आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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रविवार, 13 नवंबर 2011

निर्गुन्डी: स्लिप डिस्क और सर्वाइकल बीमारियों की दुश्मन






निर्गुन्डी (Vitex negundo)शेफाली,सम्मालू, सिंदुवार आदि नाम से भी जानी -पहचानी जाती है. इसके पेड़ १० फीट तक ऊंचे पाए जाते हैं. इसे संस्कृत में इन्द्राणी, नीलपुष्पा, श्वेत सुरसा,सुबाहा कहते हैं.बंगाली में निशिन्दा, सेमालू, मराठी में- कटारी, लिगुर, शिवारी पंजाबी में- बनकाहू, मरवा, बिन्ना, मावा, मोरों, खारा, सनक फारसी में- बजानगश्त, सिस्बन, गुजराती में-नगोड़, नागोरम, निर्गारा,तेलगू में- नल्लाहा बिली,मिन्दुवरम तमिल में-निकुंडी, नोची कहा जाता है.


निर्गुंडी में उड़नशील तेल,विटामिन-सी, केरोटीन, फलेवोन, टैनिक एसिड, निर्गुन्दीन, हाइड्रोकोटिलोन, हाइड्रोक्सीबेन्जोईक एसिड, मैलिक एसिड और राल पाए जाते हैं.
  



**निर्गुंडी अनेक बीमारियों में काम आती है. सबसे बड़ी बात क़ि स्लीप डिस्क की ये एकलौती दवा है. सर्वाइकल, मस्कुलर पेन में इसके पत्तो का काढा रामबाण की तरह काम करता है.
** अस्थमा मे इसकी जड़ और अश्वगंधा की  जड़ का काढा ३ माह तक पीना चाहिए.
**गले के अन्दर सूजन हो गयी हो तो निर्गुंडी के पत्ते, छोटी पीपर और चन्दन का काढा पीजिये, ११ दिनों में सूजन ख़त्म हो जायेगी.
**सूतिका ज्वर में निर्गुंडी का काढा  देने से गर्भाशय का संकोचन होता है और भीतर की सारी गंदगी बाहर निकल जाती है. गर्भाशय के अंदरूनी भाग की सूजन ख़त्म हो जाती है और वह पूर्व स्थिति में आ जाता है ,जिससे प्रसूता को बुखार से मुक्ति मिल जाती है और दर्द ख़त्म हो जाता है. बच्चा जानने के बाद निर्गुंडी के पत्तो का काढा हर महिला को दिया जाना चाहिए और एबार्शन के बाद भी यह कादा जरूर पिलाना चाहिए क्योंकि गर्भ में अगर कोई भी मांस का टुकड़ा छूट जाएगा तो वह बाद में यूट्रस कैंसर का कारण बनेगा.
पेट में गैस बन रही है तो निर्गुंडी के पत्तो के साथ काली मिर्च और अजवाइन का चूर्ण खाना चाहिए ताकि गैस बननी बंद हो और पेट का दर्द ख़त्म हो और पाचन क्रिया सही हो जाए.
 
**भंगरैया तुलसी और निर्गुंडी के पत्तो का रस अजवाईन का चूर्ण मिलाकर पीने से गठिया की सूजन और  दर्द में बहुत लाभ होता है.
**कामशक्ति बढाने के लिए निर्गुन्डी और सोंठ का चूर्ण दूध के साथ लेना चाहिए.
**निर्गुंडी सर्दी जनित रोगों में बहुत फायदा करती है .
** निर्गुंडी के काढ़े से रोगी के शरीर को धोने पर सभी तरह की बदबू, दुर्गन्ध  ख़त्म हो जाती है.
**भैषज्य रत्नावली के अनुसार निर्गुंडी  रसायन शरीर का कायाकल्प करने में सक्षम है यह लम्बे समय तक मनुष्य को जवान बनाए रखता है , इसे बनने में पूरे एक माह लगते हैं,इसे किसी अनुभवी वैद्य से ही बनवाना चाहिए.
** निर्गुंडी के तेल से बालो का सफ़ेद होना ,बालो का गिरना , नाडी के घाव और खुजली जैसी बीमारियों में बहुत लाभ पहुंचता है किन्तु इसे भी किसी जानकार वैद्य से ही बनवाना उचित रहता है.
** अगर डिलीवरी पेन शुरू हो गया है और आप सरलता पूर्वक प्रसव कराना चाहते हैं तो निर्गुंडी के पत्तो की चटनी को महिला की नाभि के आस-पास लेप कर दीजिये.
** मुंह के छाले ख़त्म करने के लिए निर्गुंडी के पत्तो के रस में शहद मिलाकर उस मिश्रण को ३-४ मिनट मुंह में रखें फिर कुल्ला कर दीजिये.दो ही दिन में छाले ख़त्म हो जायेंगे.
** निर्गुंडी और शिलाजीत का मिश्रण   शरीर के लिए अमृत का काम करता है.
** निर्गुंडी और पुनर्नवा का काढा शरीर के सारे दर्द ख़त्म करता है.
** कमर को सही आकार में रखने के लिए निर्गुंडी के पत्तो के काढ़े में २ ग्राम पीपली का चूर्ण मिला कर एक महीने पीजिये.
** स्मरण शक्ति बढाने के लिए निर्गुंडी की जड़ का ३ ग्राम चूर्ण इतने ही देशी घी के साथ मिलाकर रोज चाटिये .
** साइटिका में निर्गुंडी के पत्तो क़ि चटनी को गरम करके सुबह शाम बांधना चाहिए या फिर इसका काढा पीना चाहिए.
** स्वास रोग में पत्तो का रस शहद मिलाकर दिन में चार बार एक  -एक चम्मच पीना चाहिए.
** निर्गुंडी के बीजों का चूर्ण दर्द निवारक औषधि है लेकिन हर दर्द में इसकी मात्रा अलग-अलग होती है.


इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा

6 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सचमुच बहुत ही उपयोगी।

Gyan Darpan ने कहा…

बहुत उपयोगी जानकारी

Gyan Darpan
.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत उपयोगी जानकारी ..पर निर्गुण्डी मिलेगी कहाँ से ?

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

bahut acchhi jaankari.

aabhar.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आपकी जानकारी सच नें बहुत उपयोगी होती है ...

राधेशयाम गोचर ने कहा…

हमारे पास मिल जायेगी
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