आयुर्वेद कहता है की हरड की उत्पत्ति अमृत से हुई है.इसके गुणों को जान लेंगे तो आप मानने लगेंगे कि ये बात जरूर सच होगी। काली छोटी हरड एक जानी-पहचानी चीज है. अक्सर हमारी रसोई में भी पाई जाती है.
पेड़ पर हर्र के फल
जिसने एक हजार हर्रे खा ली हो उसको तो पेट की कोई बीमारी हो ही नहीं सकती ,किडनी लीवर,पंक्रियाज ,आमाशय, आंत सब सारी ज़िन्दगी चाक-चौबंद रहेंगे। यह शरीर के तीनो दोषों का हरण करती है इसीलिए इसको हरड कहा ही जाता है. जब तीनो कफ वात पित्त के दोष ख़त्म हो जाते हैं तो आधी बीमारियाँ अपने आप शरीर छोड़ कर चली जाती है. इसीलिए इसे सर्व रोग प्रशमनी भी कहते है. अभया और हरीतकी के नाम से भी हर्रे को कुछ लोग जानते है.
हर्रे सूखने के बाद काली हो जाती है
हर्रे में ४५% टैनिक एसिड, गेलिक एसिड,चबुलिनिक एसिड, सक्सीनिक एसिड, फास्फोरिक एसिड, एमिनो एसिड,म्यूसीलेज, श्लेष्मा,और ग्लाइकोसाइद पाए जाते हैं.इतने सारे एसिड की उपस्थिति ही इसे रसायन भी बनाती है.इसका वैज्ञानिक नाम है-Terminalia chebula.
**हर्रे से आप अपना कायाकल्प भी कर सकते हैं रोज ३ हर्रे १० मुनक्का के साथ सुबह खाली पेट खा लीजिये. ६ महीने तक लगातार खाने से शरीर के अधिकाँश रोग दूर होकर शरीर कांतिमय और बलशाली हो जाएगा उसके बाद मौसम के अनुसार हर्रे का सेवन कीजिए। जैसे वर्षा के मौसम में ३ हर्रे सेंधा नमक के साथ,जाड़े में चीनी के साथ , दिसंबर जनवरी के जाड़े में सोंठ के साथ, बसंत ऋतू में शहद के साथ, गरमी में गुड के साथ और शिशिर ऋतू में पीपल के चूर्ण के साथ हर्रे का सेवन आपने कर लिया तो शरीर में कोई रोग बचेगा ही नहीं
अर्थात शरीर का कायाकल्प हो जायेगा.
**बवासीर से बहुत परेशान हो तो हर्रे निबौली और गुड का लड्डू बनाकर एक गिलास मट्ठे के साथ २१ दिन तक सुबह सवेरे खा लीजिये। २ ग्राम हर्रे, २ ग्राम निबौली का चूर्ण और एक चम्मच गुड का एक लड्डू बनेगा।
**मुंह में कोई घाव, कोई रोग या छाले हो तो शहद, हर्रे और सेंधा नमक मिला कर पेस्ट बनाइये और दोनों टाइम इसी से ब्रश कीजिये।
**बाल झड रहे हो तो ५ ग्राम हर्रे का पाउडर सुबह सवेरे शहद मिला कर चाट लीजिये. ३ महीने तक
**कफ ,खांसी जैसे रोग हों तो सेंधा नमक के साथ ३ हर्रे रोज खाइए।
**फोड़े फुंसी ,गुस्सा ज्यादा आना या ब्लड प्रेशर हाई रहता हो तो चीनी के साथ हर्रे खाइये।
**वात की बिमारी है, शरीर फूल गया है तो घी के साथ हर्रे खाइये।
**गुड के साथ हर्रे खाने से सारे रोग ही नष्ट हो जायेंगे।
**हिचकी बंद न हो रही हो तो दूध में हर्रे पकाकर खाइये।
**ऐसा कोढ़ जिसने शरीर को गला दिया हो तो रोगी को गोमूत्र में भीगी हुई हर्रे रोज खिलाये. रोज रात में ३ हर्रे गोमूत्र में भीगा दें सवेरे खाली पेट रोगी उन तीनो हर्रे को चबा ले तो एक साल में उसका शरीर बिलकुल स्वस्थ हो जायेगा।
**पथरी हो तो हर्रे के काढ़े में रोज शहद मिला कर पीजिए।
**बलवान बनना चाहते हो तो हर्रे को घी में भून कर पीस लें फिर रोज ४ ग्राम पाउडर ४ ग्राम देशी घी मिला कर चाट लें.
**बच्चे को बुखार हो और दस्त भी हो रहा हो तो हर्रे, सोंठ,और जावित्री का काढा बनाकर पिलाइये ,दो बार पिलाने से ही बच्चा बिलकुल ठीक हो जायेगा।
**हाथीपाँव में हर्रे का ४ ग्राम पाउडर गो मूत्र मिलाकर पी जाये. एक महीने तक लगातार।
**गठिया हो या जोड़ो में दर्द हो रहा हो तो हर्रे को एरंड के तेल में तल कर पाउडर बनाए और ४ ग्राम चूर्ण रोज पानी से निगल लीजिये।
**और एक बात ---
"हरड, बहेड़ा,आवला घी शक्कर संग खाय
हाथी दाबे कांख में चार कोस ले जाय "
इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा
4 टिप्पणियां:
एक हरड और कितने फायदे ....
शुक्रिया इस जानकारी को साझा किया आपने ...
Harad ke itne saare phayde batane ke liye aapka bahut-bahut dhanyawad,
Sachmuch "Harad" amrit ke saman hai.
आपने बहुत बढ़िया जानकारी दिये है | शुक्रिया |
अच्छी जानकारी दी है
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