कितने खूबसूरत होते हैं हरसिंगार के फूल और कितने काम की इसकी पत्तियाँ
कभी आपने १५-२० वर्ष पहले पराक्सीन नाम की अंग्रेजी दवा खायी थी ? इसके पावडर का स्वाद और हरसिंगार की पत्तियों का स्वाद एक ही जैसा होता है. जब बुखार बहुत पुराना हो जाता था और किसी दवा से ख़त्म नहीं होता था तो उस समय पराक्सीन दिया जाता था.हरसिंगार का पेड़ आप सभी का जाना पहचाना पेड़ है,कितने लोग तो हरसिंगार की खुशबू के दीवाने होते हैं. आइये आज उसी हरसिगार का हम पोस्टमार्टम कर डालें.
इसे अंग्रेजी में Night Jasmine कहते हैं ,संस्कृत में- शेफालिका या पारिजातक भी कहते हैं.
इसके पत्तों, बीज और तने में- निक्तैथिक एसिड, बीटा, इरिडोइड, लिग्नोसेत्रिक , मियरिस्तिक एसिड, ओलिक एसिक, पामिटिक एसिड, स्तीयरिक एसिड, लिनोसेत्रिक, सितोस्तीराल, ग्लाइकोसाइद्स आर बोर ट्रिस्तोसाइड्स A, B, C, D ,E ग्लूकोमनान , एअस्त्रोग्लैनिन ,निक्तोफलोरीन, एस्कोर्बिक एसिड, कैरीतीन, टैनिन, फ्रक्टोज , ग्लूकोज, मैनीटाल, निक्तैन्थोसाइड, आरबोर साइड्स जैसे तत्व पाए जाते हैं.
इस पौधे के तने की छाल ,पत्ते, फूल और बीजों का दवाओं के रूप में प्रयोग होता है.
यह मूत्रल भी है, पसीना भी पैदा करता है, लीवर को भी उत्तेजित करता है, पेट साफ़ करता है, उत्तेजना पैदा करता है, बुखार ख़त्म करता है ,दर्द का तो दुश्मन है हरसिंगार.
अगर आपको कोई रोग न हो तब भी ठंड के दिनों में सप्ताह में एक बार हरसिंगार के पत्तों का काढा बना कर पी लीजिये. यह काढा शरीर में पनप रहे किसी भी रोग के कीटाणुओं को ख़त्म कर देता है.
सर में रूसी हो गयी हो तो हरसिंगार के बीज पीस कर पानी में मिलाइए और इसी पानी से बाल धो लीजिये .हफ्ते में तीन बार ही काफी रहेगा ,रूसी जड़ से ख़त्म.
सियाटिका के मरीजों को तो सप्ताह में तीन बार हरसिंगार की पत्तियाँ खूब अच्छी तरह उबाल कर अर्थात काढा बनाकर जरूर पीना चाहिए क्योंकि जाड़े में यह सियाटिका बहुत परेशान करता है.
हरसिंगार के बीज सर पर बाल भी पैदा कर देते हैं ,आप इन्हें पानी के साथ पीस कर चटनी बनाएं और सर में गंजेपन वाले स्थान पर लगा लीजिये.लगातार २१ दिन प्रयोग कीजिए.
पेट में केचुए या कीड़े हो तो पत्ते पीस कर उसका रस निचोड़िए और एक चम्मच रस में आधा चम्मच शहद मिला कर चाट लीजिये ,सुबह दोपहर शाम , दिन में तीन बार.तीन दिनों में ही सारे कीड़े मर जायेंगे.
खांसी न रुक रही हो और दमे में परिवर्तित हो गयी हो तो हरसिंगार के तने की छाल का पावडर लगभग चार चुटकी भर लीजिये और पान के पत्ते में रखकर मरीज को दिन में चार बार चूसने को दीजिये.
शरीर में कहीं दर्द हो रहा हो तो या तो इसके पत्तों का काढा पीजिये या फिर पत्तो को पीस कर रस निकालिए और बराबर मात्रा में अदरक का रस उसमे मिलाइए और पी लीजिये. दोनों का रस २-२ चम्मच हो तो अच्छा है.
मलेरिया का बुखार हो तो २ चम्मच हरसिंगार के पत्ते का रस , दो चम्मच अदरक का रस और दो चम्मच शहद मिला कर दिन में २ बार पिला दीजिये.
घुटनों के दर्द से परेशान रहने वालो और सियाटिका के मरीजो के लिए तो ठंड के मौसम में हरसिंगार वरदान है.
इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा
किशोरावस्था की दहलीज पर कदम रखते ही जो सबसे बड़ी मुसीबत बच्चों को झेलनी होती है उसका नाम होता है मुंहासे.
अच्छा-खासा ख़ूबसूरत चेहरा बिगड़ कर दागी चन्द्रमा से भी बदतर हो जाता है
लड़के लडकियां एक-से बढ़कर एक क्रीम, लोशन, साबुन वगैरा वगैरा इस्तेमाल करते हैं मगर नतीज़ा वही ढाक के तीन पात .
अंततः काफी पैसा बर्बाद करके बैठ जाते हैं और नहीं तो चेहरा ही खराब कर लेते हैं .
आइये आज इसी मुंहासे का घरेलू इलाज करते हैं यानी पैसे का सदुपयोग --
जायफल
क़ाली मिर्च
लाल चन्दन
तीनो का पावडर बराबर मात्रा में लीजिये ,मिला लीजिये .रख लीजिये.रोज सोने से पहले २-३ चुटकी भर के पावडर हथेली पर रखिये उसमें इतना पानी मिलाइए कि पेस्ट बन जाए खूब मिलाइए खूब मिलाइए .फिर उसे चेहरे पर रगड़ लीजिये और चादर तान के सो जाइए ,सुबह उठ कर सादे पानी से चेहरा धुल लीजिये .१५ दिन तक ये काम कीजिए.
अब दूसरा काम जो आपको इसी के साथ करना है वो ये है कि आप रोजाना २५० ग्राम मूली खाएं ताकि खून एकदम शुद्ध हो जाए और अन्दर से स्किन को साफ़ खून मिला करे.
आप खुद देखेंगे कि १५- २० दिन में आपकी स्किन का कायापलट हो जाएगा.
इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा
सरसों का तेल कोई नई चीज़ नहीं है आपके लिए
लेकिन है बड़े काम की चीज़
बस रात में सोते समय दोनों नाक में दो दो बूँद डाल लीजिये . पांच दिनों तक लगातार ये काम कीजिए ,उसके बाद जब कभी याद आ जाए तो फिर डाल लीजिएगा .
इसके फायदे---
**जो खांसी किसी दवा से अच्छी न हो रही हो वह इस प्रक्रिया से अच्छी हो जायेगी
**श्वास लेने में होने वाली सारी तकलीफें ख़त्म
**शरीर में हल्कापन महसूस होगा
**श्वास फूलना ख़त्म
**नाक बंद हो जाना, ख़त्म . बड़ी तकलीफ होती है जब जाड़े के दिनों में नाक जाम हो जाती है और मुंह से श्वास लेनी पड़ती है, छोटे बच्चे तो इस तकलीफ से सबसे ज्यादा परेशान होते हैं और रो रोकर पूरा घर सिर पे उठा लेते हैं.
और आसानियाँ तो आप जब ये काम करेंगे तो खुद ही महसूस करेंगे.
परवल दो तरह के होते हैं -एक कडुवा और दूसरा मीठा
बाज़ार में केवल मीठे परवल ही आते हैं जिनकी हम सब्जी खाते हैं. इसकी लताएँ होती हैं ,जो घरों में गमले में लगाई जा सकती हैं. एक बार लगाने पर एक से ज्यादा फसल इनसे मिलती है.
परवल बनाने के तो हजार तरीके प्रचलित हैं ,पर आइये आज देखते हैं कि इनका औषधीय उपयोग क्या है?
***सबसे पहले यह देखिये कि परवल में खून शुद्ध करने का बहुत महत्वपूर्ण गुण पाया जाता है. अगर शरीर में फोड़े -फुंसियां ज्यादा मात्रा में निकाल रही हैं तो बस परवल की कम मसालेदार सब्जी खाना शुरू कर दीजिये २१ दिनों में ही खून की सारी अशुद्धता दूर हो जायेगी और फोड़े फुंसियां निकलना बंद हो जायेंगी
***अगर कहीं आपको कडुवा परवल मिल जाए तो वो आपके गंजेपन को चुटकी बजाते ही दूर कर देगा. कडुवे परवल का रस निकालिए और उसे गंजे सर पर सिर्फ सात दिनों तक लेप कीजिए और रात भर छोड़ दीजिये , नए बाल उग आयेंगे
*** परवल के पत्तों का रस भी गंजेपन को दूर कर देता है ,२१ दिन लगाना पडेगा
*** चेचक निकली हो तो परवल की जड़ का काढा बस दो बार आधा आधा कप पिला दीजिये
*** अगर सर में दर्द हो तो परवल की जड़ को घिस कर मलहम बना लीजिये और उसे माथे पर लेप दीजिये, फ़ौरन आराम मिलेगा
*** हैजा हो गया हो तो परवल और इसके पत्ते की ही सब्जी बार बार खिलाये ,बेहद आराम महसूस होगा .
*** अपच की शिकायत हो या पेट कमजोर हो तो परवल और इसके पत्तों का काढा बनाइये और मिश्री या शक्कर मिला कर आधा आधा कप सुबह शाम ३ दिनों तक पिला दीजिये
देखा आपने परवल कितना गुणकारी होता है ,भला डाक्टर्स इसे खाने की राय न दें तो क्या करें ,इसकी उपेक्षा बहुत मुश्किल है.
मुझे उम्मीद है कि आप लोग खोज-खाज कर दोनों तरह के परवल अपने गमलों में लगा लेंगे क्योंकि बाजार में तो सिर्फ परवल मिलता है ,इसके पत्ते और जड़ तो मिलते नहीं .
सिर्फ मरीजों की सब्जी नहीं है परवल
कुछ स्वास्थ्य सुझाव अब
कादम्बिनी पत्रिका में भी प्रकाशित हो रहे हैं - ये है जून अंक २०१० की झलक---