आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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शनिवार, 17 दिसंबर 2011

सर्दी की तकलीफ और हरसिंगार

 


कितने खूबसूरत होते हैं हरसिंगार के फूल और कितने काम की इसकी पत्तियाँ
कभी आपने १५-२० वर्ष पहले पराक्सीन नाम की अंग्रेजी दवा खायी थी ? इसके पावडर का स्वाद और हरसिंगार की पत्तियों का स्वाद एक ही जैसा होता है. जब बुखार बहुत पुराना हो जाता था और किसी दवा से ख़त्म नहीं होता था तो उस समय पराक्सीन दिया जाता था.हरसिंगार का पेड़ आप सभी का जाना पहचाना पेड़ है,कितने लोग तो हरसिंगार की खुशबू के दीवाने होते हैं. आइये आज उसी हरसिगार का हम पोस्टमार्टम कर डालें. 


इसे अंग्रेजी में Night Jasmine कहते हैं ,संस्कृत में- शेफालिका या पारिजातक भी कहते हैं.
इसके पत्तों, बीज   और तने में- निक्तैथिक एसिड, बीटा, इरिडोइड, लिग्नोसेत्रिक , मियरिस्तिक एसिड, ओलिक एसिक,  पामिटिक एसिड, स्तीयरिक एसिड, लिनोसेत्रिक, सितोस्तीराल, ग्लाइकोसाइद्स आर बोर ट्रिस्तोसाइड्स A, B, C, D ,E ग्लूकोमनान , एअस्त्रोग्लैनिन ,निक्तोफलोरीन, एस्कोर्बिक एसिड, कैरीतीन, टैनिन, फ्रक्टोज , ग्लूकोज, मैनीटाल, निक्तैन्थोसाइड, आरबोर साइड्स जैसे तत्व पाए जाते हैं.
इस पौधे के तने की छाल ,पत्ते, फूल और   बीजों का दवाओं के रूप में प्रयोग होता है. 
    


यह मूत्रल भी है, पसीना भी पैदा करता है, लीवर को भी उत्तेजित करता है, पेट साफ़ करता है, उत्तेजना पैदा करता है, बुखार ख़त्म करता है ,दर्द का तो दुश्मन है हरसिंगार.
अगर आपको कोई रोग न हो तब भी ठंड के दिनों में सप्ताह में एक बार हरसिंगार के पत्तों का काढा बना कर पी लीजिये. यह काढा शरीर में पनप रहे किसी भी रोग के कीटाणुओं को ख़त्म कर देता है.
सर में रूसी हो गयी हो तो हरसिंगार के बीज पीस कर पानी में मिलाइए और इसी पानी से बाल धो लीजिये .हफ्ते में तीन बार ही काफी रहेगा ,रूसी जड़ से ख़त्म.
सियाटिका के मरीजों को तो सप्ताह में तीन बार हरसिंगार की पत्तियाँ खूब अच्छी तरह उबाल कर अर्थात काढा बनाकर जरूर पीना चाहिए क्योंकि जाड़े में यह सियाटिका बहुत परेशान करता है.
हरसिंगार के बीज सर पर बाल भी पैदा कर देते हैं ,आप इन्हें  पानी के साथ पीस कर चटनी बनाएं और सर में गंजेपन वाले स्थान पर लगा लीजिये.लगातार २१ दिन प्रयोग कीजिए.
पेट में केचुए या कीड़े हो तो पत्ते पीस कर उसका रस निचोड़िए और एक चम्मच रस में आधा चम्मच शहद मिला कर चाट लीजिये ,सुबह दोपहर शाम , दिन में तीन बार.तीन दिनों में ही सारे कीड़े मर जायेंगे.
खांसी न रुक रही हो और दमे में परिवर्तित हो गयी हो तो हरसिंगार के तने की छाल का पावडर लगभग चार चुटकी भर लीजिये और पान के पत्ते में रखकर मरीज को दिन में चार  बार चूसने को दीजिये.
शरीर में कहीं दर्द हो रहा हो तो या तो इसके पत्तों का काढा पीजिये या फिर पत्तो को पीस कर रस निकालिए और बराबर मात्रा में अदरक का रस उसमे मिलाइए और पी लीजिये. दोनों का रस २-२ चम्मच हो तो अच्छा है.
मलेरिया का बुखार हो तो २ चम्मच हरसिंगार के पत्ते का रस , दो चम्मच अदरक का रस और दो चम्मच शहद मिला कर दिन में २ बार पिला दीजिये.
घुटनों के दर्द से परेशान रहने वालो और सियाटिका के मरीजो के लिए तो ठंड के मौसम में हरसिंगार वरदान है.
  
इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा

8 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

हम तो सुगन्ध में ही तृप्त रहते हैं।

avanti singh ने कहा…

पहली बार ब्लॉग पर आना हुआ ....बहुत अच्छा,ज्ञानवर्धक ब्लॉग है...इसे बनाने के लिए आप को धन्यवाद....

Shikha Kaushik ने कहा…

thanks for precious information .

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

bahut sunder aur upyogi jaankari mili aabhar.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

उपयोगी जानकारी

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

अच्‍छी एवंउपयोगी जानकारी।

shreesh rakesh jain ने कहा…

इस ज्ञानवर्धक और उपयोगी जानकारी के लिए आपका बहुत बहत साधुवाद।

Rakesh Kumar ने कहा…

कमाल की जानकारी दी है आपने.
घर में ही हरसिंगार लगा है.
आपकी उपयोगी जानकारी खूब काम आएगी अब.
शुक्रिया जी.