आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

फ़ॉलोअर

रविवार, 12 दिसंबर 2010

ल्यूकोरिया का सरल इलाज


ल्यूकोरिया 

महिलायें अक्सर इस बीमारी से पीड़ित पाई जाती हैं. मेरे पास आने वाले महिलाओं के कुल फ़ोन में से ९०% इसी बीमारी के विषय में होते हैं. ये बीमारी महिलाओं के शरीर को बेहद कमजोर कर देती है और बोनस के रूप में कुछ और भी बीमारियों को पैदा कर देती है . जैसे त्वचा में रूखापन, गालों में गड्ढे, कमर दर्द, सेक्स में अरुचि, घुटनों में दर्द, पाचन में गड़बड़ी, चिडचिडापन  आदि इत्यादि. इसका एक बेहद सरल इलाज है- कौंच के बीज 
कौंच को कपिकच्छु भी कहते हैं. इसमें कैल्शियम, फास्फोरस, लौह तत्व, प्रोटीन, गंधक और गेलिक एसिड पाया जाता है. 

आप कौंच के बीज लीजिये. उनका पावडर बना लीजिये .बस इसी पावडर को सुबह शाम पानी से निगल लीजिये .मात्रा होगी २-२ ग्राम.

देखिये फिर जल्दी ही आपको इस नामुराद बीमारी से कैसे छुटकारा मिलता है.
२१ दिन में ही.

अगर इस बीमारी से छुटकारा पाने के बाद आपने रोज अश्वगंधा का ६ ग्राम पावडर पानी से निगल लिया तो शरीर की सारी खोई हुई ताकत वापस आ जायेगी ( ३ महीने तक लीजियेगा).

सभी आयुर्वेदिक दवाएं सुबह खाली पेट ही लेनी चाहिए .

सबसे ऊपर कौंच के फल की फोटो है और नीचे उसके बीज की 
चित्र गूगल से साभार  



इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा

20 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

bahut hi upyogi jankaari .

राज भाटिय़ा ने कहा…

आप के ब्लांग पर हमेशा उपयोगी जानकारी मिलती हे, बहुत लोगो के काम आयेगी, धन्यवाद

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

उपयोगी जानकारी।

Vinashaay sharma ने कहा…

सदा की भान्ति उपयोगी जानकारी ।

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

शुक्रिया इस जानकारी के लिए.

मुझे लेकिन फोटो से भी समझ नहीं आ रहा ये फल. किसी और नाम से पुकारा जाता हो तो बताइयेगा.

kshama ने कहा…

Behad achhee jaankaaree....!

Sushil Bakliwal ने कहा…

सदा के समान इपयोगी जानकारी. मैं सदैव आपके ब्लाग पर नई जानकारियों की प्रतिक्षा करता हूँ. धन्यवाद...
कृपया मेरे ब्लाग जिन्दगी के रंग पर विजिट करें-
http://jindagikerang.blogspot.com/

अर्चना तिवारी ने कहा…

पते की बात बताई आपने...ये बीज कहाँ मिलता है?

vijay jha ने कहा…

ये कबछुआ तो नहीं है , जिसका रोयाँ ( बाल) यदि हाथ या कहीं पर भी लग जाये तो खुजलाते -खुजलाते बुरा हाल हो जाता है ?

Kunwar Kusumesh ने कहा…

बड़े काम का ब्लॉग है भाई, स्वस्थ सम्बन्धी अच्छी जानकारी मिली

ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने कहा…

बहुत ही उपयोगी जानकारी !
सार्थक पोस्ट !
आभार !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ

babanpandey ने कहा…

bahut sunder//
aayurved to khajaana hai //

मंजुला ने कहा…

bahut kathin bimari ka saral ilaaz batne ke liye bahut dhanyawaad

दिगम्बर नासवा ने कहा…

उपयोगी जानकारी ...

सहज समाधि आश्रम ने कहा…

एंकीलोसिंग स्पोंडीलाइटिस के बारे में कृपया जानकारी दें ।
ऐलोपेथिक में ये लाइलाज है । केवल रोकथाम ही हो सकती
है । आयुर्वेद में फ़िक्स हो चुके ज्वाइंट को फ़िर से खोलने का
इलाज किसी संहिता में आया है क्या ? नागौरी अश्वगंधा और
सादा अश्वगंधा में कितना फ़र्क है ? अश्वगंधा प्लस खांड के सेवन
का फ़ार्मूला गाउट में आपके परीक्षण या अनुभव में कभी आया है
क्या ?

P.N. Subramanian ने कहा…

अत्यधिक उपयोगी जानकारी. आभार.

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

उपयोगी जानकारी, आभार।

---------
अंधविश्‍वासी तथा मूर्ख में फर्क।
मासिक धर्म : एक कुदरती प्रक्रिया।

pusey doctor ने कहा…

achee jankari apka abhar ha hum par

Unknown ने कहा…

हा जी ये वही है

Unknown ने कहा…

हा जी ये वही है