हमारा शरीर हजारों लाखों कोशिकाओं [सेल] से मिल कर बना है। ये सेल निरंतर बनते हैं और निरंतर नष्ट भी होते रहते हैं । आपने छिपकली को देखा होगा ,उसकी पूंछ कट कर गिर जाती है और कुछ ही दिनों में फ़िर नयी निकल आती है। इसे पुनरुद्ध्भवन की प्रक्रिया कहते हैं। लेकिन सोचिये, यदि हमारा हाथ कंधे से कट जाए तो क्या नया हाथ उगेगा? पुनरुदभवन का ये वरदान मानव शरीर को भी मिला हुआ है। परन्तु ये प्रक्रिया हमारे शरीर में बहुत धीमी गति से होती है ,घाव भरना ,टूटी हड्डियों का पुनः जुड़ जाना इसी प्रक्रिया के तहत होता है। नयी कोशिकाएं बन कर नष्ट हुई कोशिकाओं का स्थान ले लेती हैं। यही नये सेल बनने की प्रक्रिया अगर हम अपने शरीर में तेज कर लें तो अपने बुढापे को १५ -२० साल आगे धकेला जा सकता है। बुखार, सरदी ,खांसी ,जुकाम, टूटन ,थकन जैसी बीमारियाँ या तो होगी ही नहीं या फ़िर ४-५ घंटे में ठीक हो जायेंगी। घाव ,फटी एडियाँ ,फटे होट ,मुंहासे बिना कोई दवा लगाये ठीक हो जायेंगे।मैं आज आपको ऐसे ही एक अमृत के बारे में बताती हूँ-----
अश्वगंधा की जड़ों का चूर्ण बना लीजिये। लेकिन ध्यान रहे अश्वगंधा की वही प्रजाति होनी चाहिए जिसके बारे में आपको इसी ब्लॉग पर मैं बता चुकी हूँ। ] इस चूर्ण को आप चाय ,दूध , दाल ,सब्जी ,चावल ,अर्थात वे भोज्य पदार्थ जो पानी के साथ पकाए जाते हैं ,में ५ ग्राम की मात्रामें मिला कर पका लीजिये। ५ ग्राम की मात्रा एक व्यक्ति को एक दिन में लेनी है। अगर घर में ५ लोग हैं तो प्रत्येक व्यक्ति अपनी दाल की कटोरी या अपने चाय के एक कप में मिला कर पका लें।
.यह दवा किसी भी उम्र के लोग ले सकते हैं। गर्भवती महिलाएं भी धड़ल्ले से सेवन कर सकती हैं । होने वाले बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता इतनी तेज होगी की छोटी-मोटी बीमारियों का उस पर कोई असर नहीं पडेगा। अगर आप इसे २५ वर्ष की उम्रसे ले रहें हैं तो आप बुढापे का एहसास ७० के बाद ही करेंगे ,झुर्रियां ,घुटने का दर्द ,कमजोरी सब गायब रहेंगी।
अब आप प्रयोग करें और अपने शरीर में नयी कोशिकाओं के तेजी से बनने का मार्ग प्रशस्त करे। कोई और जिज्ञासा हो तो मुझे फोन/मेल कर सकते हैं ।
सर्वे सन्तु निरामयाः ॥