आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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रविवार, 4 जुलाई 2021

5000 साल जी सकता है मानव

कई हजार वर्ष जीना कोई मुश्किल नहीं है किंतु इसके लिए सर्वाधिक आवश्यक है कि आपका शरीर निरोग हो। उसके लिए मौसम और शरीर के अनुकूल भोजन हेतु प्रकृति ने बहुत कुछ दिया है मनुष्य को। यदा कदा आ जाने वाली व्याधियों के लिए जड़ी बूटियां भी प्रचुर मात्रा में देती है पृथ्वी।लेकिन इसी पृथ्वी पर वह खजाना भी उपलब्ध है जिसका यथाशक्ति यथाभक्ति सेवन करने से मनुष्य अतीन्द्रिय हो सकता है। अतीन्द्रिय का अर्थ है आपकी देखने सुनने खाने पीने जीने आदि की क्षमता का सैकड़ों गुना बढ़ जाना। पृथ्वी पर उपस्थित इसी खजाने के लिए देवतागण भी आते हैं।वर्ष में सिर्फ एक दिन। ताकि उनकी अतीन्द्रिय क्षमता बरकरार रहे और देवपद बना रहे। यही खजाना हम मनुष्य नही प्राप्त कर पाते।
महान वैद्य शल्य चिकित्सा के जनक महर्षि सुश्रुत ने लिखा है कि-----
ओषधिनाम पतिं सोममुपयुज्य विचक्षणः
दशवर्ष सहस्राणि नवां धारयते तनुम
नाग्निरतोयँ न विषम न शस्त्रम न अस्त्रमेव च
तस्यालमायु क्षपणे समर्थानि भवन्ति हि।

ॐ सोमलताय नमो नमः
ये दिव्य औषधियां हैं:----
अंशुमान
मुंजवान
चन्द्रसोम
रजतप्रभ
दुर्वासोम
कनीयान
श्वेताक्ष
कनकप्रभ
प्रतानवान
तालवृंत
करवीर
अंशवान
स्वयंप्रभ
महासोम
गरुड़ाहृत
गायत्र
त्रिष्टुभ
पांक्त
जागत
शॉकवर
अग्निष्टोम
रैवत
त्रिपदा गायत्री
उडुपति

ये वो महाऔषधियाँ हैं जिनका रसपान देवता वर्ष में एक बार अवश्य करते हैं।

2 टिप्‍पणियां:

रवि ने कहा…

जबरदस्त 👍 ।पर सनातन परंपरा में छनाती देखना अशुभ है ।मतलब 80 के बाद का जीवन नही ठिका होता किसी के लिए भी ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

लेकिन इतने वर्ष जी कर करेगा क्या कोई ? 60 साल में तो रिटायर कर देते काम से ।