आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012

वीर्यवान भव :

वीर्यवान भव : यही आशीर्वाद प्राचीन काल में बच्चों को दिया जाता था. यह सर्वश्रेष्ठ आशीर्वाद माना जाता था. इसके बाद नंबर आता था- पुत्रवान भव , तेजस्वी भव, विद्वान भव, बुद्धिमान भव का. आज कल तो नमस्ते ,सलाम, गुड मार्निंग का दौर है. अब कहाँ मिलते हैं आशीर्वाद.
आइये आज इस एक आशीर्वाद वीर्यवान भव के आयुर्वेदिक महत्व को खंगालते हैं.
वीर्य ही शक्ति का भण्डार है . शरीर में जहाँ वीर्य का निर्माण होता है ,आध्यात्मिक क्षेत्र के जानकार ठीक वहीं  कुंडलिनी शक्ति का सोयी हुई हालत में रहना बताते हैं. कुंडलिनी को जगाना ही सबसे दुष्कर कार्य है ,बड़ी बड़ी कठोर तपस्याए भी इस काम को नहीं कर पाती . आचार्य रजनीश ने उस क्षेत्र को जागृत रखने के लिए सम्भोग से समाधि की ओर का नारा दिया, लेकिन तथाकथित विद्वानों ने इसकी बड़ी आलोचना की .
आयुर्वेद कहता है कि  जब शरीर में वीर्य का निर्माण होगा ही नहीं तो शरीर के बाक़ी विकास कार्य भी अवरुद्ध हो जायेंगे. न भुजाओं में ताकत होगी , न खून बनेगा ,न ही बुद्धि काम करेगी ,न ही पाचन क्रिया सही होगी. अर्थात वीर्य नहीं तो शरीर मुर्दे के सामान है. अतः वीर्य का निर्माण सतत जारी रहना चाहिए .
हालांकि आयुर्वेद की ८०% जड़ी बूटियाँ जो भिन्न भिन्न रोगों की दवाओं का निर्माण करती है ,रोग को दूर करने के साथ ही साथ वीर्य का भी निर्माण करती हैं. इसलिए किसी भी रोग का इलाज आयुर्वेदिक पद्दति से करने का मतलब है -- आम के आम ,गुठलियों के भी दाम.     
वीर्य  को आप आधुनिक भाषा में क्रोमोसोम कह सकते हैं .वैज्ञानिको ने ये बता दिया है कि इन्हीं क्रोमोसोम पर रंग रूप,लम्बाई ,मोटाई ,दिमाग ,आँख ,नाक ,बीमारिया आदि को कंट्रोल करने वाले जीन मौजूद रहते हैं.ये क्रोमोसोम अर्थात गुणसूत्र ही जीवन का आधार माने गये हैं.अतः इनकी प्रचुरता शरीर में बहुत जरूरी है.आज आपको एक ख़ास चीज़ के बारे में बताती हूँ जो ये काम सुगमतापूर्वक करती है. हालांकि हम सभी उस चीज़ को जानते हैं.------
          ये है बबूल का गोंद अर्थात खाने वाला गोंद .अक्सर इसका प्रयोग प्रसूताओं के लिए होता है ,लेकिन ये गोंद नारी और पुरुष दोनों के ही प्रजनन अंगों को शक्ति पदान करने और उन्हें वीर्य से समृद्ध बनाने का काम करता है.



इस गोंद को अगर आप पानी में भिगो कर रख दीजिये और लगभग १ घंटे बाद उस पानी को छान कर पी लीजिये तो ये आपके शरीर में शक्ति और स्फूर्ति दोनों ही प्रदान करेगा. १२ घंटे में गोंद पूरी तरह पानी में नहीं घुलता ,जितना घुल गया है उतना छान कर पी लीजिये फिर उस बरतन में और पानी डाल दीजिये .गोंद का पानी अक्टूबर से लेकर मार्च तक पिया  जा सकता है .इसे १० वर्ष के ऊपर किसी भी लड़के लड़की को दिया जा सकता है.ये नुस्खा आपको ठंड से भी बचाएगा और शरीर के विकास में भी सहायक होगा .दिन में एक बार पीना काफी रहता है. 
अगर कोई मरीज अस्पताल से तुरंत डिस्चार्ज होकर लौटा है तो ये नुस्खा उसकी शक्ति लौटाने में बहुत कामयाब है.
गोंद को घी में भूनते हैं तो ये फूल कर बड़ा हो जाता है फिर उसका चूरा  करके मेवों के साथ मिला कर लड्डू बनाए जाते हैं . यह भी इसे खाने का एक तरीका है ,यह अक्सर प्रसूताओं के लिए बनाया जाता है ,किन्तु इसे कोई भी खा सकता है .
बबूल के गोंद में- गैलेक्टोज, एरेबिक एसिड, कैल्शियम तथा   मैग्नीशियम   के लवण उपस्थित होते हैं.
आयुर्वेद कहता है कि मुंख के छालों में, गले के सूखने में, मूत्र के अवरोध में, अतिसार और मधुमेह में इसका प्रयोग फायदा देता है.   






इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा

27 टिप्‍पणियां:

Madhuresh ने कहा…

बहुत ही अच्छा एवं ज्ञानवर्धक आलेख, सधन्यवाद!

डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा ने कहा…

मैं अपने अनुभव से बबूल के गोंद की वीर्य वर्धक शक्ति की पुष्टी करता हूँ! यदि गोंद नहीं मिले तो बबूल के पत्तों का रस भी समान रूप से उपयोगी है! आजमाकर देखें!
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
0141-2222225
98285-02666
baasoffice@gmail.com

Kunwar Kusumesh ने कहा…

Very informative and useful.
I like this blog.

vidya ने कहा…

अच्छी जानकारी..
शुक्रिया.

kshama ने कहा…

Jaankaaree se paripoorn aalekh!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बबूल की गौंद ... बहुत उपयोगी जडीबूटी है ...

Darshan Lal Baweja ने कहा…

एरेबिक एसिड??

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

जानकारी से भरी पोस्ट

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत अच्छी जानकारी दी है ..आभार

Rakesh Kumar ने कहा…

पहली दफा आपके ब्लॉग पर आया हूँ.
आपकी जानकारी पूर्ण प्रस्तुति बहुत उपयोगी लगी.
अच्छे बबूल के गोंद की किस प्रकार से जांच की
जाए,कृपया यह भी बताएं.

सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति,उपुयोगी आलेख ,....

MY NEW POST ...कामयाबी...

dinesh aggarwal ने कहा…

लाभदायक जानकारी उपलब्ध कराने के लिये आभार..
नेता- कुत्ता और वेश्या (भाग-2)

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

अच्‍छा है....

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क्‍या आप टाइगर मम्‍मी हैं?
रितुमाला: अनचाहे गर्भ से बचने का प्राकृतिक उपाय।

Rakesh Kumar ने कहा…

मेरे ब्लॉग पर आप आयीं बहुत अच्छा लगा.
आपके सेवा भाव के लिए बहुत बहुत आभार.

मेरे ब्लॉग पर फिर से आईएगा.

'मेरी बात...' पर कुछ अपनी भी कहियेगा
अलका जी.

Asha Joglekar ने कहा…

तभी जच्चा को गोंद के लड्डू खिलाये जाते हैं कि वह अपनी खोयी शक्ती वापिस पा ले । अच्छी जानकारी ।

Sahjad khan baalak ने कहा…

ye to nice h pr muje apni body thori fat karni h plz solution me plllllllllllzzzzzzzzzzzzzzzzzz

Unknown ने कहा…

बबूल कि गोँद को मराठी मे क्या कहते है?

Manoj Sharma ने कहा…

अलका जी नमस्कार , सर्दियों में आँखों के निचे सुजन अथवा झुर्रियों जैसी त्वचा हो जाने पर क्या करना चाहिए ,manoj.shiva72@gmail.com

Unknown ने कहा…

I like this&thanku

Unknown ने कहा…

बहुत ही अच्छी जानकारी दी आपने, आपका बहुत बहुत शुक्रिया, यही हमारी संस्कृति है, आज कल के माता-पिता को इस अमूल्य वरदान का फायदाउठानाचाहिये

Unknown ने कहा…

डिंक, आपण जे डिंकाचे लाडूकरतो तेच

Unknown ने कहा…

डिंक, आपण जे डिंकाचे लाडूकरतो तेच

Unknown ने कहा…

बहुत ही अच्छी जानकारी दी आपने, आपका बहुत बहुत शुक्रिया, यही हमारी संस्कृति है, आज कल के माता-पिता को इस अमूल्य वरदान का फायदाउठानाचाहिये

Unknown ने कहा…

Lab me use hone wala acacia gum jo powder ke rup me aata hai kya uska paryog ham kar sakte hai.

Unknown ने कहा…

OK thanks bahot badhiya heji

Unknown ने कहा…

क्या गोंद को पुरी रात पानी में रखकर पियेंगे तो चलेगा
ये जो पंसारी की दुकान पर मिल सकता है।

Unknown ने कहा…

डॉ साहब नमस्कार लॉजिक समस्या के लिए डिंक का कैसे उयोग करना है कृपया बताएं