आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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शुक्रवार, 2 दिसंबर 2011

कलौंजी के फायदे




कलौंजी का पौधा सौंफ के पौधे की तरह होता है इसके फूल हलके नीले रंग के होते हैं.कलौंजी के दाने तिकोने और काले रंग के होते हैं.ये बहुत सुगन्धित भी होते हैं.ये बहुत ताकतवर होते हैं.
कलौंजी के बीजों में मैलेंथीन,मैलेंथेजैनिंन ,एल्ब्यूमीन, शर्करा, गोंद, टैनिन, ग्लूकोसाइड, राल, स्थिर तेल, उड़नशील तेल जैसे तत्व विराजमान हैं.



इसे हिन्दी में मंगरैल ,फारसी में स्याह्दाना, अरबी में- हब्बतुस्सोदा, बंगाली में काली जीर, गुजराती मराठी आदि अनेक भाषाओं में कलौंजी ,संस्कृत में स्थूल्जीरक, बहुगंधा, अंग्रेजी में- Black curmin तथा  वैज्ञानिक  भाषा  में Nigella sativa कहते  हैं.


** अपच या पेट दर्द में आप कलौंजी का काढा बनाइये फिर उसमे काला नमक मिलाकर सुबह शाम पीजिये.दो दिन में ही आराम देखिये.
** मसाने और गुर्दे में पथरी हो तो कलौंजी को पीस कर पानी में मिलाइए फिर उसमे शहद मिलाकर पीजिये ,१०-११ दिन प्रयोग करके टेस्ट करा लीजिये.कम न हुई हो तो फिर १०-११ दिन पीजिये.
** कलौंजी की राख को तेल में मिलाकर गंजे अपने सर पर मालिश करें कुछ दिनों में नए बाल पैदा होने लगेंगे.इस प्रयोग में धैर्य महत्वपूर्ण है.
** अगर गर्भवती के पेट में बच्चा मर गया है तो उसे कलौंजी उबाल कर पिला दीजिये ,बच्चा निकल जायेगा.और गर्भाशय भी साफ़ हो जाएगा.
** किसी को बार-बार हिचकी आ रही हो तो कलौंजी के चुटकी भर पावडर को ज़रा से शहद में मिलकर चटा दीजिये.  
** अगर किसी को पागल कुत्ते ने काट लिया हो तो आधा चम्मच से थोडा  कम बल्कि तीन  ग्राम कलौंजी को पानी में पीस कर पिला दीजिये.बस ३-४ बार एक दिन में एक ही बार
** जुकाम परेशान कर रहा हो तो इसके बीजों को गरम कीजिए ,मलमल के कपडे में बांधिए और सूघते रहिये. दो दिन में ही जुकाम और सर दर्द दोनों गायब .
** कलौंजी की राख को पानी से निगलने से बवासीर में बहुत लाभ होता है.
** कलौंजी का उपयोग चरम रोग की दवा बनाने में भी होता है.
** कलौंजी को पीस कर सिरके में मिलकर पेस्ट बनाए और मस्सों पर लगा लीजिये.मस्से कट जायेंगे.
** मुंहासे दूर करने के लिए कलौंजी और सिरके का पेस्ट रात में मुंह पर लगा कर सो जाएँ.
** कलौंजी का पावडर शहद में मिला कर काटे हुए स्थान पर  लगाने से बंदर का जहर ख़त्म हो जाएगा 
** जब सर्दी के मौसम में सर दर्द सताए तो कलौंजी और जीरे की चटनी पीसिये और मस्तक पर लेप कर लीजिये.
** घर में कुछ ज्यादा ही कीड़े-मकोड़े निकल रहे हों तो कलौंजी के बीजों का धुँआ कर दीजिये.




इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा

शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2011

मिर्च ; बड़े काम की चीज है



मिर्च , नाम  आते  ही  कुछ  लोग सी-सी करने लगते हैं तो कुछ लोग चटखारे लेने लगते हैं. हमारे देश में यही तो समस्या है की एक स्वाद के बारे में दो लोगों की राय कभी एक नहीं हो सकती. पर इसमें बेचारी मिर्च का क्या दोष . वह फायदा तो सभी को एक ही जैसा पहुँचाती है. मिर्च सिर्फ तीती या कडवी ही नहीं होती, बहुत सारे रोगों में तो ये किसी बहुत अच्छी मिठाई से भी ज्यादा मीठी होती है. आइये आज इसी को चख कर देख लेते हैं---

आपको पता है,    इसमें कितने सारे तत्व पाए जाते हैं-
अमीनो एसिड, एस्कार्बिक एसिड, फोलिक एसिड, सिट्रीक एसिड, ग्लीसरिक एसिड, मैलिक एसिड, मैलोनिक एसिड, सक्सीनिक एसिड, शिकिमिक एसिड, आक्जेलिक एसिड, क्युनिक एसिड, कैरोटीन्स , क्रिप्तोकैप्सीन, बाई-फ्लेवोनाईड्स, कैप्सेंथीन, कैप्सोरूबीन डाईएस्टर, आल्फा-एमिरिन, कोलेस्टराल, फ़ाय्तोईन, फायटोफ़्लू, कैप्सीडीना, कैप्सी-कोसीन, आल्फा-एमीरीन आदि.
इसमें जो फोलिक एसिड है वह ऐसा तत्व है जिसके कारण सफेदमूसली का महत्व बढ़ जाता है और यही तत्व गर्भवती महिलाओं को सिर्फ इसलिए दिया जाता है ताकि  बच्चे का खासकर बच्चे के प्रजनन अंगों का ठीक से विकास हो सके.

अगर आपको किसी कुत्ते ने काट लिया है तो अस्पताल भागने से पहले घर में अगर लालमिर्च हो तो उसकी चटनी पीस कर काटने वाले स्थान पर लगा लीजिये.यह इंजेक्शन का विकल्प है, यह चटनी लगाने के बाद फिर इंजेक्शन की जरूरत नहीं पड़ती. ये ऐसे लोगों के लिए लाभदायक है जिनके घर से अस्पताल का रास्ता एक घंटे से ज्यादा समय का हो.
खून में हीमोग्लोविन कम हो जाए तो प्रतिदिन कम से कम ६ हरी मिर्च खाएं, कच्ची ही .५-६ दिनों में हिमोग्लोविन सामान्य हो जाएगा. जिनके ब्लड में प्लेटलेट्स घट जाती हैं, उन्हें भी ये कच्ची हरी मिर्च बहुत फायदा पहुँचाती है.
बदन में दाद-खाज खुजली या किसी प्रकार का चर्म रोग हो जाए तो आप सरसों के तेल में लालमिर्च का पावडर खौलाइये, फिर इस तेल को ठंडा करके छान लीजिये और पूरे बदन पर या खुजली वाले स्थान पर रो लगा कर सो जाए .२१-२२ दिनों में सफ़ेद हो गयी त्वचा भी सामान्य रंग में आना शुरू कर देती है.
कालरा में एक चम्मच  मिर्च का पावडर एक चम्म्ह नमक के साथ पानी में उबालिए ,फिर उस पानी को चाय समझ के पी जाए. दिन में दो बार कीजिए ,जबरदस्त लाभ होता है.
पेट दर्द कर रहा हो तो हरी मिर्च या   लाल मिर्च के दो ग्राम बीज गुनगुने पानी से निगल लीजिये.

किसी ने ज्यादा शराब पी ली है और हैंगओवर हो गया है तो मिर्च का २ चुटकी पावडर गुनगुने पानी में मिला कर दिन में दो तीन बार पिला दीजिये.

सन्निपात के रोगी को अगर एक मिर्च पीस कर किसी तरह पिला दी जाए तो मूर्छा फ़ौरन ख़त्म हो जाती है.

जब जलवायु परिवर्तित होने लगे तो हरी मिर्च का सेवन ज्यादा कर देना चाहिए.

लेकिन लाल मिर्च के सेवन से हमेशा बचना चाहिए ,यह कई सारे रोग उत्पन्न कर देती है ,रोज लाल मिर्च खाने से लीवर कमजोर हो जाता है, अंडकोष, किडनी, आँखे भी कमजोर हो जाते हैं.पेट की पाचन शक्ति कम हो जाती है और कैंसर होने के रास्ते खुक्ल जाते हैं, इसलिए लालमिर्च का सिर्फ बाहरी उपयोग ही करना चाहिए ,इसे खाने से परहेज करना चाहिए. आयुर्वेद के अनुसार लालमिर्च का ज्यादा उपयोग या नियमित उपयोग संखिया के जहर का काम करने लगता है. ब्लड   भी अशुद्ध हो जाता है.

जबकि हरी मिर्च खाने से मुंह की लार अधिक उत्पन्न होती है जो भोजन को अच्छी तरह पचती तो है ही ,गैस नहीं बनने देती है और हृदय   को तथा प्रजनन शक्ति को ताकत प्रदान करती है. मल- मूत्र विसर्जन के रास्ते में आने वाली सारी बाधाएं दूर करती है.
  
   


इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा

शुक्रवार, 19 अगस्त 2011

अजवाईन



यह लेख कादम्बिनी में प्रकाशित हो चुका है.  


ये हमारी बदकिस्मती है कि हम अपने मसालों के बारे में पूरी जानकारी नहीं रखते. हमारे बुजुर्गों ने मसालों का उपयोग प्रतिदिन केवल खाना स्वादिष्ट बनाने के लिए नहीं जरूरी बताया था वरन खुद को स्वस्थ रखने के लिए रोज खाने की एक दवा बता दी थी. पर अब हम थोड़े आलसी और थोड़े एडवांस हो गए हैं .मसाला पीसते या पिसवाते नहीं बल्कि पैकेट वाले रेडीमेड मसाले प्रयोग करते हैं. जिन्हें ज़रा तेज मसाला खाना हो वे घर में प्याज, लहसुन, मिर्च,धनिया पीस कर ऊपर से रेडीमेड मसाला डाल लेते हैं, पता नहीं खाने वालों को धोखा देते हैं या खुद को.


खैर आइये एक जानी पहचानी चीज अजवाईन के बारे में बातें करते हैं, यह क्या है क्यों खायी जाती है और शरीर के लिए कैसे उपयोगी है?
अजवाइन कुल तीन तरह की होती है - सामान्य अजवाईन , वन अजवाईन और खुरासानी अजवाईन. अजवाइन के बारे में आयुर्वेद कहता है कि ये अकेली ऎसी चीज है जिसमें सरसों और मिर्च का तीतापन, हींग के पाचक और विष शामक गुण और चिरैता का कडवापन तीनों एक साथ पाए जाते हैं. ये तीनों चीजें अपने आप में एक सम्पूर्ण  दवा की हैसियत रखती हैं. तो सोचिये अजवाईन कितनी गुणकारी हुई.
               

                             यह वन (जंगली)अजवाइन का पौधा है


आइये इनके औषधीय गुण देखें-


***शराबियों की आदत छुडाने के लिए-  उन्हें दिन भर एक चुटकी अजवाइन चबाने को देते रहिये हर दो घंटे पर.


***अजवाइन के ठंडे काढ़े से आँखें धुलिये तो आँखों की रोशनी तेज होगी और आँखों की सारी बीमारियाँ दूर हो जायेंगी.


***कुछ अच्छा नहीं लग रहा है ,किसी काम में मन नहीं लग रहा है, थकान, बुखार, सर्दी, खांसी, जुकाम, शरीर में कहीं दर्द, खाने की इच्छा कम हो गयी है तो बस एक बड़ा चम्मच अजवाइन लगभग ५-६ ग्राम मुंह में रखिये और बिना चबाये पानी से निगल जाइए. दो घंटे में ही चेहरे पर मुस्कान लौट आयेगी.
                         
                        यह  सामान्य अजवाइन का पौधा है  
***पुरानी खांसी- अजवाइन का चार ग्राम पावडर दिन में दो बार तीन दिनों  तक पानी से निगल लीजिये.


***श्वास रोग ,दमा-  अजवाइन का चार ग्राम  पावडर गुनगुने पानी से दिन में दो बार  ७ दिनों तक . हर महीने में ७ दिन.


***अगर आप प्रत्येक सप्ताह तीन दिनों तक खाली पेट ५ ग्राम अजवाईन पानी से निगलते रहेंगे तो आपको कभी डाक्टरों या अस्पताल का मुंह नहीं देखना पडेगा क्योंकि ये यकृत लीवर समेत शरीर के सभी भीतरी अंगों की कठोरता को कम करती है जिससे सभी अंग लचीले और एक्टिव हो जाते हैं और अपना काम सुचारू रूप से करते रहते हैं.


***सूखी खांसी में- अजवाइन की २ ग्राम मात्रा को पान में रखिये और उस पान को धीरे धीरे चबाते हुए सारा रस गले से नीचे उतार 
लीजिये.


*** फालिज में- रोजाना मरीज को ५ ग्राम अजवाइन पीस कर चीनी के शरबत में अच्छी तरह मिला कर पिला दीजिये


*** मासिक धर्म में रुकावट हो तो महिलाए अजवाइन का २ ग्राम पावडर दिन में दो बार गरम दूध से निगल लें ,केवल तीन दिन तक, पहले ही दिन रुकावट ख़त्म हो तो बंद कर दीजियेगा.


***दाद, खाज, खुजली या आग से जल गए हैं तो अजवाइन की  चटनी पानी के साथ पीसिये और प्रभावित स्थान पर लेप कर दीजिये .४-५ घंटे छोड़ दीजिये. यही चटनी ज़रा और पतला करके अगर घुटनों पर रगड़ेंगे तो घुटनों का दर्द ख़त्म हो जाएगा.


*** अगर किसी को नींद न आ रही हो तो खुरासानी अजवाइन ३ ग्राम की मात्रा में पानी से निगलवा दीजिये.इससे मन भी शांत होता है ,नींद भी गहरी आती है और पेट भी साफ़ हो जाता है. शुरुआत में २ ही ग्राम दीजिएगा.


*** अगर पेट में गैस परेशान करती है तो थोड़े से गुड में १-२ ग्राम खुरासानी अजवाइन मिलाकर गोली बनाएं और खा जाएँ.


*** पेट में कीड़े हों तो सुबह सवेरे थोड़ा सा गुड खाइए फिर २ ग्राम खुरासी अजवाइन पानी से निगल जाइए. बस ३ दिन काफी है.


*** गठिया, जोड़ों में दर्द या सूजन में खुरासानी अजवाइन को पानी के साथ पीस कर लेप करके सो जाएँ. प्रत्येक रात में . जल्दी ही दर्द ख़त्म हो जाएगा.


*** अगर आपको पथरी की आशंका हो तो प्रत्येक महीने ५ दिनों तक जंगली अजवाइन या अजमोद या वन अजवाइन ५ ग्राम पानी के साथ निगल लिया कीजिए, कभी पथरी नहीं बन सकती. जंगली अजवाइन का प्रयोग जानवरों के भी उपचार में बहुत किया जाता है.अगर आपके पालतू जानवरों को पेट से सम्बंधित कोई भी शिकायत हो तो वन अजवाइन चारे में मिला कर खिला दीजिये. कुत्तों के लिए २० ग्राम बकरी को भी २० ग्राम, गाय भैसों को ५० ग्राम काफी रहेगा.


*** दांतों के लिए- तीनों में से कोई भी अजवाइन भून कर पावडर बनाएं और उससे सप्ताह में तीन दिन दांत साफ़ कीजिए ,मसूढ़े स्वस्थ, दांत चमकदार और पायरिया गायब.


देखा आपने अजवाईन की ताकत. बस अब तीनों तरह की अजवाइन परमानेंट घर में रखिये.




इसका वैज्ञानिक नाम है - Carum copticum.  इसे संस्कृत में यवानी और बंगाली में यमानी कहते हैं. फारसी में तुख्मेवंग तथा अरबी में तेराल्वंज, मराठी में किरमानी आदि कहते हैं.

अजवाइन में मुख्यतः साईमोन, टरपेन, उड़नशील तेल, स्टीअरोप्तिन पाए जाते हैं .
चित्र गूगल इमेज से लिए गये हैं, आभार सहित 


इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा

गुरुवार, 20 जनवरी 2011

अमरूद ; कब्ज का दुश्मन

क्या चीज है ये अमरुद भी. आजकल तो बाज़ारों में बस इसी का बोलबाला है. किसी जमाने में इसे ग़रीबों का सेब कहा जाता था . आखिर क्यों न कहा जाए. इसमें इतने सारे तत्व पाए जाते हैं कि शरीर में पहुँचते ही अपनी उपस्थिति दर्ज करा देते हैं. ये अकेला ऐसा फल है जिसको खाने के बाद अजीब सी प्रसन्नता का अनुभव होता है यानी कि मन खुश हो जाता है. आइये जानते हैं आज इसके बारे में कि ये अपने भीतर आखिर क्या छुपाये हुए है कि बाज़ारों में यूं इठला इठला कर बरबस ही ध्यान खींच लेता है ------


इसे हिन्दी में जामफल भी कहते हैं.संस्कृत में पेरुकम, दृढबीजं, अरबी में कम्सुरा, मराठी में पेरू, बंगाली में पियारा, गुजराती में जामफड़े , तेलगू में गोइया, द्रविण में कोईया, कर्नाटक में शिवे, और वैज्ञानिक भाषा में सिडियम गुआबिया कहते हैं. 
आयुर्वेद में अमरुद को मधुर, ग्राही, कफकारक, वातवर्धक, स्वादिष्ट, शीतल, तीक्ष्ण, भारी, त्रिदोष नाशक और साथ में भ्रम ,मूर्छा और शारीरिक जलन को नष्ट करने वाला माना गया है. 


अमरुद में ल्यू कोसायनीदीन, क्वेरसेटिन, बीता सितो-स्तीराल, गुवाजेवरीन , लिमोनीन, पिनीन, निओसीन,विटामिन-बी ६,विटामिन-सी, कैदिनिन, सिट्रिक, रीबोफ्लेविन, एमिनो एसिड, स्टार्च, ग्लूकोज, फ्रक्टोज, सुक्रोज, टैनिन्स, थायमिन, कीरोटिन,आक्जेलिक, क्वीनिक, सक्सीनिक, मलिक, तार्तेरिक एसिड, फार्नेसिं, करक्यूमिन, सिनामिक, रहामनोज जैसे तत्वों की भरमार होती है. 


अमरुद तो अमरुद इसके पत्ते, पेड़ की छाल, जड़ भी दवाओं का काम करते हैं-


***अगर पेट में दर्द हो या बदहजमी की स्किकायत हो तो इसके कोमल पत्ते पीस कर रस निकालिए और ३०- ३५ ग्राम पिला दीजिये.
***मुंह में कोई घाव हो या मसूड़ों से खून आता हो तो अमरुद के पत्तों का काढा बनाकर उसे ५-५ मिनट मुंह में रख कर कुल्ला कीजिए.
*** बहुत दस्त हो रहे हो तो पत्तों का काढा २५-२५ ग्राम २-३ बार पिला दीजिये.
***अगर किसी को भांग का नशा चढ़ गया हो तो अमरुद खिला दीजिये ,नशा उतर जाएगा. 
***हैजे के कारण उल्टी, दस्त हो रहा हो तो अमरुद के पत्तों का काढा बहुत तेज फ़ायदा करेगा.
***दांतों में दर्द हो रहा हो तो अमरुद के पत्ते चबाएं.
***बच्चो को अगर बहुत दिनों से दस्त या पतली टट्टी  की शिकायत है तो अमरुद की बीस ग्राम जड़ को दो सौ ग्राम पानी में उबालिए जब आधा से भी थोड़ा कम पानी बचे तो उतार लीजिये और छान लीजिये. एक-एक चम्मच सुबह दोपहर शाम को पिलायें . बीमारी ख़त्म.
*** आप कब्ज से परेशान हों तो शाम को चार बजे कम से कम २०० ग्राम अमरुद नमक लगाकर खा जाया करें, फायदा अगली सुबह से ही नज़र आने लगेगा. १० दिन तो खा ही लीजिये फिर जब तक मन करे तब तक खाएं.
*** ये अमरूद हृदय को मजबूत करता है, दिमाग को भी शक्ति देता है और पाचन शक्ति दुरुस्त करता है. मीठा अमरुद पेचिश में भी फायदा पहुंचता है .अगर भोजन के बाद एक अमरुद खाया जाए तो भोजन में मौजूद सारे तत्व आसानी से पाच जाते हैं अर्थात खाना शरीर में लगता है. इसको खाने से मन प्रसन्न रहता है.यह भूख को भी बढाता है.
*** अगर आँखों में सूजन आ गयी हो तो इसके फूलों को मसल कर लेप कर दीजिये. सूजन ख़त्म भी होगी आँखों की रोशनी भी तेज होगी. 
*** अमरुद को पतला पतला काटिए अब उस पर काली मिर्च का पावडर ,नमक ,थोड़ी चीनी और नीम्बू डालिए. कुछ देर ढक के रख दीजिये  .फिर चाव से खाइए. मुझे अमरुद खाने का ये तरीका ज्यादा पौष्टिक लगता है.


चाहे जो कहिये इस अमरुद का जवाब नहीं .  






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रविवार, 27 जून 2010

मानसून की बीमारियां

मानसून आने ही वाला है ,बल्कि देश के कुछ हिस्सों में आ भी चुका है. ये मौसम अपने साथ त्वचा की अनेक बीमारियों को लेकर आता है. इस मौसम में अनेक कीड़े-मकोड़े भी पैदा हो जाते हैं या यूं कह लीजिये कि अपने आवासों से बाहर निकल आते हैं क्योंकि उनके बिलों [घरों] में पानी भर गया होता है. अब उन्हें आवास तो चाहिए ही ,बेचारे रहेंगे कहाँ ? बस हमारी त्वचा ही उनका पहला निशाना बन जाती है. अगर त्वचा में पहले से घाव है तब तो क्या कहना !!! कीड़ों की पाँचों उंगलियाँ घी में और सर कढ़ाही में. इसलिए हे मनुष्यों सावधान हो जाओ . आइये कुछ अच्छे उपाय सोचते हैं--------

१- नमक ,हल्दी और मेथी का पावडर  तीनों एक-एक चम्मच ले लीजिये ,नहाने से पांच मिनट पहले इसका पानी मिलाकर पेस्ट बना लीजिये. अब इसे साबुन की तरह पूरे शरीर में रगड़ रगड़ कर लेप लीजिये. फिर ५ मिनट छोड़ दीजिये ,फिर आराम से नहा लीजिये. इसे हर ४ दिन बाद प्रयोग करेंगे तो घमौरियों, फुंसियों, त्वचा  की सभी बीमारियों से दूर रहेंगे, त्वचा अगर मुलायम हो जाए और चमकने लगे तो इसे एक पर एक फ्री वाला गिफ्ट समझ लीजिएगा   
२- हर ४ दिन बाद एक चम्मच [५ग्राम ] अजवाईन जरूर पानी से निगलते रहें ताकि अन्दर के शारीरिक पार्ट भी कीड़ों से बचे रहें.

इस मौसम में ग्रामीण हिस्सों में सांप ,बिच्छू और ततैया आदि जहरीले जानवर मनुष्यों और पशुओं दोनों को परेशान करते हैं. आइये कुछ रक्षात्मक उपायों पर गौर करें -----------
**१०-१० ग्राम हल्दी, सेंधा नमक और शहद तथा ५ग्राम देसी घी अच्छे तरीके से मिला लीजिये. इसे खाने या चटाने से कुत्ता ,सांप, बिच्छु, मेढक, गिरगिट, आदि जहरीले जानवरों का विष ख़त्म हो जाता है .
**आषाढ़ का महीना शुरू हो चुका है, ११ या १२ जुलाई को पुष्य नक्षत्र पड़ना चाहिए, इस दिन अगर सिरस की जड़ को चावल के पानी  में पीस कर पी लिया जाए तो उसे सांप गलती से भी नहीं काटेगा ,जो सांप उस इंसान या जानवर [गाय, भैंस ,बकरी]  को काटेगा वह खुद ही मरेगा.
**एक पुरानी पोस्ट में भी मैं यह बात लिख चुकी हूँ कि पुष्य नक्षत्र के दिन सफ़ेद पुनर्नवा  की जड़ को चावल के पानी में पीस कर पीने से एक साल तक मनुष्य सांप से बचा रह सकता है.
**घी, शहद, पीपल, सोंठ, काली मिर्च , और सेंधानमक  सभी को १०-१० ग्राम लेकर पीस कर अच्छी तरह से मिला लीजिये और एक बार में सिर्फ १० ग्राम खाएं ,किसी भी जहरीले सांप का विष उतर जाएगा  
**जीरे को पीस लीजिये उसमें थोड़ा सा घी और जीरे के बराबर सेंधानामक मिला दीजिये. घी इतना मिलाईएगा कि पेस्ट बन जाए. अब इस पेस्ट को विशेषकर बिच्छू या किसी भी जहरीले कीड़े के काटे हुए स्थान पर लेप कर देने से जहर और दर्द दोनों ख़त्म हो जाएगा

इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा

गुरुवार, 10 जून 2010

भला नीबू में क्या खासियत

सही कहा न मैंने.नीबू में तो एक ही गुण होता है - पानी, सलाद और भोजन के स्वाद में ज़रा सी मीठी-मीठी खटास पैदा करना और ये बात तो सब जानते हैं. ये कौन सी नयी बात है ?
ज़रा याद कीजिए कि बचपन में दोपहर में जब माता पिता ऊंघ रहे होते थे तो दबे पाँव चिलचिलाती धूप में दोस्तों के साथ खेलने के लिए भागने में कितना मजा आता था और ये मजा तब तो और भी बढ़ जाता था जब किसी पेड़ कि पत्तियों को तोड़-मरोड़ कर पान की तरह बना कर हम बड़ों की तरह पान खाकर खुद को बड़ा समझने लगते थे.
वो खट्टी मीठी पत्तियाँ इसी नीबू की होती थीं. पहचानिए उस पत्ती को और ये नीबू का पेड़

नींबू दो तरह के होते हैं - एक कागजी नींबू या बड़ा नींबू और दूसरा बीजोरा नींबू . इसी बीजोरा नींबू की पत्तियाँ हमने बचपन में पान बनाकर खायीं हैं.  कागजी नींबू का सिर्फ रस ही हम भोजन में प्रयोग करते हैं जबकि बीजोरा नींबू की तो पत्तियाँ और तने की छाल और जड़ों का भी प्रयोग दवाओं के रूप में कर सकते हैं. ये है बहुत काम की चीज .
मूत्राशय में अगर पथरी हो गयी है या पेट में कीड़े पड़ गये हैं या उल्टियां हो रही हैं तो बीजोरा नींबू की जड़ का पावडर बना लीजिये और चार या पाच ग्राम सुबह खाली पेट पानी से निगल लीजिये.
बहुत तेज बुखार हो गया है तो पत्तो का रस ५ चम्मच या २० ग्राम पी लीजिये ,पहली बार पीने से बुखार पूरी तरह न उतरे तो चार घंटे बाद फिर पी लीजिये
अक्सर शरीर में यहाँ वहाँ सूजन सी आजाती है जो खुद ही ठीक भी हो जाती है लेकिन ये पूरे शरीर में लगातार बनी रहती है ,ऎसी दशा में तने की चाल का चूर्ण लगातार पानी से निगलिये.
कभी आपको अपने खून का रंग बदला सा महसूस हो तो बीजोरा नींबू के जड़ का चूरन  इसके फूलों का चूर्ण बराबर मात्रा में लीजिये और चावलों के माड़ के साथ खा लीजिये

अगर कानो में दर्द होरहा है तो बिजोरा नींबू के रस की दो बूंदे डाल लीजिये
शरीर में गैस या वात का प्रकोप हो तो इसके तने की छाल का दस ग्राम चूर्ण घी में मिला कर खा लीजिये
बीजोरा नींबू का रस अगर आप भोजन या जल में प्रयोग करते हैं तो इससे भूख बढ़ती है और बार बार गला या होंट सूखने की समस्या ख़त्म हो जाती है 
अगर बड़े नीम्बू कारस चीनी मिलाकर सेवन कीजिए तो हैजा के किटाणू नष्ट हो जाते हैं 
यही रस भोजन के पहले अदरख और काला  नमक मिला कर पीजिये तो भोजन आराम से पचेगा ,दस्त होने की आशंका ख़त्म और आंते पाचक रसों का तेजी से स्राव करना शुरू कर देंगी 
यही नीम्बू का रस अगर आप दोनों आँखों में एक एक बूंद डाला करें तो आँखें खराब या कमजोर होने की संभावना ख़त्म हो जाएगी ,लेकिन इसके लिए पेड़ों से खुद नीबू तोडिये ,बाजार के नीबू में आजकल इंजेक्शन से रस भरे जा रहे हैं 
महीने में कम से कमाठ बार नीबू के रस में मिश्री मिला कर पीना हम सबकी सेहत के लिए अच्छा रहेगा

नीबू में एस्कोर्बिक एसिड ,फ्रक्टोज ,ग्लूकोज ,सुक्रोज ,जस्मोनिक एसिड ,पैक्टीं ,एरियोदिक्तियाल, रुतिनीसाइड, डी एन ए,
सित्रोनिलाल,  ओसिमीन  आदि तत्व पाए जाते हैं



इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा

शुक्रवार, 21 मई 2010

अजीब सी तकलीफ है

हाँ वो तकलीफ अजीब  सी  ही थी ,लगता था जैसे प्राण ही निकल जायेंगे और दवा !!बिलकुल मामूली . मैं आज अपना अनुभव आपके साथ बाँट रही हूँ ----
करीब १० दिनों से मूत्र विसर्जन के वक्त हलकी जलन सी होती थी .देश-विदेश में फैले मरीज और उनके परिजनों की फोनकाल ,दवाएं तैयार कराना और पार्सल  के चक्कर में मैं जलन की उपेक्षा करती  रही. इक हफ्ता बीतते- बीतते पसीना जरूरत से ज्यादा होने लगा ,इतनी गर्मी लगे कि  बैचैनी  महसूस होने लगती थी और ग्यारहवें दिन तो शाम  के बाद से यूरिन डिस्चार्ज की हिम्मत ही नहीं पड़ती थी ,इतनी तेज जलन और सुई जैसी चुभन कि  बस ,यूं लगता था कि यूरीन डिस्चार्ज से अच्छा है कि  प्राण ही डिस्चार्ज कर दिए जाएँ ,सुबह होते होते तो खड़े होने की ताकत ही न बची ,खैर किसी तरह से दिमाग को एकाग्र किया तो दवा याद पड़ी  .विश्वास कीजिए जब खुद को तकलीफ होती है तो सारी दवाएं भूल जाती हैं ,लोगों ने सच ही कहा है कि डॉ. अपना ईलाज खुद कभी नहीं कर सकता . मैंने भी अपना इलाज खुद नहीं किया ,मम्मी की एक बार दी हुई दवा याद आ गयी ,बस दो घंटे में तकलीफ हवा हो गयी और अगले दिन तो तबीयत   एकदम चकाचक .पेट के नीचे इक हिस्सा होता है जिसे आम बोलचाल की भाषा में पेडू भी कहते हैं ,जब आपके शरीर [मूत्राशय] में मूत्र रुकेगा अर्थात यूरिया [जहर ]आपके कोमल शरीर में रुकेगा तो दस और बीमारियाँ पैदा होगी और जब पेडू दर्द करता है तो लोग कहते हैं कि पेट दर्द कर रहा है और ये दर्द जननांगों को ज्यादा प्रभावित करता है .अब आप खुद सोचें कि एक मूत्र पाल पोस कर आप कितनी बीमारियों को निमंत्रित कर लेते हैं ,मुझे तो त्रिलोक नजर आ गये .......

खैर....चलिए दवा पर बात करें --
दो चम्मच जीरा लीजिये उसे तवे पर भून लीजिये [तवा या कढ़ाही लोहे की हो ] आंच से नीचे उतारिये तीन या चार मिनट रुकिए फिर तवे ही पर कुच्कुचा लीजिये [पीस लीजिये] .अब उसमें आधा चम्मच नमक मिलाएं .तैयार चूरन को तीन बराबर भागों में बांटिये
एक भाग तुरंत पानी से निगल जाएँ और दूसरा भाग दो घंटे बाद और तीसरा भाग अगले दिन सुबह खाली पेट
बस दर्द ख़त्म ,रुका हुआ मूत्र सारा बाहर निकल जाएगा ,बिना दर्द के.
अब आपको अपना मूत्राशय शुद्ध  [साफ़] करना है
१००ग्राम धनिया लीजिये, दाने वाली,हरी पत्तियों वाली नहीं .और 50 ग्राम सोंठ ,दोनों को हल्का  सा कूट लीजिये, चूरन नहीं करना है ,अब उन्हें ३०० ग्राम पानी में उबालिए . जब आधा से भी थोड़ा कम पानी बचे तो उतार कर छान लीजिये ,ठंडा कीजिये ,रोज २५ ग्राम पीजिये ,१० दिन पी लिया तो मूत्राशय में पथरी ,सूजन ,संक्रमण जैसी चीजें भी ख़त्म हो जायेंगी  
अगर आपका वजन सामान्य से अधिक है तो ये आपको ५० ग्राम पीना होगा 
अंत में एक बात पानी खूब ज्यादा पीते रहिये ,और जैसे मैंने आपको बताने में संकोच नहीं किया वैसे ही आप भी संकोच त्याग कर घर के सारे लोगों का मूत्राशय शुद्ध करने पर तुल जाइए  .ये १००- ५०/- का खर्च आपके पचासों हजार रु बचाएगा
9889478084

 इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा