आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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शुक्रवार, 18 जून 2021

छोटे नुस्खे

***** आपको लगता है कि गले में कुछ फंसा हुआ है।आवाज स्पष्ट नही है या सीने में भारीपन है तो सिर्फ एक काम कीजिये।एक जग में गुनगुना पानी लीजिये और आराम से आल्थी पालथी मार के बैठ जाइए।मुंह में पानी भरिये और तब तक भरे रहिये जब तक असहनीय न हो जाये फिर पानी बाहर। दो चार लम्बी लम्बी सांसे लीजिये फिर दुबारा मुंह में पानी भरिये और सहन की सीमा तक शांति से बैठिये।इस तरह से 5 बार तो कीजिये ही।

इस पानी मे अगले दिन अजवाइन का काढ़ा भी मिला सकते हैं।

रिस्पांस जरूर बताइयेगा।🙂

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 औषधि का निर्माण तो किया है ब्रेड के ब्लैक फंगस पर ट्राई भी किया खांसी और सूखते गले पर भी सफल प्रयोग किया।अब आप को समर्पित।
इसको मैं अगर टैबलेट बना पाती तो चूसने से ही लाभ मिलता किन्तु तैयार चूर्ण को शहद से चाटना होगा।
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 अद्भुत योग है भाई आयुर्वेद में, जितने महीने इसका सेवन करेंगे उतने सौ वर्षों तक जीयेंगे।
इसका सेवन ऋषि मुनिगण अवश्य किया करते थे।
हाँ औषधि के बाद मूंग चावल और घी आंवला की खिचड़ी खाने का नियम है बिना नमक की।
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*गाय का घी*

गाय का पुराना घी केवल बाहरी उपचार के लिए उपयोगी है।सेवन करने के लिए गाय का ताजा घी ही उत्तम रहता है।

2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

जी,हम गरम पानी में नमक डाल कर करते है।

Unknown ने कहा…

वजन बढाने के उपाय बताये।