आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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सोमवार, 19 अक्तूबर 2009

काया-कल्प औषधि

इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटासा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगामैंने काफी दिनों पूर्व आपसे वादा किया था कि काया कल्प औषधि के बारे में आपको बताऊँगी । देर इस कारण हुईकि भैषज्य रत्नावली के इस फार्मूले में कुछ परिवर्तन मुझे आवश्यक लग रहे थे .मैं आपको बता दे रही हूँ मगरकृपया इसे घर पर बनाने से बेहतर होगा कि किसी अच्छे वैद्य की देख-रेख में बनाए या फ़िर बनाने की जिम्मेदारीदेने के लिए मुझे याद करें ,क्योंकि इसे बनाना ही टेढी खीर है ।
इसमें ७१ वस्तुओं का समावेश है --
शुद्ध अभ्रक भस्म , मुलेठी ,सौंफ ,तालीस पत्र , अनंतमूल, फूल प्रियंगु , सुगंधवाला ,सेमल की मूळ , पिंड खजूरविदारी कंद ,कृष्णपरनी की जड़ , पद्माख ,ताल्माखाने ,मेथी ,फालसे ,लाल चंदन काली मिर्च ,तिल ,काकर सिंगीधूप्तारल ,कपूर , सोंठ ,देवदारु ,अजवाईन ,सोया बीज , कौंच बीज ,बेल गिरी ,काकोली,छील-काकोली ,सेंधा नमकभांगरा ,जीरा ,काला जीरा , धनिया , गांठ फल , बाल छड़ ,सतावर , कूट , बंशलोचन ,ताख ,लौंग चिरिती ,तंत्रीचन्य,ताड़ के अंकुर , सुहागा , शालपर्णी , गूख्रू , चीता , कुंदरू , मुरामासी , पुनर्नवा ,अश्वगंधा , मोचरस , गज पीपलकायफल , ताड़ का मस्तक , नागकेसर , तेजपात , इलायची , दालचीनी ,मूसली, नागरमोथा , त्रिफला , त्रिकुटा , जायफल , जावित्री, बंग भस्म और लौह भस्म ये सभी ५०ग्राम लीजिये .और १७०० ग्राम घी में भुना हुआ भांग काचूर्ण लीजिये इस सारे चूर्ण को ८ किलो मिश्री में मिलाये और पानी के साथ पकाएं ,पकने के बाद ठंडा कर लें ,फ़िरघी की सहायता से इसके २०० लड्डू बना लें
प्रत्येक दिन एक लड्डू खाना है । इसके बारे में पुरानों में कहा गया है कि यह शरीर को एकदम नया बना देता हैअर्थात कायाकल्प ,शरीर के किसी कोने में कोई छोटी से छोटी बीमारी को भी यह ख़त्म करने में सक्षम है ,अतिसारप्रमेह ,कोढ़ ,वीर्यका नष्ट होना ,नारियों के बाँझपन जैसी लाईलाज बीमारियों को भी इस लड्डू से डर लगता है । प्रतिरोधक क्षमता ,याददाश्त ,हड्डियों की मजबूती ,आंखों की रोशनी बढ़ती है । खून पूरी तरह शुद्ध हो जाता हैमनोविकार ख़त्म हो जाते हैं । शरीर की त्वचा कोमल और स्निग्ध हो जाती है ,चेहरे पर ताजगी आ जाती है , बलमें वृद्धी होती है ,आदि-इत्यादि । अनगिनत फायदे हैं इसके ।
मनुष्य को अपनी जिन्दगी में एक बार जरूर प्रयोग करना चाहिए ।
हम सभी के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं ।
दीपावली एवं छठ की शुभकामनाएं देते हैं।
दोनों ही प्रकाश की पूजा के त्यौहार हैं ।