देवियों अगर आपको अनचाही अनजानी सी शारीरिक / मानसिक परेशानी महसूस हो रही हो तो सोते वक्त ईयर रिंग उतार दिया करें।
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यदि आपका रोग एक दिन पुराना है तो 7 घण्टे में औषधि असर करती है।एक महीना पुराना है तो 7 दिन बाद औषधि का असर दिखेगा।एक साल पुराना है तो 7 हफ्ते तक औषधि का प्रभाव होगा यदि कई वर्ष पुराना है तो उतने ही महीनों तक औषधि सेवन कीजिए।
पुराना होता हुआ रोग स्वरूप बदल कर कई अन्य बीमारियां भी उत्पन्न करता है और औषधियां सभी विकृतियों का नाश करके शरीर को साम्यावस्था में लाती हैं।
इसलिए औषधि सेवन धैर्य और आस्था से किया जाना चाहिए, तभी उत्तम प्रभाव देता है।
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सबकी सुरक्षा हो गयी आंख भूल गए।
सरसो के तेल की एक एक बून्द दोनों आंखों में डालिये थोड़ा लगेगा किन्तु बहुत लाभ मिलेंगे।
प्रतिदिन
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W H O जब किसी दवा की पुष्टि करेगा तब उसे डाक्टर अपनाएंगे।मैंने जो दवा तैयार की है उसे who से पुष्टि कराने का कोई मार्ग मेरे पास नही। अब ये डॉक्टर्स और रोगियों के अपने विवेक पर है कि वो kovid 19 को लाइलाज समझ मृत्यु की प्रतीक्षा करें या इस आयुर्वेदिक दवा को अपनाकर जीने की इच्छा पुनः जागृत करें।
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जिनके घरों के आस पास पीपल के पेड़ हैं वे लोग 5 पत्ते रोज एक गिलास पानी में 10 मिनट तक उबाल के पीएं।
प्रति व्यक्ति 5 पत्ते प्रतिदिन। इससे
गला फेफड़ा अंदरूनी पावर बढियां रहेंगे।किसी वायरस की मजाल नही कि आपको छू दे
4 टिप्पणियां:
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 17 एप्रिल 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत बढ़िया। मई करता हूँ, उपाय!!! आभार!!!
सार गर्भित जानकारी ! आभार !
रही हमारे आयुर्वैदिक चिकित्सकों की बात, तो यही लगता है कि आज के माहौल से वे कतरा रहे हैं ! जब कुतर्किएऔर अविवेकी लोग प्रधान मंत्री का ही मजाक उड़ाने या उन पर सवाल खड़ा करने से बाज नहीं आते तो कौन अपना मखौल बनवाए। शायद यही हिचक उन्हें रोक रही हो ! पर भीतर ही भीतर वे बेचैन भी जरूर हो रहे होंगे, कुछ ना कर पाने स्थित को लेकर ! अब देखिए ना, हताशा के मारे आपने भी तो कह ही दिया कि रोगी मृत्यु की प्रतीक्षा करें। जबकि डाक्टरों की मजबूरी आपको भी पता है कि वे बिना पूर्ण संतुष्टि के दवा का प्रयोग कर खतरा मोल नहीं ले सकते !
बहुत सुंदर
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