गोबर के नाम से हमेशा नफ़रत मत कीजिये। वीरान से ग्रामीण क्षेत्रों में जब प्राथमिक उपचार का कोई साधन नहीं होता ,यही गोबर आपको तुरंत मिल जाता है और कई बीमारियों में आपके प्राण भी बचा सकता है।
जब प्रसव वेदना अपने चरम पर होती है मगर किन्हीं कारणो से बच्चा बाहर नहीं आ पा रहा है और महिला बुरी तरह छटपटा रही है तो २५ ग्राम गोबर का रस २५० ग्राम दूध में मिलाकर महिला को पिला दीजिये तो तुरंत बच्चा बाहर आ जाएगा। जब बच्चा गर्भ में ही मर गया हो तो उसको बाहर निकालने के लिए भी यह अचूक दवा है। इन दोनों ही परिस्थितियों में अगर उच्च कोटि के अस्पताल का सहारा न मिला तो गर्भवती की जान चली जाती है। तब ये गोबर भगवान का रूप बन जाता है।
अगर आपको किसी भी तरह की स्किन डिजीज है तो गाय के ताजे गोबर को पूरे शरीर पर साबुन की तरह लगाइये फिर आधा घंटा छोड़ दीजिये फिर साफ़ पानी से नहाकर पूरे शरीर में नारियल का तेल लगा लीजिये। एक महीने में ही क्रांतिकारी परिवर्तन दिखाई देगा ,इससे पित्ती उछलना जैसे रोगों में भी आराम मिलता है।
बच्चे को सूखा रोग हो जाए तो ताजा गोबर उसकी रीढ़ की हड्डी पर लगाकर छोड़ दीजिये, १०- १५ मिनट बाद गरम पानी की धार रीढ़ की हड्डी पर गिराएं।काले धागे जैसे कीड़े निकलते दिखाई देंगे। फिर गोबर लगा कर छोड़ दीजिये और फिर १० मिनट बाद गरम पानी से धो डालिये। एक दिन बाद फिर ऐसे ही कीजिये जब कीड़े निकलना बंद हो जाएँ तो बच्चा स्वस्थ हो जाएगा।वर्ना यही सूखा रोग कितने बच्चों की मौत का कारण बनता है।
गरम तेल से जल गये हों या आग से जल गये हो तो तुरंत गोबर लगा लीजिये घाव भी जल्दी भर जाएगा और जलन भी महसूस नहीं होगी।
छोटे बच्चो की गुदा में कीड़े हो गये हैं या लगातार बच्चा खुजला रहा है तो गोबर का रस निकाल कर उसको गरम कीजिये और उससे बच्चे की गुदा धो दीजिये। ८-१० दिन में सारे कीड़े ख़त्म हो जायेंगे।
गोबर का ताजा रस पीने से हृदय शक्तिशाली बनता है ,केवल २५ ग्राम रोज पीना है।
अब आप गोबर का रस कैसे निकलता है वह विधि भी जान लीजिये-
ताजे गोबर को किसी सूती कपडे में बाँध कर लटका दीजिये जो पानी कपडे से छान कर नीचे बर्तन में एकत्र होगा वही गोबर का रस है ,आप निचोड़ भी सकते हैं।
इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा
जब प्रसव वेदना अपने चरम पर होती है मगर किन्हीं कारणो से बच्चा बाहर नहीं आ पा रहा है और महिला बुरी तरह छटपटा रही है तो २५ ग्राम गोबर का रस २५० ग्राम दूध में मिलाकर महिला को पिला दीजिये तो तुरंत बच्चा बाहर आ जाएगा। जब बच्चा गर्भ में ही मर गया हो तो उसको बाहर निकालने के लिए भी यह अचूक दवा है। इन दोनों ही परिस्थितियों में अगर उच्च कोटि के अस्पताल का सहारा न मिला तो गर्भवती की जान चली जाती है। तब ये गोबर भगवान का रूप बन जाता है।
अगर आपको किसी भी तरह की स्किन डिजीज है तो गाय के ताजे गोबर को पूरे शरीर पर साबुन की तरह लगाइये फिर आधा घंटा छोड़ दीजिये फिर साफ़ पानी से नहाकर पूरे शरीर में नारियल का तेल लगा लीजिये। एक महीने में ही क्रांतिकारी परिवर्तन दिखाई देगा ,इससे पित्ती उछलना जैसे रोगों में भी आराम मिलता है।
बच्चे को सूखा रोग हो जाए तो ताजा गोबर उसकी रीढ़ की हड्डी पर लगाकर छोड़ दीजिये, १०- १५ मिनट बाद गरम पानी की धार रीढ़ की हड्डी पर गिराएं।काले धागे जैसे कीड़े निकलते दिखाई देंगे। फिर गोबर लगा कर छोड़ दीजिये और फिर १० मिनट बाद गरम पानी से धो डालिये। एक दिन बाद फिर ऐसे ही कीजिये जब कीड़े निकलना बंद हो जाएँ तो बच्चा स्वस्थ हो जाएगा।वर्ना यही सूखा रोग कितने बच्चों की मौत का कारण बनता है।
गरम तेल से जल गये हों या आग से जल गये हो तो तुरंत गोबर लगा लीजिये घाव भी जल्दी भर जाएगा और जलन भी महसूस नहीं होगी।
छोटे बच्चो की गुदा में कीड़े हो गये हैं या लगातार बच्चा खुजला रहा है तो गोबर का रस निकाल कर उसको गरम कीजिये और उससे बच्चे की गुदा धो दीजिये। ८-१० दिन में सारे कीड़े ख़त्म हो जायेंगे।
गोबर का ताजा रस पीने से हृदय शक्तिशाली बनता है ,केवल २५ ग्राम रोज पीना है।
अब आप गोबर का रस कैसे निकलता है वह विधि भी जान लीजिये-
ताजे गोबर को किसी सूती कपडे में बाँध कर लटका दीजिये जो पानी कपडे से छान कर नीचे बर्तन में एकत्र होगा वही गोबर का रस है ,आप निचोड़ भी सकते हैं।
इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा
3 टिप्पणियां:
इस उत्तम जानकारी के लिये आप को धन्यवाद...
नयी पोस्ट@ग़ज़ल-जा रहा है जिधर बेखबर आदमी
सूखारोग से सम्बन्धित जानकारी का लाभ 32वर्ष पहले ही लेते हुए देखा था,अतः कह सकती हूँ-अन्य जानकारियाँ भी बहुत लाभकारी होंगी . सधन्यवाद_
लेकिन गोबर मे बैक्टीरिया भी होता है तो क्या उसका कोई गलत प्रभाव नहीं पड़ेगा। वैसे देखा जाए तो वो पशु का मल ही है जिसे शरीर बाहर निकाल चुका होता है तो क्या उसी को फिर से शरीर मे लेना उचित हैं ?
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