आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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सोमवार, 26 अगस्त 2013

बहेड़ा :त्रिफला का एक घटक



बहेड़ा बहुत काम का फल है लेकिन दुर्भाग्य यह है की इसके फल के बीज के अन्दर जो मींगी होती है उसका औषधीय उपयोग होता है ,जो या तो बीज के साथ फेंक दी जाती है या कुछ कंपनियों द्वारा बीज के साथ ही पीस दी जाती है. नतीजा यह निकलता है की इससे बनी दवा काम नहीं करती है. जबकि यह बेहद पौष्टिक फल होता है. 
बहेड़ा के फल में बेलैरीकैनिन ,फैतिक एसिड,फ्रक्टोज, रहामनोज,गैलेक्टोज, मैनीताल,चैबुलेजिक एसिड, ग्लूकोज, गैलायल, एलैजिक एसिड, गेलिक एसिड, बीटासिटोस्तीराल आदि  तत्व मौजूद है.इसके बीज मे प्रोटीन और आक्जेलिक एसिड की प्रचुर मात्रा  है.

अगर इसके बीज की मींगी का तेल मिल जाए तो बाल भी उग सकते है।

पथरी हो तो मींगी का पाउडर शहद में मिला कर चाटिये,रोज सुबह २१ दिनों तक।  

दिल में अगर हवा भर गयी हो तो बहेड़ा का फल तथा असगंध का पाउडर बराबर मात्रा में लेकर गुड के साथ मिलाकर लड्डू बनाइये और रोज गुनगुने पानी के साथ खाइये. बाई पास सर्जरी वालो को भी लाभ मिलेगा. 

आँख के किसी भी रोग में मींगी का चूर्ण शहद में मिला कर काजल की तरह प्रयोग कीजिये।

दस्त हो रहे हो तो बहेड़े को तवे पर सेंकिए, पाउडर बनाइये, बराबर मात्रा में सेंधा नमक मिलाइये और पानी के साथ एक चम्मच खा लीजिये. ६-६ घंटे पर एक चम्मच लीजिये। 

बहुत खांसी आ रही है तो बहेड़े को भून कर मुंह में इसका एक टुकडा रख कर चूसते रहिये. 

शरीर में कहीं भी किसी चोट की सूजन या जलन हो तो मींगी पीस कर लेप कीजिए। 

अगर यूरिक एसिड बढ़ गया है और एडियों में दर्द हो रहा है तो हर्र ,बहेड़ा की मींगी, आंवला, गिलोय और जीरा १०-१० ग्राम लेकर महीन पीस कर रखिये और सुबह -शाम ५-५ ग्राम पानी से निगल लीजिये ,२ महीने तक लगातार। गिलोय की मात्रा २० ग्राम रहेगी।

और ये बहेड़ा त्रिफला का तो आवश्यक घटक है ही। 

आपको पता है बहेड़े के पेड़ १०० फुट तक ऊँचे होते है।     



चित्र गूगल बाबा की सहायता से।.……… 

इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा

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