आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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गुरुवार, 19 जुलाई 2012

बकरी का दूध

बकरी का दूध हमारे आपके लिए कोई अनोखी चीज नहीं है ,लेकिन हम इसका प्रयोग बिलकुल नहीं करते।आखिर क्यों? हमारे राष्ट्रपिता बापू जी तो रोज बकरी का दूध पीते थे . अगर हम उनकी एक यही बात मान लें तो पूरा देश अनगिनत बीमारियों से रहित हो जाएगा। कैंसर, एड्स ,गांठें, थायराइड, प्रतिरोधक क्षमता की कमी, खून की कमी, पेट की तमाम बीमारियाँ और नपुंसकता जैसे  रोग तो कभी हमें छूकर भी नहीं गुजरेंगे अगर हम हर सप्ताह  केवल 250 ग्राम बकरी का दूध पी लिया करें तो।


लेकिन बेचारा बकरी का दूध अमृत होते हुए भी कभी हमारी निगाहों में इज्ज़त नहीं पा सका।इसके अनगिनत कारण हो सकते हैं .लेकिन मैं आप सभी से सिर्फ इतना कहना चाहूंगी कि वाकई  बकरी का दूध बड़ी करामाती चीज है।अगर संभव हो तो जरूर पियें लेकिन सावधान -बकरी का दूध बार बार गर्म न कीजिए ,एक बार गर्म करके फ्रीज कर लीजिये फिर वही रोज आधा कप पीते रहिये ,मिल जाए तो एक कप पीजिये। 










इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा

5 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

Bachpan mein ham Bhi yahi sunte the ki bakri ka doodh Bahut achha hota hai sehat ke liye ...

VIJAY KUMAR VERMA ने कहा…

बेहतरीन प्रस्‍तुति।

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

bachpan me bahut dino tak pilaya gaya tha, aisa maa batati hai:)

बेनामी ने कहा…

Thodi si smel aati hai.

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

बहुत ही उम्दा जानकारी आभार |