आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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रविवार, 3 मई 2015

रसायन के लाभ


मैंने अभी तक तीन तरह के रसायन बनाने में सफलता पाई है। ये हैं-
निर्गुण्डी रसायन 
हल्दी रसायन 
पिप्पली रसायन 
अभी तक सैकड़ों मरीज इनका प्रयोग करके स्वास्थ्य और आयु -बल आदि प्राप्त कर चुके हैं। फिर भी जब आज भी मुझसे यह सवाल पूछा जाता है कि  इन रसायनों से क्या क्या फायदे होते हैं तो मैं सारे लाभ तो नहीं ही गिना पाती हूँ। मैंने आज सोचा कि मैं अपने प्रबुद्ध पाठकों को ये बता दूँ कि चरक संहिता के अनुसार रसायन के क्या लाभ हैं ---
रसायन वे औषधियां हैं जो स्वस्थ पुरुष के लिए  ओजस्कर हैं ,बल को बढ़ाती हैं और जीवनीय शक्ति प्रदान करती हैं। मनुष्य रसायन के  सेवन से स्मृति ,मेधा (धारण करने वाली बुद्धि ),आरोग्य, जवानी  भरी उम्र, प्रभा वर्ण और स्वर की उदारता,  देह और इन्द्रियों में परम बल ,वाक् सिद्धि (मनुष्य जो कहे वही हो ,अथवा अच्छी वाणी ),प्रणति अर्थात लोक समाज में आदर योग्य स्थान तथा कान्ति अनायास ही प्राप्त कर लेता है। 
अर्थात जिसके द्वारा शुभ गुण  युक्त रस आदि धातुओं की प्राप्ति हो वही रसायन है। इन्हीं प्रशस्त रस आदि धातुओं के कारण बुढ़ापा शीघ्र नहीं आता और शरीर अन्य रोगो से भी बचा रहता  है।  मेधा ,मन आदि  भी अन्न पर आश्रित हुआ करते हैं इसलिए मन और बुद्धि सदा सात्विक रहती है। इसीलिए प्रकृति भी उस मनुष्य के  अनुकूल व्यवहार करती है। 
इतने सारे लाभ रसायन सेवन से होते हैं। 
रसायनो का सेवन पूर्ण ब्रह्मचारी तो  यथाविधि कर ही लेते हैं किन्तु गृहस्थियों के लिए भी रसायन प्रयोग आवश्यक कहा गया है। क्योंकि गृहस्थ धर्म के समुचित रूप से पालन में अधिक कमजोरी नहीं आती लेकिन जो लोग विषयों की तृप्ति (वासना )में ही लगे रहते हैं,उनमें अधिक कमजोरी देखी गयी है।ब्रम्हचर्य के पालन न करने से राजयक्ष्मा आदि (टी बी ) रोग हो जाते हैं। वात का प्रकोप(मोटापा ) तो विशेषतः होता है। वीर्य  धातुओं का सार है। इसके नष्ट होने से शरीर की सब धातुएं क्षीण हो जाती हैं ,बुद्धि मंद हो जाती है। शरीर में स्फूर्ति और तेज नहीं रहता। अतः इस कमी को पूरा करने के लिए गृहस्थियों को वाजीकरण आहार -विहार या रसायन का सेवन करना अति आवश्यक है। यदि इस कमजोरी या धातुओं की क्षीणता को रसायन औषध द्वारा पूरा न किया जाये तो वह  शरीर शीघ्र ही धराशायी हो जायेगा। 
अतः आत्मवान मनुष्यों को नित्य ही रसायन आदि द्रव्यों की खोज करनी चाहिए। क्योंकि इन पर ही धर्म ,अर्थ, प्रीति  और यश आश्रित हैं।  

2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

लेकिन किस व्यक्ति को कोनसा रसायन लेना चाहिए! आपने इसमें 3 रसायनों का जिक्र किया है?

प्रेम सरोवर ने कहा…

प्रशंसनीय पोस्ट ! बहुत बहुत आभार ! मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा।