वरिष्ठ ब्लॉगर आशा जोगलेकर जी ने मखाने के बारे में जानना चाहा है. मखाना कमल का बीज नहीं होता है ,इसकी एक अलग प्रजाति है ,यह भी तालाबों में ही पैदा होता है लेकिन इसके पौधे बहुत कांटेदार होते हैं ,इतने कंटीले कि उस जलाशय में कोई जानवर भी पानी पीने के लिए नहीं घुसता,जिसमे मखाने के पौधे होते हैं। इसकी खेती सिर्फ बिहार के मिथिलांचल में होती है . एक एकड़ के जलाशय में इसकी खेती करके 40,000 रुपये कमाए जा सकते हैं .
इसका वैज्ञानिक नाम है - Euryale ferox
यह मखाने का फूल है ,दिखने में कमल की तरह ही लगता है , फलों के अन्दर ही मखाने के बीज पाए जाते हैं ,जिन्हें भून कर मखाना का लावा तैयार किया जाता है
इसके बीजों में- प्रोटीन 10%, कर्बोहाईड्रेट 75% के अलावा, आयरन, फास्पोरस और केरोटीन भी पाए जाते हैं . चूँकि मखाने में वसा की मात्रा बहुत कम होती है इसलिए यह हाई ब्लड प्रेशर और सुगर के मरीजों के लिए अमृत माना जाता है। मखाना यज्ञ का भी महत्वपूर्ण भाग है .मख का मतलब ही यज्ञ होता है। मखाने की खीर, मखाने के आटे का हलवा आदि भी बनाया जाता है।मखाने के भुने हुए बीज प्रसूताओं को ताकत के लिए खिलाये जाते हैं यह बीज लड्डू, खीर आदि किसी भी चीज में मिला कर खिलाये जा सकते हैं . जोड़ों के दर्द और एक्जीमा वाली खुजली में मखाने के पत्तो को पीस कर लगाने से काफी फायदा मिलता है.
अधिकांशतः ताकत के लिए दवाये मखाने से बनायी जाती हैं।केवल मखाना दवा के रूप में प्रयोग नहीं किया जा सकता .इसलिए इसे सहयोगी आयुर्वेदिक औषधि भी कहते हैं।
इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा
इसका वैज्ञानिक नाम है - Euryale ferox
यह मखाने का फूल है ,दिखने में कमल की तरह ही लगता है , फलों के अन्दर ही मखाने के बीज पाए जाते हैं ,जिन्हें भून कर मखाना का लावा तैयार किया जाता है
इसके बीजों में- प्रोटीन 10%, कर्बोहाईड्रेट 75% के अलावा, आयरन, फास्पोरस और केरोटीन भी पाए जाते हैं . चूँकि मखाने में वसा की मात्रा बहुत कम होती है इसलिए यह हाई ब्लड प्रेशर और सुगर के मरीजों के लिए अमृत माना जाता है। मखाना यज्ञ का भी महत्वपूर्ण भाग है .मख का मतलब ही यज्ञ होता है। मखाने की खीर, मखाने के आटे का हलवा आदि भी बनाया जाता है।मखाने के भुने हुए बीज प्रसूताओं को ताकत के लिए खिलाये जाते हैं यह बीज लड्डू, खीर आदि किसी भी चीज में मिला कर खिलाये जा सकते हैं . जोड़ों के दर्द और एक्जीमा वाली खुजली में मखाने के पत्तो को पीस कर लगाने से काफी फायदा मिलता है.
अधिकांशतः ताकत के लिए दवाये मखाने से बनायी जाती हैं।केवल मखाना दवा के रूप में प्रयोग नहीं किया जा सकता .इसलिए इसे सहयोगी आयुर्वेदिक औषधि भी कहते हैं।
इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा
12 टिप्पणियां:
बहुत ही उम्दा जानकारी आभार |
रोचक और उपयोगी जानकारी।
नई जानकारी.धन्यवाद
हमें तो बहुत ही अच्छा लगता है।
बहुत ही सुन्दर और उपयोगी जानकारी,
आभार,अलका जी.
बहुत सुंदर जानकारी ....
आपको इतनी जानकारी कैसे हुई इन सब चीजों के बारे .....?
मखाने हमें भी बहुत पसंद है ..घी में भुनकर थोडा नमक डालकर जब खाते हैं तो तब मत पूछो बड़ा मजा आता है ..
मखाने के बारे में आपने बहुत ही उपयोगी जानकारी दी है ..हमें तो पता ही नहीं था की मखाने के पौधे कैसे होते है ..
आपका आभार!
अलका जी आपका बहुत धन्यवाद जो आपने मखाने के बारे में इतनी जानकारी दी । यह कमल का बीज नही होता यह भी जाना वरना तो मै यही समजती रहती । पर पौष्टिक तो होताही है यह ।
75%कार्बोहाइड्रेट!! तभीतो घी में भून कर कालानमक छिड़क कर खाते ही स्फूर्ति आजाती है। यह कमल का बीज नहीं...जानकारी केलिए आभार।
वायरल बुखार के इलाज के लिये कोई आयुर्वेदिक दवा हो तो जानना चाहूंगी ।
आशा जी वायरल के लिये अजवाईन ओर अश्वगंधा का चूर्ण प्रयोग कर सकती है
bahutt aachhi Jankari hai.
एक टिप्पणी भेजें