आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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बुधवार, 16 मार्च 2011

काला तिल

ये लेख कादम्बिनी के जनवरी २०११ के अंक में प्रकाशित है.

प्रकृति ने हमें मौसम के अनुकूल तमाम चीजें प्रदान की हैं,जिसमें एक सबसे महत्वपूर्ण और जानी पहचानी चीज है तिल ,जो इसी मौसम में पैदा होती है. तिल कई प्रकार के होते हैं किन्तु हमारी पहचान सफ़ेद तिल और काले तिल से है . मकर संक्रांति के पुण्य अवसर पर उड़द की खिचडी और तिल के लड्डू खाने का चलन हिन्दुस्तान में सदियों- सदियों से चला आ रहा है. तिल के लड्डू के अतिरिक्त तिल के तेल का चलन भी है जो हम सिर में लगाते हैं जो विद्यार्थियों के लिए अति उत्तम माना गया है . बस तिल का तीसरा कोई प्रयोग चलन में नहीं है . आइये आज अपने ज्ञान में हम वृद्धि करें .विश्वास कीजिए जब आप तिल के गुणों के बारे में जान लेंगे तो फिर सिर्फ मकर संक्रांति में ही नहीं पूरे वर्ष तिल के गुण गायेंगे और लड्डू खायेंगे.
तिल विशेषतः काले तिल में कार्बोहाईड्रेट ,प्रोटीन और कैल्शियम की प्रचुर मात्रा होती है .इसीलिए  ये शरीर के लिए अमृत है.
दाँत- काले तिल को अगर आप २५ से ३० ग्राम रोज चबाकर खायेंगे तो दाँत आपके बेहद मजबूत हो जायेंगे. अगर दाँत में कीड़े लग रहे हों तो तिल को पानी में ४ घंटे भिगा दीजिये फिर छान  कर उसी पानी से मुंह को भरिये और १० मिनट रुके रहिये .फिर पानी उगल दीजिये, चार पांच बार इसी तरह कुल्ला कीजिये, घाव, पायरिया सभी परेशानिया ख़त्म. 
मोटापा- अगर पेट निकल रहा हो तो सुबह शाम एक चम्मच भर के तिल का तेल पी जाएं .
महिलाओं के लिए- लड़कियों और महिलाओं को तो प्रतिदिन कम से कम १० ग्राम तिल चबा चबा कर खाना चाहिए ,इससे उन्हें मासिक चक्र के समय होने वाले दुःख दर्द और अनियमितता से तो मुक्ति मिलेगी ही उनका गर्भाशय भी मजबूत और बीमारी रहित हो जाएगा .वे स्वस्थ और सुन्दर बच्चे पैदा करने में सक्षम होंगी.
बालों के लिए - तिल का तेल प्रतिदिन सिर में लगाने से मेधा शक्ति बढ़ती है और बाल भी सुन्दर बने रहते हैं. अपने इसी गुण के कारण तिल का तेल विद्यार्थियों के लिए अति पौष्टिक और उत्तम माना गया है. 
ल्यूकोरिया- अक्सर महिलायें इस बीमारी से त्रस्त रहती हैं और किसी को बताती भी नहीं , उनका स्वास्थ्य भी इसकी वजह से गिरता चला जाता है.उन्हें रुई को तिल के तेल में भिगा कर अपने जननांगो में रखना चाहिए ताकि वे इस बीमारी से मुक्त हो जाएं.
बवासीर-  तिल के लड्डू सुबह ,दोपहर ,शाम को खाइए . इस मुसीबत से पीछा छुडाइये. या तिल को पीस कर चटनी बनाएं और मक्खन मिला कर खा जाएं .
खांसी- तिल का काढा बनाइये, शक्कर मिला कर पीजिये. सारा कफ ख़त्म हो जाएगा.कम से कम ४ 
बार.
मोच में - तिल और महुए को एक साथ पीसिये और जहां मोच आई हो वहाँ बाँध दीजिये . फिर देखिये जादुई असर. 
एक ख़ास बात बताऊँ   - अगर आप बूढ़े नहीं होना (दिखना) चाहते तो प्रतिदिन शरीर में तिल के तेल की मालिश कीजिए ,न स्किन सिकुड़ेगी न झुर्रियां पड़ेंगी. 
गर्भाशय - अगर किसी वजह से या ठंड से गर्भाशय में पीड़ा हो रही है तो तिल को पीस कर उसमें  थोड़ा तिल का तेल मिलाइए और गर्म कीजिए फिर नाभि के नीचे लेप कर दीजिये. जो दर्द तमाम पेनकिलर  से नहीं गया वह चुटकी बजाते ही गायब हो जाएगा. अगर बच्चेदानी में खून जम गया हो तो आधा आधा चम्मच तिल का पावडर दिन में चार बार खिलाएं . गर्भ और गर्भिणी दोनों को आराम महसूस होगा और खून बिखर जाएगा.
देखा आपने तिल का कमाल .  
   




इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा

12 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

तिल इतना प्रभावी होता है, ज्ञात नहीं था।

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

til bahut prabhavi hota hai.........:)

chahe wo til jo aapne bataya.........

ya wo dil jo chehre pe kisi kisi ke hota hai.........:D:P

Sushil Bakliwal ने कहा…

अत्यन्त उपयोगी और ज्ञानवर्द्धक जानकारी तिल विशेषतः काले तिलों के सन्दर्भ में । आभार...

टिप्पणीपुराण और विवाह व्यवहार में- भाव, अभाव व प्रभाव की समानता.

pratibha mishra 8574825702 ने कहा…

aasanee se sulabh hone valee cheejen bhee itnee faydemand ho saktee hain...bahut achchha laga.

prem sain ने कहा…

बहुत उपयोगी जानकारी है कभी "आंवला" के बारे में भी बताइए

Vinashaay sharma ने कहा…

सचमुच यह छोटा सा तिल बहुत कमाल का है ।

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

bahut bahut shukriya is jankari ke liye. lekin aapne jo likha ki daanton ke liye roz 25-30 gm til chaba kar khayen to kya is se shareer me garmi nahi ho jayegi. kyuki til to garmi karte hain.

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुन्दर जानकारी !!

G.N.SHAW ने कहा…

अलका जी अब तो तील खाने की आदत डालनी पड़ेगी ..बहुत ही सुन्दर जानकारी .!

prem sain ने कहा…

apne ye to bataya hi nahi ki garmiyo me bhi til khaa sakte hai ki nahi iska koi nuksaan to nahi hai

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक ने कहा…

दोस्तों! अच्छा मत मानो कल होली है.आप सभी पाठकों/ब्लागरों को रंगों की फुहार, रंगों का त्यौहार ! भाईचारे का प्रतीक होली की शकुन्तला प्रेस ऑफ़ इंडिया प्रकाशन परिवार की ओर से हार्दिक शुभमानाओं के साथ ही बहुत-बहुत बधाई!



आप सभी पाठकों और दोस्तों से हमारी विनम्र अनुरोध के साथ ही इच्छा हैं कि-अगर आपको समय मिले तो कृपया करके मेरे (http://sirfiraa.blogspot.com , http://rksirfiraa.blogspot.com , http://shakuntalapress.blogspot.com , http://mubarakbad.blogspot.com , http://aapkomubarakho.blogspot.com , http://aap-ki-shayari.blogspot.com , http://sachchadost.blogspot.com, http://sach-ka-saamana.blogspot.com , http://corruption-fighters.blogspot.com ) ब्लोगों का भी अवलोकन करें और अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. आप हमारी या हमारे ब्लोगों की आलोचनात्मक टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे.हम आपकी आलोचनात्मक टिप्पणी का दिल की गहराईयों से स्वागत करने के साथ ही प्रकाशित करने का आपसे वादा करते हैं

Amit Sharma ने कहा…

आप को होली की हार्दिक शुभकामनाएं । ठाकुरजी श्रीराधामुकुंदबिहारी आप के जीवन में अपनी कृपा का रंग हमेशा बरसाते रहें।