम्पू ,परफ्यूम आदि भी अब आयुर्वेदिक और हर्बल आधारित उत्पादों से बनाए जा रहे हैं।
  2. ज्यादा जानकारी के लिए फोन करें --०९८८९४७८०८४ ,09795582083


3 टिप्‍पणियां:

उम्मीद ने कहा…

अल्का जी तिप्पदि के लिये धन्यबद ।
कोई भी माता के गर्भ से सीख कर नही आता है
बस मेरे मन में एक छोटा सा प्रशन उठा तो मैने पूँछ लिया ।
इसका ये मतलब कदापि नही था की मैं किसी की रचना की भर्त्सना कर रही हुँ। मैं तो बस वही लिखती हू जो मेरे मन मैं आता है । कई बार तो उस में तुक बंदी भी नही होती ।
परन्तु ये जान कर बहुत दुख के अनुभब हुआ कि आप तो शस्त्रा ज्ञाता है फिर भी आप में इतना अभिमान क्यों है ।।
मैं नही कहती की मैं बहुत अच्छा लिखती हूँ परन्तु यदि हम किसी की रचना के मूल अर्थ समझ न आये और यदि हम उस के अर्थपूँछ लै तो इसमे गलत क्या है ।

यदि आप को लगता है कि मुझे ऐसा नही करने चाहिए था तो आप मुझे उस रचना के अर्थ बता दो मेरी जिज्ञासा शांत हो जायगी।
मैं तो कुछ भी लिखती हूँ। में अपने विचारो को स्वच्छंद रूप में लिखती हुँमैं उन्हे किसी विधा मैं नही बाँधती । मैं नही जानती की वो शस्त्रा का कौनसी विधा है
बस में तो अपने विचारो का अभिव्यक्ति करती हूँ यदि वो आप को तुक बंदी लगी तो इस सरहना के लिये आप का धन्यबद।
पर मैं आप से यही कहना चाहूँगी का लेखक और कवि को कभी अभिमानी नही होना चाहिए इस से उसकी रचना के रस जाता रहता है

गार्गी

अभिषेक मिश्र ने कहा…

वाकई औषधीय कृषि आज की आवश्यकता है.

Asha Joglekar ने कहा…

अलका जी मेरे ब्लॉग पर आकर टिप्पणी करने का अनेक धन्यवाद . आपका यह ब्लॉग भी बहुत रोचक है ये हर्बल उत्पाद कहाँ मिलते हैं इसकी जानकारी कहाँ मिलेगी । क्या इन फोन नं.पर ।