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मंगलवार, 13 मार्च 2012

कचनार




कचनार का फूल कितना खूबसूरत होता है ,देखते ही बस जी मचल जाता है .अरे ये है भी बहुत उपयोगी .अगर पूरा देश जान जाए की ये किस रोग की दवा है तो बस ये समझ लीजिये की बेचारा दुर्लभ फूल की श्रेणी में आ जाएगा . हो सकता है की तब सरकार को इसे प्रतिबंधित फूल घोषित करना पड़े.
कचनार का पेड़ ८ फीट तक उंचा हो जाता है.कही कहीं १५ से २० फीट की भी ऊँचाई देखी गयी है .थाईरायड और कुबड़ेपन का इलाज इस कचनार से किया जा सकता है.
इसके तने की छाल भी दवा के काम आती है ,इसमें शर्करा और टैनिन्स की बहुत मात्रा पायी जाती है.साथ ही मिर्सीताल और ग्लाइकोसाइड भी मौजूद है. इसकी छाल के काढ़े में बावची के तेल की २०-२५ बूंदे मिलाकर रोज पीने से बहुत पुराना कोढ़ भी ख़त्म हो जाता है. अगर कुबडापन हो तो बच्चे को इसकी छाल के काढ़े में प्रवाल भस्म मिला कर पिलानी चाहिए.पीले कचनार के पेड़  की छाल का काढा आंतो के कीड़े को मार देता है.मुंह के छाले किसी दवा से ठीक न हो रहे हों तो कचनार की छाल के काढ़े से गरारे और कुल्ला कीजिए ,फिर देखिये चमत्कार. 
कचनार के फूल थाईरायड की सबसे अच्छी दवा हैं. इसके फूल में हेन्त्रीआक्टें, बीटा- सितोस्टीराल, ओक्ताकोसनाल, स्तिग्मास्तीराल ,फ्लेवोनाइड आदि पाए जाते हैं.
आपको हाइपो हो या हाइपर थाईराइड कचनार के तीन फूलों की सब्जी या पकौड़ी बनाकर सुबह शाम खाएं.२ माह बाद टेस्ट कराएँ.
गले  में  गांठे  हो  गयी  हों  तो  कचनार  की  छाल को चावल के धोवन में पीसिये उसमे आधा चम्मच सौंफ का पावडर मिलाकर खा लीजिये ,एक महीने तक खाएं. 
खूनी बवासीर में कचनार की कलियों के पावडर को मक्खन और शक्कर मिलकर खाएं ,११ दिन लगातार.
आँतों में कीड़े होंतो कचनार की छाल का काढा पियें.१०-११  दिनों तक.
खूनी आंव हो रहे हों तो कचनार का एक एक फूल सुबह दोपहर शाम चबाएं,३ दिनों तक
आपका पेट निकल रहा हो तो आधा चम्मच अजवाइन को कचनार की जड़ के काढ़े से निगल लीजिये.१०-११ दिनों तक.
लीवर में कोई तकलीफ हो तो कचनार की जड़ का काढ़ा पीयें
गले की कोई भी ग्रंथि  बढ़ जाने पर कचनार के फूल या छाल का चूर्ण चावलों के धोवन में पीस कर उसमे सोंठ मिलकर लेप भी किया जा सकता है और पिया भी जा सकता है.
कचनार की टहनियों की राख से मंजन करेंगे तो दांतों में दर्द कभी नहीं होगा ,अगर हो रहा होगा तो ख़त्म हो जायेगा.
खून शुद्ध करने के लिए कचनार की कलियों का काढा पी सकते हैं.
रक्त प्रदर में इसकी कलियों के काढ़े में शहद मिलाकर पीजिये.
वैसे अगर आपके घर में कचनार का पेड़ हो तो आप इसकी कलियों का गुलकंद बनाकर रख लीजियेगा. बड़ा काम आता है ,बिना रोग के खाने में भी बहुत मजेदार होता है.








इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा