आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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सोमवार, 3 अगस्त 2009

शरीर की कोशिकाओं को दीजिये नयी ताकत


हमारा शरीर हजारों लाखों कोशिकाओं [सेल] से मिल कर बना है। ये सेल निरंतर बनते हैं और निरंतर नष्ट भी होते रहते हैं । आपने छिपकली को देखा होगा ,उसकी पूंछ कट कर गिर जाती है और कुछ ही दिनों में फ़िर नयी निकल आती है। इसे पुनरुद्ध्भवन की प्रक्रिया कहते हैं। लेकिन सोचिये, यदि हमारा हाथ कंधे से कट जाए तो क्या नया हाथ उगेगा? पुनरुदभवन का ये वरदान मानव शरीर को भी मिला हुआ है। परन्तु ये प्रक्रिया हमारे शरीर में बहुत धीमी गति से होती है ,घाव भरना ,टूटी हड्डियों का पुनः जुड़ जाना इसी प्रक्रिया के तहत होता है। नयी कोशिकाएं बन कर नष्ट हुई कोशिकाओं का स्थान ले लेती हैं। यही नये सेल बनने की प्रक्रिया अगर हम अपने शरीर में तेज कर लें तो अपने बुढापे को १५ -२० साल आगे धकेला जा सकता है। बुखार, सरदी ,खांसी ,जुकाम, टूटन ,थकन जैसी बीमारियाँ या तो होगी ही नहीं या फ़िर ४-५ घंटे में ठीक हो जायेंगी। घाव ,फटी एडियाँ ,फटे होट ,मुंहासे बिना कोई दवा लगाये ठीक हो जायेंगे।मैं आज आपको ऐसे ही एक अमृत के बारे में बताती हूँ-----

अश्वगंधा की जड़ों का चूर्ण बना लीजिये। लेकिन ध्यान रहे अश्वगंधा की वही प्रजाति होनी चाहिए जिसके बारे में आपको इसी ब्लॉग पर मैं बता चुकी हूँ। ] इस चूर्ण को आप चाय ,दूध , दाल ,सब्जी ,चावल ,अर्थात वे भोज्य पदार्थ जो पानी के साथ पकाए जाते हैं ,में ५ ग्राम की मात्रामें मिला कर पका लीजिये। ५ ग्राम की मात्रा एक व्यक्ति को एक दिन में लेनी है। अगर घर में ५ लोग हैं तो प्रत्येक व्यक्ति अपनी दाल की कटोरी या अपने चाय के एक कप में मिला कर पका लें।

.यह दवा किसी भी उम्र के लोग ले सकते हैं। गर्भवती महिलाएं भी धड़ल्ले से सेवन कर सकती हैं । होने वाले बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता इतनी तेज होगी की छोटी-मोटी बीमारियों का उस पर कोई असर नहीं पडेगा। अगर आप इसे २५ वर्ष की उम्रसे ले रहें हैं तो आप बुढापे का एहसास ७० के बाद ही करेंगे ,झुर्रियां ,घुटने का दर्द ,कमजोरी सब गायब रहेंगी।

अब आप प्रयोग करें और अपने शरीर में नयी कोशिकाओं के तेजी से बनने का मार्ग प्रशस्त करे। कोई और जिज्ञासा हो तो मुझे फोन/मेल कर सकते हैं ।

सर्वे सन्तु निरामयाः ॥

22 टिप्‍पणियां:

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

बहुत उपयोगी जानकारी है। यह तो पच्‍चीस बरस पहले मिल जानी चाहिए थी। खैर .... देर से ही सही, पर अभी देर नहीं हुई है। जल्‍दी ही शुरू करूंगा।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

अविनाश जी पोन्धा भेजूं एक आपके लिये ?

RAJNISH PARIHAR ने कहा…

bahut hi achchi jankaari.....

Atulyakirti Vyas ने कहा…

जानकारी बहुत ही बढ़िया है, लेकिन अश्वगंधा की प्रजातिवाले ब्लॉग का लिंक अगर दिया होता तो पाठक आसानी से आपके फार्मूले का प्रयोग कर सकते थे, अथवा उक्त प्रजाति का नाम इसी के साथ ब्लॉग में दिया जाता तो यह पोस्ट तात्कालिक रूप से उपयोगी सकती थी.कृपया अश्वगंधा की प्रजाति का नाम जल्दी बताएं. आपके श्रेष्ठ प्रयास ले लिए साधुवाद स्वीकारें. आदर सहित
अतुल्यकीर्ति व्यास
atulyakirti@gmail.com

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

पौधा अवश्‍य

भेजिए आपके यहां पर तो

बहुतायत में मिलते होंगे

आभारी रहूंगा।

Unknown ने कहा…

umda jaankaari
upyogi post...........
mere kaam ki post !

badhaai is anupam post k liye !

Atulyakirti Vyas ने कहा…

आदरणीय,
आपका ब्लॉग और भी अधिक उपयोगी हो सकेगा, जैसा की आप चाहते हैं, तो कृपया इसमें कॉपी-पेस्ट की सुविधा अवश्य शामिल करें. आप की प्रत्येक जानकारी संग्रहणीय है, ताकि विषम परिस्थितियों में भी ऑफ लाइन रहकर/नेट न होनेपर भी आप के ज्ञान का उपयोग किया जा सके. जैसा कि अथर्ववेद में कहा गया है कि-
"शत हस्त समाहर सहस्रहस्त सं किर.
कृतस्य कार्यस्य चेह स्फातीं समावह".
अपने ज्ञान को हज़ार हाथों से बांटना चाहिए.....
(आप की ही पोस्ट से उद्धृत, दिनांक 07/18/2009.)
आदर सहित
अतुल्यकीर्ति व्यास
atulyakirti@gmail.com

श्यामल सुमन ने कहा…

अच्छी जानकारी दी आपने।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

Gyan Darpan ने कहा…

बहुत अच्छी जानकारी !

Ishwar ने कहा…

बहुत अच्छी जानकारी धन्यवाद

M VERMA ने कहा…

बेहतरीन जानकारी

sonal ने कहा…

बहुत अच्छी जानकारी , धन्यवाद् !

वाणी गीत ने कहा…

अच्छी जानकारी ...बाजार में जो अश्वगंधा चूर्ण मिलता है ...क्या उसका उपयोग भी इसी तरह किया जा सकता है ...??

Satish Saxena ने कहा…

अपने इस ब्लाग के ज़रिये, बेहद सराहनीय कार्य कर रहे हैं ! एक अच्छे कार्य के लिए मेरी शुभकामनायें !
मैं इस ब्लाग को अपने पसंदीदा ब्लाग्स में शामिल कर रहा हूँ !

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत उपयोगी जानकारी दी है आपने ...नीचे टिप्पणी में दिए प्रश्नों में मेरा भी यही प्रश्न शामिल है की आप अपने ब्लॉग में दिए किस जड़ की उपयोगिता की बात कह रही है ..और क्या बाजार में मिलने वाला अश्व्वगंधा चूर्ण का उपयोग इसी तरह से किया जा सकता है ? शुक्रिया

vijay kumar sappatti ने कहा…

bahut hi acchi jaankari di hai aapne ...badhai . ye jad ka milna thoda mushkil hai ji

regards

vijay
please read my new poem " झील" on www.poemsofvijay.blogspot.com

Randhir Singh Suman ने कहा…

good

Pawan ने कहा…

DEAR MADAM,
I AM VERY HAPPY TO SEE YOUR BLOG.PLEASE SEND ME YOUR MAIL&PHONE NO.I HAVE DISCUSS YOUR SOME DIESES.

pawanfarman@gmail.com

Pawan ने कहा…

I WANT DISCUSS NERVOUS SYSTEM WEAKNESS OF HUMAN BODY.PLEASE TELL THE ROLE OF ASWANGHANDA.

RISHI JOHARI ने कहा…

जानकारी बहुत ही बढ़िया है, लेकिन अश्वगंधा की प्रजातिवाले ब्लॉग का लिंक अगर दिया होता तो पाठक आसानी से आपके फार्मूले का प्रयोग कर सकते थे, अथवा उक्त प्रजाति का नाम इसी के साथ ब्लॉग में दिया जाता तो यह पोस्ट तात्कालिक रूप से उपयोगी सकती थी.कृपया अश्वगंधा की प्रजाति का नाम जल्दी बताएं. आपके श्रेष्ठ प्रयास ले लिए साधुवाद स्वीकारें. आदर सहित
RISHI JOHARI
johari_rishi@yahoo.com

Asooram bishnoi ने कहा…

ये दो दवाई दी गई है कोनसी लेनी है प्रतिरोधक समता बढ़ाने के लिये

Asooram bishnoi ने कहा…

ये दो दवाई दी गई है कोनसी लेनी है प्रतिरोधक समता बढ़ाने के लिये