आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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गुरुवार, 2 अगस्त 2012

हमारा राष्ट्रीय फूल -कितना काम का




यह कमल का फूल है ,देवी लक्ष्मी को बहुत प्रिय है ,पूजन सामग्री में इसका होना बहुत शुभ माना जाता है।इसका वैज्ञानिक नाम होता है- Nelumbium speciosum , इसे अम्बुज, पंकज, पद्म,पुण्डरीक, कलंग, सामरा, अम्बल,नीलोफर, बर्दानीलोफर, लोटस, आदि नामों से दुनिया भर में जाना-पहचाना जाता है। 
                                                                             
इसका बहुत ज्यादा आयुर्वेदिक महत्व भी है। तांत्रिक महत्व भी है और मान्त्रिक महत्व भी। फेंगशुई में भी इसे महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है और आध्यात्मिक महत्व तो खैर है ही।आइये हम आज इसके आयुर्वेदिक महत्व के बारे में बात करते हैं।
कमल के फूल, पत्ते, बीज, तना, जड़ सभी उपयोगी हैं।
अगर आपका गुदाद्वार अर्थात मल त्यागने वाली नलिका बाहर निकल गयी हो तो कमल के मुलायम पत्तों को चीनी या गुड के साथ मिलाकर लड्डू जैसा बनाइये और खाली पेट 3-4 पत्तों का लड्डू खा लीजिये


जिन नारियों का गर्भ हमेशा पूर्ण होने से पहले ही गिर जाता हो उन्हें कमल के बीजों का 3-4 चुटकी पावडर खाना शुरू कर देना चाहिए .इसे खाने का समय होगा गर्भ गिरने वाले महीने से 2 महीना पहले से .
अगर दूसरे महीने में गर्भ स्राव हो जाता हो तो कमल की नाल और नागकेसर दोनों को पीसे. 1-1 ग्राम ही लेना है और पिसी  हुई चटनी दूध में मिलाकर पी लेनी है।


कमल की केसर मिल जाए तो सुखा कर रख लेनी चाहिए . अक्सर लोगों को खूनी बवासीर हो जाती है ,ऐसे समय ये केसर बड़ी काम आती है. चार चुटकी कमल केसर का चूर्ण मक्खन और चीनी मिला कर चाट लीजिये ,एक सप्ताह चाटना होगा रोज सुबह .बहुत आराम मिलेगा।

                                            
अगर नारियों के स्तन ढीले हो गये हों तो कमल के बीजों को 4-5 की संख्या में लीजिये ,उन्हें पीस कर मीठे दूध के साथ पी लीजिये।2 महीने तक लगातार।


चेचक  की बीमारी में कमल के फूलों का शरबत पिलाना बहुत लाभदायक सिद्ध होगा।


उलटी हो रही हो तो कमल के बीजों को छील कर अन्दर का सफ़ेद वाला भाग निकालें उसे पीस कर शहद मिला कर चाटिये   .कमल का बीज पहले भून लीजिएगा आग पर।


किसी भी स्किन डीजीज में कमल की जड़ को पानी में घिस कर लेप कीजिए।


अगर यदा-कदा  न चाहते हुए भी वीर्यपात हो जाता हो तो कमल की जड़ का चूरन -4 ग्राम पानी से निगल लीजिये।


अगर सर के बाल काले करने हों तो कमल के फूलों को दूध में मिला कर एक महीने के लिए जमीन में दबा दीजिये .एक महीने बाद तेलकी तरह प्रयोग कीजिए।


कमल का फूल हार्ट अटैक में तो अमृत की तरह काम करता है ,सफ़ेद चन्दन ,मुलेठी नागरमोथा आदि के मिश्रण से इसकी जो दवा बनती है वह ह्रदय  को बेहद मजबूत कर देती है दुबारा हार्ट अटैक का खतरा ख़त्म।


कमल के फूल में ग्लूकोज ,टैनिन, सेल्यूलोज ,मेतार्बिं, जिंक, राल, फाइट, नमकीन निलाम्बिं ,आदि कई सारे तत्व इसे इतना उपयोगी बना देते हैं।




इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा

10 टिप्‍पणियां:

अर्चना तिवारी ने कहा…

बहुउपयोगी, लाभकारी, गुणकारी जानकारी...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अत्यन्त उपयोगी है कमल का पौधा..

Vinashaay sharma ने कहा…

सदा की भान्ति उपयोगी पोस्ट ।

Asha Joglekar ने कहा…

वाह सौंदर्य के साथ इतने सारे गुण भी ।
जडों को ही कमल ककडी कहते हैं ना और दानों को भून कर मखाने बनाये जाते हैं । हमारे यहां गोंद और मेथी के लड्डुओं के साथ साथ जच्चा को मखाने के लड्डू भी खिलाये जाते हैंुनके क्या गुण हैं ?

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत सोच समझ के बनाया है राष्ट्रीय फूल ... ऐसे ही नहीं रखा ... शुक्रिया इस जानकारी का ...

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

उपयोगी जानकारी, आभार।

Rakesh Kumar ने कहा…

बहुत ही शानदार,जानकारीपूर्ण और
उपयोगी प्रस्तुति.

प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार,अलका जी.

आपका ब्लॉग वास्तव में बहुमूल्य है.

समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईएगा.

S.N SHUKLA ने कहा…

सार्थक और सामयिक पोस्ट, आभार .

कृपया मेरी नवीनतम पोस्ट पर पधारें , अपनी प्रतिक्रिया दें , आभारी होऊंगा .

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी आभार |

VINEET ने कहा…

आपकी हर जानकारी सराहनीय है दीदी