आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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रविवार, 12 जुलाई 2009

'' स्वस्थ जीवन ''


"आयुर्वेद का अर्थ औषधि -विज्ञानं नहीं वरन आयु अर्थात जीवन-ज्ञान है "


अथर्व वेद के तीसरे अध्याय का श्लोक है ----
" शतहस्त समाहर सहस्रहस्त सं किर "
'' कृतस्य
कार्यस्य चेह स्फातीं समावह ''

इसका अर्थ है --------

सौ हाथों से संग्रह करो ,हजार हाथों से दान करो .अपने कार्यक्षेत्र तथा कर्तव्य क्षेत्र की अभिवृद्धि करो ।


3 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

कर्ण ,हरिश्चन्द्र ,शिवी ,दानव राज बली इनमें सभी दानी ,दानवीर ,महादानी आदि कहे जा सकते हैं :-----

कर्ण के दान में अहंकार था , कोई याचक लौटना नही चाहिए ,याचक की पात्रता का विचार दान का औचित्य उसमें नहीं था इसी का लाभ इन्द्र ने उठाया ,कवच -कुंडल दान में लेलिये आय स्पष्ट कहें तो ठग लिए |

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत सुन्दर सन्देश है आभार्

इष्ट देव सांकृत्यायन ने कहा…

सही है. पर हमारी क्लर्किया पीढ़ी इसे समझे तब न!