आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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शनिवार, 29 जून 2013

चौलाई का साग खाया कभी? चलिए आज से शुरू .....


चौलाई का साग खाया कभी? चलिए आज से शुरू .....मजाक नहीं ,सच कह रही हूँ।इसका उपयोग  त्यौहार में भी होता है।मुझे याद है - मम्मी कहा करती थी कि  आज चौलाई का साग और चावल खाना है।ये वही चौलाई है।इसे तन्दुलीय भी कहते हैं।संस्कृत में मेघनाथ भी कहते है। मराठी, गुजराती में तान्दल्जा, बंगाली में चप्तनिया, तमिल में कपिकिरी, तेलगू में मोलाकुरा, फारसी में सुपेजमर्ज, अंग्रेजी में Prickly Amaranthus,और वैज्ञानिक  भाषा में  Amaranthus spinosus कहते हैं 

 
कटेली चौलाई तिनछठ के व्रत में खोजी जाती है।भादों की कृष्ण पक्ष की षष्ठी को यह व्रत होता है।चौलाई दो तरह की होती है ,एक सामान्य पत्तों वाली दूसरी लाल पत्तों वाली।यह कफ और पित्त का नाश करती है जिससे रक्त विकार दूर होते हैं। आपको किसी भी तरह का चर्म रोग है तो इसके पत्ते पीस कर लेप कर लीजिए।२१ दिनों तक लगातार। शरीर में  अगर कही भी खून बह रहा है और बंद नहीं हो रहा लाल पत्ते वाली चौलाई की जड़ को पानी में पीस कर पी लेने से ही रुक जाता है।एक बार पीने से नहीं रुक रहा तो बारह घंटे बाद दुबारा पी लीजिये।चाहे गर्भाशय से खून बह रहा हो या मल द्वार से या बलगम के साथ। गर्भवती को खून दिखाई दे जाए तो फ़ौरन पी ले ,गिरता हुआ गर्भ रुक जायेगा.जिनको गर्भ गिरने की बीमारी हो वे नारियां पीरियड के समय में रोज जड़ पीस कर चावलों के पानी के साथ पी लिया करें। 

                                               

चौलाई में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन-ए ,मिनिरल्स और आयरन प्रचुर मात्रा में पाए जाते है।  पेट या आमाशय में कोई रोग हो तो रोज चौलाई का साग खाइये। नारियों को अपने स्तनों का आकार बढ़ाना हो तो अरहर की दाल के साथ चौलाई का साग पका कर चालीस दिनों तक लगातार खाइये,जड़ काटकर फेकना नहीं है वह भी पका देनी है।खूनी बवासीर हो या मूत्र में खून आता हो ,चौलाई के पत्ते पीस कर मिश्री मिलाकर शरबत बनाकर ३ दिन लगातार पीजिये।
शरीर में जलन हो रही हो तो चौलाई का काढा बनाकर पीजिये. 
सांप, बिच्छू या किसी जहरीले कीड़े ने काट लिया हो तो चौलाई की जड़ ,पंद्रह दाने काली मिर्च एक साथ पीस कर चावलों  के धोवन में घोल कर पिला दीजिये।
आपको पथरी हो तो चौलाई का साग रोज खाइये चालीस दिनों तक ,पथरी गल के ख़त्म हो जायेगी. 
एक मजेदार बात और जान लीजिये कि - चौलाई जलाकर राख बन जाए तो उस राख का पानी के साथ पेस्ट बनाइये ,उस पेस्ट को मुंह में लगाकर सूर्य की किरणों में बैठने से ही सारे कील मुंहासे, झाइयां ख़त्म हो जाती हैं। 
कुल मिलाकर चौलाई एक स्वादिष्ट सब्जी भी है और महत्वपूर्ण दवा भी।   



इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा

3 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

माँ कई बार बनाती थी चौलई का साग ... आपने यादें ताज़ा कर दी ... पर इतने सारे गुण हैं ये पता नहीं था ...

dr.mahendrag ने कहा…

उपयोगी ज्ञानवर्धक जानकारी आभार.

बेनामी ने कहा…

Bahut achchi jankari..aapka dhanyawad