आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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सोमवार, 2 मार्च 2009

स्वास्थ्य और जडी-बूटियाँ

सबसे पहले मैं धन्यवाद् देना चाहती हूँ -हिन्दयुग्म को एवं माननीय शैलेश भारतवासी जी को , जिनके कारण मैं आपसे मुखातिब होने के काबिल हो सकी।



अब असली बात :-



प्रकृति ने हमें समस्त जीवधारियों में सबसे खूबसूरत शरीर प्रदान किया है इस मानव शरीर में अद्भुत क्षमताएं विराजमान हैं। साथ ही प्रकृति ने इन क्षमताओं को निरंतर बढ़।ने और इन्हें यथावत बरकरार रखने के लिए अमृत तुल्य वनस्पतियाँ भी हमें प्रदान की हैंये वानस्पतिक ओषधियाँ हमारे शरीर पर जादुई असर डालती हैं। आयुर्वेदिक पद्धतियाँ सिद्धांततः प्रकृति - प्रद्दत जडी बूटियों पर ही आधारित है। किंतु अज हम इन प्राकृतिक उपहारों को भी भूल चुके हैं नतीजतन प्रकृति की अवहेलना का सीधा असर हमारे शरीर पर पड़रहा है, और हम सिर्फ़ और सिर्फ़ छटपटा रहे हैं।

सफ़ेद मूसली एक ऐसी प्राकृतिक वनस्पति है जिसका नाम अज लोगो के लिए अनजाना नहीं रह गया है किंतु मूसली का उपयोग अज भी एक रहस्य ही है। जबकि यह एक जादुई ओषधि है जो एक - दो अन्य वनस्पतियों के साथ मिल कर वह प्रभाव पैदा कर देती है की शरीर ख़ुद ही में आश्चर्य का अनुभव करता है। भारतवर्ष अज भी विश्व में ओषधीय जडी बूटियों एवं प्राकृतिक उपचार पद्धतियों का सिरमोर माना जाता है लेकिन तथ्य यह है की भारतीय अपनी ही इस सम्पदा का लाभ नहीं उठा पाते । सवा सो करोड़ की आबादी वाले इस देश में ओलंपिक खेलों में सिर्फ़ एक गोल्ड आता है जबकि वहीँ चीन सो गोल्ड जीतता है, आख़िर इसके पीछे क्या कारन है? कोरियाई ओलंपियन तो स्पष्टतया स्वीकार करते हैं की हमने जडी बूटियों का सेवन किया और इतने पदक जित लाये। तो फ़िर भारतीय खेल विभाग इस तरफ ध्यान क्यों नहीं देता ? अगर शारीरिक क्षमता के प्रदर्शन वाले खिलाड़ी सफ़ेद मूसली + का सेवन करें तो उनकी क्षमता तिन गुनी तक बढ़ सकती है और यह ऐसी ओषधि है जो डोप टेस्ट से मुक्त है । सफ़ेद मूसली प्रचलित ओषधि जिन्सेंग से कई गुणों में आगे है।
यह एक ऐसी दिव्य ओषधि है जो किसी भी कर्ण से मानव में आई कमजोरी को दूर करने की क्षमता रखती है। यह कमजोरी बच्चों में उम्र बढ़ने से भी पैदा हो सकती बूढ़।पे की वजह से , या नारियों में प्रसव के बाद या फिर योंन शक्ति के ह्रास के कारन या फिर कुछ और कारणों से भी हो सकती है। तमाम च्यवनप्राशों का एक मुख्या घटक सफ़ेद मूसली भी है। यह एक महत्वपूर्ण रिजोवेनेतिव तथा अति प्रभाव शाली वाजीकरण ओषधि है। शरीर में बढ गये वात और पित्त केखात्मे के लिए भी इसका प्रयोग होता है। चेहरे पर निखार तो इसके सेवन मात्र से आ जाता है । इसका प्रयोग काली खांसी , अस्थमा , बवासीर ,चर्मरोग ,पीलिया ,मूत्ररोग ,ल्योकोरिया , नपुंसकता दूर करने ,योंन शक्ति बढ़। ने तथा शारीरिक ताकत बढ़। ने एवं मधुमेंह के उपचार हेतु तमाम ग्रंथों में वर्णित है। सफ़ेद मूसली में ४२% कार्बोहाइद्रेट ,८%प्रोटीन , २-१८%सैपोजिंस , ४% रेशा,विटामिन-ऐ ,बी ,दी ,के ,तथा इ , ७-२० % खनिज लवण , एल्केलाइड्स २५ के अतिरिक्त ग्लोकोसाइड्स , अमिनोएसिड्स , स्तिरिओसाइड्स तथा फोलिकएसिड भी पाए जाते हैं ।

5 टिप्‍पणियां:

शैलेश भारतवासी ने कहा…

सहयोग तो कहीं न कहीं से मिल ही जाता है, मुख्य बात है कि जानने और सीखने की उत्कंठा हो। वो आपमें थी। ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है।

नीरज गोस्वामी ने कहा…

इतनी महत्वपूर्ण जानकारी के लिए शुक्रिया...
नीरज

narendra ने कहा…

upyog keese karna hee bataye



dhanyvad
narendra dewangan ranitarai

narendra ने कहा…

upyog keese karna hee bataye



dhanyvad
narendra dewangan ranitarai

narendra ने कहा…

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