आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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शनिवार, 25 सितंबर 2010

ये पथरी की दवा है-

पिछली पोस्ट में मैंने पथरी  से बचने  का तरीका सुझाया था
अगर आपके शरीर में पथरी नहीं बनी है या आप एक बार पथरी का आपरेशन करा चुके हैं तो वह तरीका जरूर अपनाएं ,किन्तु अगर शरीर में पथरी है तो उसकी दवा----
एक ग्राम इन्द्रायण की जड़ का चूर्ण और एक ग्राम मूसली का चूर्ण लीजिये .उसे थोड़ा पानी डाल कर खूब मिलाइए जब पेस्ट अच्छी तरह बन जाए तो उस पेस्ट को पूरे एक गिलास पानी में अच्छी तरह मिलाइए और पी जाइए ,  सात दिनों तक पीना है पथरी गल के शरीर से बाहर हो जाएगी लेकिन आप शुरुआत आधे आधे ग्राम चूर्ण से कीजिए तो ज्यादा अच्छा रहेगा.
इस दवा को शुरू करने से पहले पंद्रह दिनों तक अश्वगंधा का चूर्ण खा लेते हैं तो थोड़ा अच्छा लगेगा




इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा