आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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सोमवार, 6 अप्रैल 2009

सीधा उपचार

aआयुर्वेद विश्व की सबसे प्राचीन एवं सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा पद्धति है। यह जीवन का विज्ञान है। इसमें कायाकल्प कर देने की शक्ति निहित है। आयुर्वेदिक जडी बूटियाँ ख़ुद में दिव्य शक्ति रखती हैं । यह तत्काल अपना प्रभाव दिखाती हैं और मनुष्य को रोगों से मुक्ति दिलाती हैं। अत: सुंदर,स्वस्थ एवं दीर्घ जीवन की प्राप्ति हेतु आयुर्वेद अपनाईये। जडी बूटियों का सेवन करते हुए निरोग बने रहिये, आप चाहें तो अपने पास-पड़ोस में खाली जमीन का सदुपयोग करते हुए औषधीय वृक्ष एवं जडी बूटियाँ उगा सकते हैं । ये गमलों में भी उगायीं जा सकती हैं।

जडी-बूटियों के प्रयोग की पद्धति भी एक ख़ास कला है। हम लोगों ने कुछ रोगों के उपचार हेतू इस कला में महारत हासिल कर ली है। इस ज्ञान से आप भी लाभान्वित हो सकते हैं तथा अन्य लोगों की भी मदद कर सकते हैं ।

हैजा [कालरा] होने पर सफ़ेद मदार की पत्ती रोगी की मुट्ठी में बंद करवा दे । उलटी बंद होकर हैजा का प्रकोप नष्ट हो जायेगा ।

अतिसार [डायरिया] होने पर जायफल को पानी के साथ घिस कर नाभि में लगा दीजिये दस्त बंद हो जायेगा।

साँप का ज़हर --
ज्येष्ठ माह में सफ़ेद पुनर्नवा [पत्थर चट्टा की एक प्रजाति ]की जड़ को पीसकर चावल के धोवन पानी के साथ पीने से एक वर्ष तक सांपका विष नहीं चढ़ सकता । यदि किसी सांप ने उस व्यक्ति को काट लिया तो व्यक्ति सुरक्षित रहेगा और सांप मर जायेगा
या
सिरिख [सिरसा] वृक्ष की पत्ती,तना , जड़ बड़े -बड़े विषधर नागों को भगा देती है।
या
वायविडंग की घिस कर चावलों के धोवन के साथ पिलाने से भीषण साँपों का विष नष्ट हो जाता है ।
कुत्ते का विष --सफ़ेद मदार की सात कोंपलें [नई पत्तियां ]गुड में मसल कर गोली बना कर खिलाएं । फिर एक माह बाद पाँच पत्ती गुड में लपेटकर खिला दें। कुत्ते का विष नष्ट होजायेगा। यह दवा सियार ,सांप और बन्दर के काटने पर भी काम करती है।
या
भेड़ का बाल और चावल बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें और गोलियाँ बना लें । ये गोलियाँ चावल के धोवन के साथ किला दें। यह भी विष नष्ट करने की अच्छी दवा है।


चेचक --इसके निकलने पर रोगी के दाहिने हाथ में हर्रे बाँध दे तथा परिवार के और सदस्यों के हाथ में भी बाँध दे की में हाथ तथा का बाँध को पानी के कर भी बाँध । इससे रोग एक हो दूसरे को नहीं लगेगा । रोगी के बिस्तर पर साफ़ नीम की पत्तियां बिछा दें । चेचक के फफोलों में जलन कम हो जायेगी तथा जल्दी रोग से मुक्ति मिलेगी ।

पीलिया --- रोगी को धतूरे के पाँच फूलोंका उपरी आधा हिस्सा मसल कर पान में गोली बनाकर सवेरे खाली पेट चुसा दें । एक खुराक में ही पीलिया खत्म । रोगी अगर ज्यादा कमजोर हो तो पहले दिन ३ पुष्प, दूसरे दिन२ पुष्प और तीसरे दिन १ पुष्प का ऊपरी हिस्सा गोली में प्रयोग करें । यह दवा ५ वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए नहीं है ।
या
काली मिर्च का छ :ग्राम चूर्ण शहद में मिला कर चटायें।
या
गाय का मूत्र तीन दिनों तक एक-एक चम्मच पिलायें ,एक घंटे बाद आधा ग्राम तक लौह भस्म गुड के साथ खाने से शीघ्र लाभ होता है ।
आग से जलने पर-- जली हुयी जगह पर एलोवीरा [घ्रीतकुमारी ] की पत्ती का रस लगाने से जलन ख़त्म हो जायेगी और छाला बैठ जायेगा साथ ही शरीर पर सफ़ेद दाग नहीं पडेगा ।







8 टिप्‍पणियां:

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत काम की जानकरी दी आपने. धन्यवाद.

रामराम.

'' अन्योनास्ति " { ANYONAASTI } / :: कबीरा :: ने कहा…

अलकाजी , आप की टिप्पणी पाकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि कमसे कम एक सामान रूचि-धर्मी और सबसे बड़ी बात कि विषय के जानकर ने पोस्ट पर अपनी मूल्यवान टिप्पणी दी है ;आपका आभारी हूँ ,धन्यवाद ! आप से बहस करने के स्तर का तो नहीं हूँ ,परन्तु जिज्ञासु अवश्य हूँ , क्यों कि जितना मैंने विषय पर अध्ययन कर पाया हूँ उससे भी यही समझा हूँ कि आधार - कोशिकाएं अपने आप में मूल कोशिकाएं ही होती हैं और यह केवल भ्रूण के ब्लोस्टोमा स्टेज के पूर्व ही होती हैं ,क्योंकि ब्लोस्टोमा स्टेज में तो उनकी प्रोग्रामिंग हो कर वे निर्देशानुसार - समूहीकृत हो कर अपने निर्धारित विकास कि और अग्रसारित हो चुकी होती हैं इसी लिए इन्हें स्टेम - सेल्स या ब्लोस्टोमा कोशिकाएं ही कहना उचित होगा ;वास्तव में आधार-कोशिकाएं तो केवल गर्भनाल के रक्त में ही होती हैं | वैसे भी मेरा विचारणीय विषय दूसरा ही है , जिस पर मैं विगत लगभग ४५ वर्षों से कार्य कर रहा हूँ और इसी क्रम में उपरोक्त विषय को उठाया था कि अपनी बात के पक्ष में आधुनिक विज्ञानं का साक्ष्य प्रस्तुत कर सकूँ विषय सृष्टि - रचना है \वैसे स्नातक स्तर पर मेरा विषय जीव-विज्ञानं ,भूगर्भ शास्त्र एवं वनस्पति -विज्ञानं रहा है | आप का यह ब्लॉग तो मेरी रूचि का है आवागमन लगा रहेगा \ विविधा पर आप के आगमन का सदैव आकांक्षी रहूँगा \

दिल दुखता है... ने कहा…

हिंदी ब्लॉग की दुनिया में आपका सादर स्वागत है.... सुन्दर ब्लॉग...

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

आपका ब्लॉग जगत में स्वागत है ,आपने जो जानकारी दी है उसका वैज्ञानिक परीक्षण करनें की आवश्यकता है -खास तौर पर सांप और कुत्ते के काटने पर जो दवा आपने बताई है वह नहीं माना जा सकता .

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

स्वागत है.....शुभकामनायें.

Ashok Kumar pandey ने कहा…

swagat.
dekhen mera blog
http://asuvidha.blogspot.com
naidakhal.blogspot.com

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…

हिंदी ब्लॉग की दुनिया में आपका सादर स्वागत है....