वन अंगारा हुआ खिले हैं जब से फूल पलाश के ।
यह गीत तो आप सभी ने पढ़ा ही होगा ,लेकिन जब पलाश के गुणों के बारे में जान जायेंगे तो सच में आपका मन अंगारा हो जाएगा .
इसका अंग्रेजी में नाम है- Flame of the forest. और वैज्ञानिक नाम है- Butea monosperma
यह 15 मीटर ऊंचा 3 पत्तो वाला पेड़ होता है .
इसे हिन्दी में ढाक ,टेसू ,केसू ,खाकरा ; संस्कृत में- पलाश,किंशुक, सुपर्णी, ब्रह्मवृक्ष, उर्दू में- पलास पापड़ा ; तेलगू में- मोदूगा पलाश, मातुका टट्टू , तेल मोदुग; बंगाली में- पलाश गाछ ; गुजराती में-खाकरा; तमिल में- पुगु, कतुमुसक, किन्जुल आदि नामों से पुकारते है।
आइये ज़रा इसके औषधीय गुण देख लें----
नारी को गर्भ धारण करते ही अगर गाय के दूध में पलाश के कोमल पत्ते पीस कर पिलाते रहिये तो शक्तिशाली और पहलवान बालक पैदा होगा।यही नहीं इसी पलाश के बीजों को मात्र लेप करने से नारियां अनचाहे गर्भ से बच सकती हैं।
बवासीर के मरीजों को पलाश के पत्तों का साग ताजे दही के साथ खाना चाहिए लेकिन साग में घी ज्यादा चाहिए।
फील्पाँव या हाथीपाँव में पलाश की जड़ के रस में सरसों का तेल मिला कर रख लीजिये बराबर मात्रा में।फिर सुबह शाम 2-2 चम्मच पीजिये।
नेत्रों की ज्योति बढानी है तो पलाश के फूलों का रस निकाल कर उसमें शहद मिला लीजिये और आँखों में काजल की तरह लगाकर सोया कीजिए। अगर रात में दिखाई न देता हो तो पलाश की जड़ का अर्क आँखों में लगाइए।
जो घाव भर ही न रहा हो उस पर पलाश की गोंद का बारीक चूर्ण छिड़क लीजिये फिर देखिये।
बुखार में शरीर बहुत तेज दाहक रहा हो तो पलाश के पत्तों का रस लगा लीजिये शरीर पर 15 मिनट में सारी जलन ख़त्म .
पेशाब में जलन हो रही हो या पेशाब रुक रुक कर हो रहा हो तो पलाश के फूलों का एक चम्मच रस निचोड़ कर दिन में 3 बार पी लीजिये .
अंडकोष बढ़ गया हो तो पलाश की छाल का 6 ग्राम चूर्ण पानी के साथ निगल लीजिये।
शरीर में अन्दर कहीं गांठ उभर आयी हो तो इसके पत्तों को गर्म करके बांधिए या उनकी चटनी पीस कर गरम करके उस स्थान पर लेप कीजिए।
इसी पलाश से एक ऐसा रसायन भी बनाया जाता है जिसके अगर खाया जाए तो बुढापा और रोग आस-पास नहीं आ सकते।
नपुंसकता की चिकित्सा के लिए भी इसके बीज काम आते हैं। इसके बीजों को नीबू के रस में पीस कर लगाने से दाद खाज खुजली में आराम मिलता है।
पलाश में- मिरस्तीक, पामिटिक, स्तीयरिक, एवं एरेकिदिक एसिड, तेल, प्रोटीन, राल, ब्यूटीन, ग्लूकोसाइड, ब्यूटेन, सल्फ्यूरीन, पालास्ट्रीन, आइसो, मोनो स्पर्मोसाइड , कारियोप्सीन , थायमीन, रिबोफ्लेवीन, सेल्यूलोज आदि रासायनिक तत्व पाए जाते हैं।
इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा
यह गीत तो आप सभी ने पढ़ा ही होगा ,लेकिन जब पलाश के गुणों के बारे में जान जायेंगे तो सच में आपका मन अंगारा हो जाएगा .
इसका अंग्रेजी में नाम है- Flame of the forest. और वैज्ञानिक नाम है- Butea monosperma
यह 15 मीटर ऊंचा 3 पत्तो वाला पेड़ होता है .
इसे हिन्दी में ढाक ,टेसू ,केसू ,खाकरा ; संस्कृत में- पलाश,किंशुक, सुपर्णी, ब्रह्मवृक्ष, उर्दू में- पलास पापड़ा ; तेलगू में- मोदूगा पलाश, मातुका टट्टू , तेल मोदुग; बंगाली में- पलाश गाछ ; गुजराती में-खाकरा; तमिल में- पुगु, कतुमुसक, किन्जुल आदि नामों से पुकारते है।
आइये ज़रा इसके औषधीय गुण देख लें----
नारी को गर्भ धारण करते ही अगर गाय के दूध में पलाश के कोमल पत्ते पीस कर पिलाते रहिये तो शक्तिशाली और पहलवान बालक पैदा होगा।यही नहीं इसी पलाश के बीजों को मात्र लेप करने से नारियां अनचाहे गर्भ से बच सकती हैं।
बवासीर के मरीजों को पलाश के पत्तों का साग ताजे दही के साथ खाना चाहिए लेकिन साग में घी ज्यादा चाहिए।
फील्पाँव या हाथीपाँव में पलाश की जड़ के रस में सरसों का तेल मिला कर रख लीजिये बराबर मात्रा में।फिर सुबह शाम 2-2 चम्मच पीजिये।
नेत्रों की ज्योति बढानी है तो पलाश के फूलों का रस निकाल कर उसमें शहद मिला लीजिये और आँखों में काजल की तरह लगाकर सोया कीजिए। अगर रात में दिखाई न देता हो तो पलाश की जड़ का अर्क आँखों में लगाइए।
जो घाव भर ही न रहा हो उस पर पलाश की गोंद का बारीक चूर्ण छिड़क लीजिये फिर देखिये।
बुखार में शरीर बहुत तेज दाहक रहा हो तो पलाश के पत्तों का रस लगा लीजिये शरीर पर 15 मिनट में सारी जलन ख़त्म .
पेशाब में जलन हो रही हो या पेशाब रुक रुक कर हो रहा हो तो पलाश के फूलों का एक चम्मच रस निचोड़ कर दिन में 3 बार पी लीजिये .
अंडकोष बढ़ गया हो तो पलाश की छाल का 6 ग्राम चूर्ण पानी के साथ निगल लीजिये।
शरीर में अन्दर कहीं गांठ उभर आयी हो तो इसके पत्तों को गर्म करके बांधिए या उनकी चटनी पीस कर गरम करके उस स्थान पर लेप कीजिए।
इसी पलाश से एक ऐसा रसायन भी बनाया जाता है जिसके अगर खाया जाए तो बुढापा और रोग आस-पास नहीं आ सकते।
नपुंसकता की चिकित्सा के लिए भी इसके बीज काम आते हैं। इसके बीजों को नीबू के रस में पीस कर लगाने से दाद खाज खुजली में आराम मिलता है।
पलाश में- मिरस्तीक, पामिटिक, स्तीयरिक, एवं एरेकिदिक एसिड, तेल, प्रोटीन, राल, ब्यूटीन, ग्लूकोसाइड, ब्यूटेन, सल्फ्यूरीन, पालास्ट्रीन, आइसो, मोनो स्पर्मोसाइड , कारियोप्सीन , थायमीन, रिबोफ्लेवीन, सेल्यूलोज आदि रासायनिक तत्व पाए जाते हैं।
इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा
8 टिप्पणियां:
bahut achhi jankari mili palash ke baare me
पलाश के गुणों के बारे में पहली बार पता चला।
NICE POST .AABHAR
WORLD WOMAN BLOGGERS ASSOCIATION
ये पेड़े पौधे हमे इतना देते हैं कि हम ता उम्र नहीं जान पाते कि वास्तव में ये हमे कितना देते हैं!
उपयोगी जानकारी के लिए आभार।
उपयोगी जानकारी के लिए आभार।
nice
बहुत अच्छी जानकारी मिली इस लेख से। वैसे पलाश की चाय भी बनती है।
पलाश की चाय
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