आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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बुधवार, 28 सितंबर 2011

इन्सेफेलाइटिस

२६ सितम्बर, २०११ के राष्ट्रीय हिंदी दैनिक 'जन सन्देश टाइम्स' में प्रकाशित 
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मस्तिष्क ज्वर, दिमागी बुखार और जापानी इन्सेफेलाइटिस के नाम से पहचानी जाने वाली इस जानलेवा बीमारी  का शिकार अधिकांशतः बच्चे ही होते हैं. अगस्त ,सितम्बर अक्टूबर के महीने तो जैसे अनेको घरो के चिराग को गुल करने का ही संकल्प लेकर आते हैं. ये बीमारी हर साल इन्ही महीनो में ज्यादा फैलती है और आम नागरिक जानबूझ कर इसे अनदेखा किये रहता है .इस बीमारी का मुख्य वाहक सुअर हैं . सुअर के ही शरीर में इस बीमारी के वायरस पनपते और फलते फूलते हैं और उनसे मच्छर इस वायरस को मानव शरीर में पहुँचाने का काम करते हैं.इस बीमारी का केंद्र कई वर्षों से गोरखपुर बना हुआ है और अब तो पूर्वांचल के ग्रामीण क्षेत्रों में ये दिमागी बुखार बड़ी तेजी से अपने पैर पसारने लगा है. बड़े पैमाने पर सुअर पालन और पानी का एकत्र होना और उस गंदे पानी में मच्छरों का पैदा होना ही इस बीमारी का कारण बन रहा है.क्युलेक्स प्रजाति का मच्छर दिमागी बुखार के वायरस सूअरों के जिस्म से मानव शरीर में पहुंचता है और ये इसी मौसम में पनपता है .अगर हमें खुद को और अपने इष्टजनों को इस बीमारी से बचाना है तो बस थोड़ी सी सावधानी और थोड़ी सी जानकारी रखनी होगी.
   सबसे पहली बात कि हमें सावधान रहना होगा कि हमारे घरों के आस-पास गन्दा पानी न जम होने पाए .अपने बच्चों को उस पानी के संपर्क में आने से बचाना तो होगा ही मच्छरों से भी बचाव करना होगा. आइये कुछ साधारण दवाओं और घरेलू उपायों पर नजर डालते हैं ताकि इस बीमारी से मुकाबला किया जा सके.-------
१- कही किसी गड्ढे में पानी एकत्र देखें तो उसमे तुरंत १०-२० ग्राम मिट्टी का तेल या पेट्रोल डाल दीजिये. इससे मच्छरों के लार्वा मर जायेंगे.
२- सरसों के तेल में ज्यादा मात्रा (१० ग्राम) अजवाइन डालकर जला दीजिये और उसी जले हुए तेल में मोटे गत्ते के चार टुकडे डुबाकर  अपने कमरे के चारों कोनो पर लटका दीजिये. आपके कमरे में अगर एक भी क्युलेक्स प्रजाति का मच्छर होगा तो जीवित नहीं बचेगा. इन गत्ते के टुकड़ों को ५ दिन बाद बदल दीजिये.  ये नुस्खा सभी मच्छरों  से आपको बचा लेगा.
३- घर के प्रत्येक सदस्य को सप्ताह में ३ दिन ४-५ ग्राम अजवाइन पानी से निगलवा दीजिये. शरीर में प्रतिरोधक क्षमता इतनी तेज हो जायेगी कि दिमागी बुखार के वायरस से आप बच सकें .
४- अगर सिर में दर्द जैसी शिकायत हो रही है तो तुरंत सुबह-शाम नीम के २० पत्ते चबाएं और अजवाइन का काढा दिन में ३ बार पीलिजिये.
५-  अगर बेहोशी जैसी स्थिति बन रही हो तो तुरंत रोगी को २० -२० ग्राम शहद १-१ घंटे के अंतराल पर पिलाए.
६- बल्कि घर के हर सदस्य को एक चमच शहद सुबह और एक चम्मच शहद शाम को पी लेना चाहिए ,बिना कुछ मिलाये.
७- वायरस इन्फेक्शन में गिलोय का पावडर बहुत तेज काम करता है . सभी लोगो को ४ ग्राम पावडर पानी से निगल लेना चाहिए.
८- बेहोश रोगी को गिलोय के पावडर का काढ़ा बना कर पिलाये, साथ ही १०-१५ दाने लौंग को ५०० ग्राम पानी में उबाल कर काढ़ा बना लीजिये और इस काढ़े को एक-एक चम्मच हर घंटे रोगी को पिलाते रहे.
९- साथ में जटामांसी का काढ़ा भी हर घंटे २-२ चम्मच पिलाया जा सकता है ,यह मस्तिष्क में भर गए अनावश्यक पानी को भी सुखाने की  ताकत रखता है. जिससे बेहोशी जल्दी दूर हो जाती है.
 १०- अजवाइन, गिलोय, लौंग और जटामांसी  इन चारों के काढ़े से मष्तिष्क ज्वर को रोगी को अप्रत्याशित लाभ पहुंचता है. काढा सिर्फ बेहोश रोगी को ही नहीं लाभ पहुंचाता वरन आपको इस बीमारी से दूर रखने में भी मदद करता है.
११- ज्यों ही हल्का सा भी सिर-दर्द महसूस हो तो तुरंत धनिया के दाने पानी में पिसवा कर माथे पर लेप कर लीजिये और हर दो घंटे पर एक चम्मच शहद लेना शुरू कर दीजिये.
 ये सारे उपाय  आपको मष्तिष्क ज्वर जैसी नामुराद बीमारी से बचा सकते हैं ,यही नहीं अगर आप इन उपायों को हर महीने  में दस दिन आजमाते रहें तो आपका दिल- दिमाग ही नहीं शरीर का प्रतिरोधी तंत्र भी बेहद मजबूत हो जाएगा.






इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा

3 टिप्‍पणियां:

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

बढ़िया जानकारी।..आभार।

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

आप सब को विजयदशमी पर्व शुभ एवं मंगलमय हो।

Asha Joglekar ने कहा…

बहुत ही काम की जानकारी ।