आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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सोमवार, 20 अप्रैल 2009

सर्पगंधा ;एक दिव्य औषधि

यह नाम ही आपको चौंका रहा होगा । सर्पगंधा अर्थात वह वस्तु जो सर्पों को दूर भगाए। इसकी गंध से सांप दूर भागते हैं। हमारे भारत में लगभग चार सौ सालों से इसका प्रयोग दवा के रूप में किया जा रहा है । इसकी जड़ों में ''रिसर्पिन '' नामक एल्केलाईड पाया जाता है जो उच्च रक्तचाप की अचूक दवा है। इसके अलावा २६ एल्केलाइड्स और पाये जाते हैं जो भिन्न-भिन्न रोगों के उपचार में काम आते हैं। ये हैं--सरपेनटाईन ,सरपेंटाअनाईन , अज्मेलाईन ,अजमेलिसाईन , रवोल्फिनाईन ,योहिम्बाइन ,रेसिनेमाइन ,डोज़र्पिदाइन वगैरा। इसकी जडों में स्टार्च तथा रेजिन पाया जाता है । इसकी जड़ों से बनाई जाने वाली भस्म में पोटेशियम कार्बोनेट ,फास्फेट ,सिलिकेट ,लोहा तथा मैगनीज मौजूद होते हैं ।
पूरे विश्व में इसकी सूखी जड़ों की सलाना मांग २०,००० टन की है .हालांकि श्रीलंका ,थाईलैंड ,बर्मा ,पाकिस्तान आदि देशों में भी यह पैदा होता है किंतु भारतीय सर्पगंधा को सबसे अच्छा माना जाता है। इसका उपयोग पूरे विश्व में केवल परंपरांगत ही नहीं बल्कि आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों में भी धड़ल्ले से किया जाता है ।
उपयोग-------1-हांई ब्लड प्रेशर के उपचार हेतु सर्पगंधा सम्पूर्ण विश्व में सर्वोत्तम औषधि मानी जाती है । इसके उपयोग से उच्च रक्तचाप में जादुई कमी आती है,नींद भी अच्छी आती है तथा भ्रम आदि मानसिक विकारों में भी आराम मिलता है । यदि आपको उपरोक्त तकलीफें हैं तो सर्पगंधा की जड़ के चूर्ण का आधा छोटा चम्मच दिन में दो या तीन बार सेवन कीजिये ,परिणाम मनोनुकूल मिलेगा ।
२--------अगर आप अनिद्रा के रोगी हैं तो रात को सोने के समय १/४ छोटा चम्मच सर्पगंधा की जड़ का पावडर घी के साथ मिला कर खा लें ,नींद आ जायेगी। खांसी वाले रोगियों की अनिद्रा में भी यह लाभदायक है ।
३-------परंपरांगत चिकित्सा में सर्पगंधा का प्रयोग पागलपन की दवा के रूप में भी किया जाता रहा है । उन्माद और अपस्मार में जब रोगी बहुत अधिक उत्तेजना का शिकार हो जाता है तो एक ग्राम चूर्ण २५० मिलि० बकरी के दूध के साथ खिलाएं ,चूर्ण में गुड मिला लें ,यह दिन में दो बार दीजिये ,आराम दिखायी देगा । किंतु यह दवा लो ब्लड प्रेशर वालों के लिए नहीं है।
नाम-------हिन्दी में धवलबरुआ ,चंद्रभागा ,छोटा चाँद ..........संस्कृत में सर्पगंधा ,धवल विटप , चंद्रमार ,चन्द्रिका ............बिहार में धनमरवा ,चंदमरवा ,इसरगज .................उड़िया में पातालगरुड़ ............बंगाली में चान्दर्ण ..............मराठी में साय्सन ,अद्कई ..............गुजराती में अमेल्पोदी
...........तेलगू में पातालागानी.............. तमिल में चिवनअमलपोडी ,सर्प्गंठी ............मलयालम में चिवन , अवाल्पोदी ..............कर्णाटक में सुत्रनावी आदि नामों से पुकारा जाता है जबकि इसका वैज्ञानिक नाम है ----रावोल्फिया सर्पेतिना ।

7 टिप्‍पणियां:

Shastri JC Philip ने कहा…

उच्च रक्तचाप के लिये सर्पगंधा के गुण मैं कई साल अनुभव कर चुका हूँ.

सस्नेह -- शास्त्री

नदीम अख़्तर ने कहा…

बहुत अच्छी जानकारी दी है आपने। आपका बहुत बहुत धन्यवाद। ऎसी ही जानकारी देती रहें।
वैसे आपको कैफे हिन्दी टाइपिंग टूल हिन्दी युगम के स‌ाइट स‌े मिल जायेगा।
रांचीहल्ला

इष्ट देव सांकृत्यायन ने कहा…

अच्छी जानकारी दी है. बेहतर होगा कि इन औषधीय पौधों के बारे में जानकारी चित्र सहित दें. इससे ऐसे लोगों के लिए सुविधा होगी जो इन वनस्पतियों को पहचानते नहीं, पर इनका उपयोग करना या इन्हें लगाना चाहते हैं.

सागर नाहर ने कहा…

अनितासिंह जी के रेसेपी ब्लॉग पर टिप्पणी से आपके ब्लॉग लिंक मिला। आप इतने समय से लिख रही हैं और मैं पहली बार आपके इस सुन्दर ब्लॉग को देख रहा हूं। पता नहीं अब तक कितनी अच्छी चीजें देखने से मै यूं ही वंचित रह गया।
खैर, आपका ब्लॉग तो एक दस्तावेज है। बुक मार्क कर लिया है जैसे जैसे सम्य मिलता जायेगा, पूरा पढ़ेंगे और डायरी में काम के नुस्खों को नोट भी करेंगे।
बहुत से अछे नुस्खे मिले भी हैं।
इस पोस्ट के सन्दर्भ में- हमारे राजस्थान में सर्पगन्धा को ( पौधे को देखने से ऐसा लग रहा है) मरवा कहते हैं। पर हमारे यहां लोग कहते हैं कि इसकी खुशबु से साँप खिंचा चला आता है, और आपकी यह पोस्ट कहती है कि यह साँपों को दूर भगाता है।
थोड़ा सा असमंजस है, कृपया स्पष्ट करें।

॥दस्तक॥,
गीतों की महफिल,
तकनीकी दस्तक

Unknown ने कहा…

कितने दिनों में बीपी से राहत मिलती है इसके सेवन से

Unknown ने कहा…

कितने दिनों में बीपी से राहत मिलती है इसके सेवन से

Unknown ने कहा…

मैंने इसका प्रयोग अनेक मानसिक रोगियों पर करवाया है। यह प्रशंसा योग्य है।