ज्योतिष्मति अर्थात मालकांगनी एक पराश्रयी लता है जो पूर्वी हिमालय में 6000 फीट की ऊंचाई तक मिलती है। गुजरात ,महाराष्ट्र और मध्य भारत में भी यह पाई जाती है। यह आयुर्वेद की मुख्य औषधियों में से एक है। इसका तेल बेरी-बेरी जैसे महाभयंकर रोग की भी बहुत कारगर दवा सिद्ध हुआ है।
ज्योतिष्मति का वैज्ञानिक नाम है- Celastrus paniculatus , इसे बंगाल में लताफ्टकी, मध्यप्रदेश में ककुन्दन रंगुल , पंजाब में संखू , केरल में बर्बज और इस्कट ,तमिल में कलिगम शेष भारत की भाषाओं में मालकांगनी कहते हैं।
ज्योतिष्मति के बीज में तेज गंध-युक्त तेल होता है। साथ ही कुछ पेनीकुलेटिन ,सिलासट्रीन, टैनिन और कड़वा राल भी मिलता है।
आइये इसके औषधीय गुणों पर निगाह डालते हैं -------
****** अफीम के विष को उतारने के लिए इसके 10 पत्तों का रस पिला दीजिये।
***** बेरी-बेरी रोग के रोगी को इसके तेल की 10 से 15 बूंदे बताशे में डाल कर खिलाइये ,कम से कम 2 माह तक।
***** चित्रा सर्प जब किसी पशु या मनुष्य को काट लेता है तो काटे हुए स्थान पर मांस सड़ जाता है फिर धीरे धीरे आस-पास का मांस भी सड़ कर गिरने लगता है। ऎसी दशा में मालकांगनी की जड़ ,अजवाइन और सिरस की छाल बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ पीस कर घाव में भरना चाहिए औरऔर १० से बीस ग्राम की मात्र में पिला भी देनी चाहिए। पशुओं के लिए मात्रा 100 ग्राम है।
***** अगर फालिज मार गया हो तो मालकांगनी के बीज खाइये पहले दिन १ दूसरे दिन २ तीसरे दिन ३. इसी तरह १५ दिनों तक बढ़ाते हुए खाइये और इसके तेल की मालिश भी कीजिये। यह क्रम अपनाने से गठिया और जोड़ों के दर्द में भी फायदा होता है।
****** जो महिलायें गर्भपात से परेशान है और गर्भकाल पूर्ण करके स्वस्थ संतान नहीं पैदा कर पा रहीं हैं उनको गर्भ धारण के पहले बाद ही या जब ज्ञात हो जाए कि वह गर्भवती हैं तब मालकांगनी की चार अंगुल लम्बी जड़ को कमर में बाँध लें और गर्भ काल पूर्ण होने से २-३ दिन पहले खोल दें। लेकिन यह जड़ रविवार के दिन ही खोदनी चाहिए।मालकांगनी की लताओं पर सफ़ेद धब्बे होते हैं।
***** खुजली ,सफ़ेद दाग ,नासूर, पुराने घाव सिर्फ इसका तेल लगाने से नष्ट हो जाते हैं।
***** जलोदर में इसके तेल की १० बूंदे रोज सेवन कीजिए।
***** इसके बीजो को पानी में पीस कर लेप करने से खूनी बवासीर में भी फायदा हो जाता है।
***** इसका तेल २ ग्राम तक रोज दूध में मिला कर पीने से स्मरण शक्ति बहुत तेजी से बढ़ती है।
***** आँखों की रोशनी बढ़ानी है तो इसके तेल की पगतलियों पर रोज मालिश कीजिए।
***** नपुंसकता मिटाने के लिए इसके तेल की १०-१० बूंदे नागरबेल के पान में डाल कर खाइए। साथ ही दूध-घी का ज्यादा सेवन कीजिए।
आयुर्वेद में शिरोविरेचन के साथ साथ कई अन्य अंगों के विरेचन हेतु भी मालकांगनी को प्रमुख स्थान दिया जाता है।
इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा
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