आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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गुरुवार, 21 अक्तूबर 2010

ये बुखार ,प्लेटलेट्स और हीमोग्लोबिन

सभी बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में बुखार का प्रकोप है बल्कि यूं कहिये कि जहां बुखार नहीं वहाँ पेट दर्द, उल्टी, चक्कर वगैरा वगैरा ...
 रोज मेरे पास देश के विभिन्न भागों से प्लेटलेट्स बढ़ाने और हीमोग्लोबिन   बढाने के लिए जड़ी-बूटियाँ पूछी जा रही हैं. आप सभी की समस्यायों को देखते हुए मैंने आज ये ही चीजें आपको बताने का निर्णय लिया है ----
अगर हल्का सा भी बुखार महसूस हो तो सबसे पहले एक बड़ा चम्मच अजवाईन आप पानी से निगल लीजिये और अश्वगंधा का  चूर्ण भी एक बड़ा चम्मच पानी से निगल लीजिये ,दोनों के बीच में आधे घंटे का गैप रख सकते हैं. इससे या तो बुखार चढने नहीं पायेगा या चढ़ गया तो तकलीफदेह नहीं होगा न ही ज्यादा नुक्सान पहुंचाएगा. दूसरा काम तुरंत दूध का प्रयोग बंद कीजिए , काली चाय पीकर काम चलाइये . अजवाईन और अश्वगंध लगातार ५ दिन खाते रहिये, बुखार हो गया हो तो भी और न हुआ हो (रुक गया हो) तो भी. 
जो लोग बुखार और अस्पताल की प्रक्रिया से वापस आ चुके हैं वे शरीर को हुई क्षतिपूर्ति के लिए अजवाईन ,अश्वगंधा ,गिलोय और हरीमिर्च का सहारा लें . इनसे ताकत , खून की कमी, प्लेटलेट्स सभी सामान्य दशा में लौटेगी . प्रतिदिन ६ ग्राम अश्वगंधा का पावडर  सुबह सवेरे पानी से निगलें, फिर नाश्ता फिर अजवाईन ५ ग्राम पानी से निगलें. दोपहर में गिलोय का पावडर केवल ४ ग्राम खाएं पानी से ही निगलना होगा फिर लंच .साथ ही दिन भर में आपको ६-७ हरी मिर्च कच्ची ही खानी होगी नाश्ते,लंच और डिनर में. ये बहुत जरूरी है .
चाय में दालचीनी पकाकर पियें , चेहरे की चमक भी लौट आयेगी 
अंग्रेजी दवाओं के साइड इफेक्ट भी ख़त्म होंगे 
इन दवाओं से ज्यादा सुरक्षित और सस्ता तरीका और कोई नहीं है 
सिर्फ ७ दिन के प्रयोग में ही आपको  जादू जैसा असर दिखाई देगा .
ईश्वर सभी को स्वस्थ रखें    




इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा

21 टिप्‍पणियां:

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत बहुत बढ़िया जानकारी दी है आपने इसकी आज कल बहुत अधिक जरुरत है शुक्रिया

इस्मत ज़ैदी ने कहा…

धन्यवाद अलका जी ,
सच में बहुमूल्य जानकारी है क्योंकि इस संबंध में मैं तो कुछ भी नहीं जानती लेकिन चाहती हों कि घरेलू इलाज हो जाए तो अच्छा है

kshama ने कहा…

Alkaji, behad achhee jaankaaree! Mai note kar le rahee hun!
Hari mirch ka ye fayda pata nahee tha! Faydemand hai,bas itna pata tha!

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

धन्यवाद

कुमार राधारमण ने कहा…

चाय में दालचीनी आज से ही शुरू करता हूं।

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ये बुखार महामारी का रूप ले रहा है...
तमाम अस्पताल मरीज़ों से भरे हैं...जहां महंगा इलाज करा पाना हर किसी के लिए मुमकिन भी नहीं है...
बहुत काम की जानकारी दी है आपने...शुक्रिया.

शिक्षामित्र ने कहा…

अहा! आज जाना आपके चेहरे की चमक का राज!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहुत उपयोगी जानकारी।

अजय कुमार ने कहा…

अच्छी जानकारी ,आभार ।

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

अगर हल्का सा भी बुखार महसूस हो तो सबसे पहले एक बड़ा चम्मच अजवाईन आप पानी से निगल लीजिये और अश्वगंधा का चूर्ण भी एक बड़ा चम्मच पानी से निगल लीजिये ,दोनों के बीच में आधे घंटे का गैप रख सकते हैं. इससे या तो बुखार चढने नहीं पायेगा या चढ़ गया तो तकलीफदेह नहीं होगा..

अलका जी यहाँ आपने ये नहीं बताया की इस स्थिति में अजवायन और अश्वगंधा दिन में कितनी बार लेना है.

शुक्रिया इस मूल्यवान जानकारी के लिए.

राजभाषा हिंदी ने कहा…

उपयोगी पोस्ट। भारतीय एकता के लक्ष्य का साधन हिंदी भाषा का प्रचार है!
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alka mishra ने कहा…

@अनामिका की सदायें आपने बहुत अच्छा सवाल किया है ,किन्तु मैं इस बात को पहले भी कई बार लिख चुकी हूँ और पुनः बता रही हूँ कि कोई भी आयुर्वेदिक दवा दिन में बस एक बार और सुबह सवेरे खाली पेट ही ली जाती है और दवा अगर ज्यादा हो जाए तो भी कोई नुकसान नहीं पहुंचाती बल्कि पसीने/मूत्र/मल के रास्ते बाहर हो जाती है ,एक ख़ास बात और कि कोई भी आयुर्वेदिक दवा लीजिये तो ध्यान रखिये कि दिन भर में हर आधे या एक घंटे पर पानी जरूर पीना होगा क्योंकि इन्हें शरीर में पूरी तरह एब्जार्ब होने के लिए पानी चाहिए होता है .अगर आप पानी कम पियेंगे तो गले में जलन या शरीर में गरमी महसूस करेंगे .
हाँ अगर आपको बहुत ज्यादा तकलीफ महसूस हो रही है तो ये दवाए ६ घंटे के अंतर पर दुबारा भी ले सकते हैं . सामान्य हालत में एक ही बार काफी है .
ये सावधानियां ९९% आयुर्वेदिक दवा पर लागू होती हैं .
वैसे अगर चाय में अश्वगंधा या दालचीनी उबाल कर पी रहे हैं तो जितनी बार चाय पियें उतनी बार डाल सकते हैं.
आप सभी का आभार .
ये जानकारियाँ फैलाने में मेरी मदद कीजिये

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

बहुत ही उपयोगी जानकारी है, आभार।
..............
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VIJAY KUMAR VERMA ने कहा…

bahut hee upyogee jankaree mili...bukhar se presan sabhee logo ko isase nischay hee labh miliga..

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत काम की जानकारी मिल जाती है आपके ब्लॉग पर ... शुक्रिया ...

मंजुला ने कहा…

मैंने भी आपको फ़ोन किया था और जानकारी मांगी थी ....वो बच्चा अब काफी ठीक है ...आपको बहुत बहुत धन्यवाद ...उसे अब खांसी बहुत जादा हो रही है कृपया इस बारे माय भी कुछ बताये ...

मंजुला ने कहा…

आपका बहुत धन्यवाद्...

Girish Kumar Billore ने कहा…

यह तो सबसे ज़रूरी पोस्ट थी
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दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

सुंदर सलाह!
उपयोग कर देखते हैं।

Vinashaay sharma ने कहा…

सदा की भान्ति उपयोगी जानकारी ।

डॉ० डंडा लखनवी ने कहा…

आम आदमी के हित में मह्त्वपूर्ण योगदान।
सराहनीय लेखन....हेतु बधाइयाँ...ऽ. ऽ. ऽ
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी