आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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सोमवार, 8 अगस्त 2011

अमलतास



"अमलतास के फूल मनोहर "
ये किताब की  किसी कविता की पंक्तियाँ थीं ,आज भी याद हैं आप खुद देखिये-


ये अमलतास अक्सर हमारा मन मोह लेता है और इसके २ फीट लम्बे काले काले सांप जैसे फल .....रात में अचानक कोई देखे तो डर जाए कि सांप लटक रहे हैं .इतने सुन्दर फूल और ऐसे डरावने फल ...क्या कुदरत का करिश्मा है .आपको पता है ये कितना उपयोगी होता है? आइये आज इसी बारे में बात करते हैं-
इसके फल ही खासे उपयोगी होते हैं .इनमें अनगिनत तत्व मिलते हैं जिनमें महत्वपूर्ण हैं-
ग्लाइकोसीड्स, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, पोटेशियम,  आयरन,  मैग्नीशियम, टैनिन्स, रेजीन, गोंद, उड़नशील तेल, ल्यूकोपेलारगोनिदीन, कोंतानाल, फ्लेवोनीड्स, सिटोस्तीराल, एंट्राय .


देश के विभिन्न हिस्सों में में इसे भिन्न- भिन्न नामों से पुकारा जाता है --
हिंदी  में  धन्बहेडा, कन्नड़ में कक्केमर, बंगाली में सोनालू, मारवाड़ी में कर्माडी, गुजराती में गर्माड़ो,  तेलगू में रेलचत्तू,  मराठी  में वाहवोह, संस्कृत में हेमपुष्प, आरग्वध, दीर्घफल, व्याधिघातः आदि 

वैसे तो अमलतास की जड़, छाल, फल,फूल और पत्ते सभी बेहद काम के होते हैं पर इसमें जो डेढ़- दो फीट लम्बी काले रंग की फलियाँ लगती हैं, ये शीतकाल में पकती हैं,  इनके भीतर बने हुए छोटे-छोटे खाने में काले रंग का गोंद के समान  एक लसदार सा पदार्थ भरा मिलेगा जिसे गिरी कहते हैं
यही गिरी अनेक रोगों में काम आती है. बच्चों के पेट में दर्द हो रहा हो तो इसी गिरी नाभि के चारों  तरफ लेप कर देने से पेट  दर्द ठीक हो जाता है.अगर किसी कीश्वास फूल रही है या श्वास लेने में रुकावट महसूस हो रही है तो इसी गिरी का काढा पिला दीजिये. २ बार पिलाना काफी होगा. इसी गिरी से आप हाइड्रोसील को भी ठीक क र सकते हैं- २० ग्राम गिरी को २०० ग्राम पानी में धीमी आंच पर पकाएं जब पानी एक चौथाई बचे तो उसमें ३५ ग्राम गाय का घी मिलाएं और रोगी को खड़े-खड़े पिला दीजिये. रोगी स्वस्थ हो जाएगा.  गर्भवती स्त्री को आराम से प्रसव कराने के लिए दर्द शुरू होते ही इस गिरी की पतली चटनी पीस कर योनि के चारों ओर लेपकर दीजिये, दर्द-रहित  नार्मल प्रसव होगा. यूरीन डिस्चार्ज करने में अगर जलन, दर्द, पीड़ा, या कोई और कष्ट हो रहा हो तो इसी गिरी को नाभि पर लेप कीजिए और लेप सूख जाये तो हटा दीजिये.

अमलतास के पत्तो को पीस कर दाद,या किसी प्रकार के कोढ़ पर लेप करने
से आराम मिलेगा. पत्तों को गरम करके गठिया के दर्द वाली जगह पर बाँधने से भी दर्द से राहत मिलती है








इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा

10 टिप्‍पणियां:

मनोज कुमार ने कहा…

आप समाज-सेवा का महान काम कर रहीं हैं।
बहुत ही लाभप्रद जानकारी दी है आपने।

सुज्ञ ने कहा…

बहुत ही ज्ञानवर्धक, स्वास्थ्यवर्धक जानकारियां आपके ब्लॉग पर मिलती है। मैं तो नियमित पाठक हूँ।

पाठकों की सुविधा के लिए आलेख के लेबल में स्मस्याएं अथवा रोग के नाम डालें, और एक लेबल का विजैट साईडबार में जोड लें।
पाठक को अपनी आवश्यकता के आलेख पर पहुँचने में आसानी हो जाएगी।

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

लेकिन एक बात मेरी कभी समझ में नही आई, अमलतास के इतने प्‍यारे फूलों से निकले फल इतने बेडौल से क्‍यों होते हैं।

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ब्‍लॉग के लिए ज़रूरी चीजें!
क्‍या भारतीयों तक पहुँचेगी यह नई चेतना ?

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

हमें तो सदा ही भाते हैं अमलतास के फूल।

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

aaj bahut dino baad shayed aapne kuchh likha. shukriya. hame aapki posts ka intzar rahta hai.

shukriya is labhkari jankari ke liye.

रंजू भाटिया ने कहा…

शुक्रिया इस जानकारी के लिए ...बहुत दिनों बाद पढने को मिला

G.N.SHAW ने कहा…

nice tips - railchattu .

वाणी गीत ने कहा…

अमलतास के उपयोग की लाभप्रद जानकारी ...
आभार !

ramesh chandra mittal ने कहा…

Ameltas ke bare me pada bhut hee gunkari hai.Meri neeche lekhi bimari ke liya sujhav dene ka kest kern.Mujhe pesab kerne me jelan hoti hai and patlee dhar aati hai.
Mail id ramesh@ranscomputer.com

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

स्वाधीनता दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएं।