आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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गुरुवार, 13 मई 2010

apne dil ke liye


आजकल मनुष्य में संवेदनशीलता बढ़ती जा रही है .वह हर बात दिल पे लेने लगा है .मम्मी ने डांट दिया तो चले जनाब सुसाइड करने ,प्रेमिका ने किसी दूसरे लड़के से हंस के बोल दिया तो डिप्रेशन में आ गये,नंबर कम आये तो फांसी लगा ली ,पति से झगडा हो गया तो बच्चों समेत देवी जी रेल की पटरी पे जा लेटी, आदि इत्यादि.............


चलिए संवेदनशील होना अच्छी बात है लेकिन एक बात मेरी भी मान लीजिये -----


जब भी भोजन करना हो उसके दस मिनट पहले अदरक के छोटे से टुकडे को सेंधा नमक में डूबा कर [थोड़ा ज्यादा मात्रा में ] अच्छी तरह से चबा लीजिये .दिन में कम से कम दो बार
इसे अपने भोजन का आवश्यक अंग बना लीजिये ,आपका ह्रदय मजबूत और स्वस्थ बना रहेगा ,दिल से सम्बंधित कोई बीमारी नहीं होगी और डिप्रेशन और दिल टूटने ,दिल दुखने से भी मुक्ति मिल जायेगी


किसी भी बीमारी के बारे में जानकारी के लिए आप बात भी कर सकते हैं
9889478084





11 टिप्‍पणियां:

Vinashaay sharma ने कहा…

बहुत अच्छा और छोटा सा इलाज दिल की बिमारीयों को दूर वाला बताया है। आभार अलका जी ।

बेनामी ने कहा…

धन्यवाद्

राज भाटिय़ा ने कहा…

अब यह सेंधा नमक कहां से लाये जी, हम चले रेल की पटरी ऊखाडने, ना रहेगा बांस ना बीबी वहां जा कर लेटेगी

ओम पुरोहित'कागद' ने कहा…

दिल की बीमारी की दवा आप ने बताई। धन्यवाद!
मुझे याद है आप मुझे उच्च रक्तचाप से मुक्ति के लिए दवा भेज रही थीँ।मैँ इंतजार मेँ हूं और आप शायद भूल गईँ।

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

वाह यह तरीका अच्‍छा है

मीठे के साथ दवाई ?

kshama ने कहा…

Aajse hi shuru..depression ke liye khaas kar!

अजय कुमार ने कहा…

अरे वाह ,दिल की दवा मिल गई । अच्छी जानकारी ।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

ये तो बहुत ही काम की बात बताई आपने ... इतना सरल इलाज़ ...

nilesh mathur ने कहा…

आप जिस निस्वार्थ भाव से लोगो की सेवा कर रही हैं वो काबिले तारीफ़ है!

hempandey ने कहा…

युक्ति तो अच्छी बताई, किन्तु इसे उच्च रक्तचाप वाले प्रयोग में लायें या नहीं ?क्योंकि आप अधिक सेंधा नमक लेने की सलाह दे रही हैं.साधारण नमक की तरह सेंधा नमक उच्च रक्त चाप में निषेधित है या नहीं ?

nilesh mathur ने कहा…

अलका जी,
धन्यवाद मेरे ब्लॉग पर आने की लिए, मैं आप से इसी लिए प्रभावित हुआ हूँ की आप लिखती कम है और करती ज्यादा हैं, जबकि मैं लिखता ज्यादा हूँ और करता कम हूँ, इसमें छुपाने जैसी कोई बात नहीं है, मैं जैसा हूँ वही लिख रहा हूँ, मैं तो आप जैसे लोगों से कुछ प्रेरणा लेकर खुद को बदलने की कोशिश कर रहा हूँ! जो मैंने लिखा था वो मेरी कुछ ना कर पाने की पीड़ा ही है, जिसे मैंने शब्दों का जामा पहना दिया!