आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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मंगलवार, 8 जुलाई 2014

गर्भस्थ शिशुओं की रक्षक है लौकी


                                        

लौकी इकलौती ऎसी सब्जी है जिसमें दूध के सारे गुण पाए जाते हैं। मराठी और गुजराती में तो इसे दुधी और दुध्या कह कर ही पुकारा जाता है। जैसे दूध ज्यादा पी लेने पर कफ की अधिकता हो जाने से शरीर भारी हो जाता है ठीक वैसे ही ज्यादा लौकी खाने से भी कफ बढ़ जाता है और शरीर भारी हो जाता है। हिन्दी में लौकी ,लौका, लौया, कद्दू, मीठा कद्दू, घीया, मीठी तुम्बी, राम तोरई आदि नामो से इसको पुकारते हैं। संस्कृत में-तुम्बी ,अलाबू या मिष्ट कहते हैं। बंगाली में कोदू,लौऊ कहते हैं। मराठी में भोप्ला भी कहते हैं। अंग्रेजी में व्हाईट पम्पकिन या स्वीट गार्ड और वैज्ञानिक भाषा में-कुकुरबीटा लेजेनेरिया कहा जाता है। 

लेकिन इस सबसे सस्ती सब्जी से आप कई सारी मुश्किल बीमारियों का सफलता पूर्वक इलाज कर सकते हैं। देखिये कैसे -------------
** बहुत छोटे बच्चे कभी कभी बुखार की अधिकता में झटका लेने लगते हैं। जिसका ९०% परिणाम यह होता है कि बुखार की गरमी सिर में चढ़ जाने से दिमाग कमजोर हो जाता है और भी कई मुश्किलें आ सकती हैं जैसे बच्चा बेहोश हो सकता है या कोमा में जा सकता है। ऎसी दशा में पहले से सावधान रहिये ,यदि बच्चे को बुखार इतना तेज हो गया है कि कुछ भी खिलने -पिलाने पर उलटी हो जा रही है तो तुरंत लौकी को कद्दूकस  करके बच्चे के माथे पर मोटा लेप रखिये ,१०- १० मिनट पर ३ बार बदल दीजिए ,इससे बुखार कि गर्मी मस्तक में नहीं चढेगी। किसी को भी अगर बुखार तेज हो तो जरूर माथे  पर लौकी कद्दूकस करके लेप कर दीजिए ,यह बुखार में काफी राहत देती है।  
** टी बी या राज यक्ष्मा या क्षय रोग कितनी खतनाक बीमारी है मगर लौकी से ये हार मान जाती है। ताजा लौकी पर जौ के आटे का लेप कीजिए फिर उसे कंडे की आग में भूनिये इतना भूनिये कि पानी रिसने लगे ,अब इसे किसी मुलायम कपडे में रख के निचोड़ लीजिए,  यह अमृत रस रोगी को आधा आधा सुबह शाम पिला दीजिए ,अगले दिन फिर नई लौकी के साथ यही काम कीजिए ,एक माह में ही बीमारी खत्म होने के रास्ते पर होगी ,२ माह पिला देंगे तो बिमारी जड़  से खत्म।  
** लौकी के ताजा पत्ते पीस कर बवासीर के मस्सों पर लेप करने से मस्से जड़ से खत्म हो जाते हैं और घाव भी भर जाता है। 
**गर्भवती महिलाओं के लिए वरदान है लौकी। जिन महिलाओं को अक्सर गर्भ पात हो जाता है वे तो लौकी को कद्दूकस करके उसमे मिश्री मिला कर रोज खाया करें। जिन महिलाओं को सिर्फ लडकियां ही पैदा हो रही  हैं वे दूसरे और तीसरे महीने में लौकी कद्दूकस करके मिश्री मिला कर खाएं यदि लौकी में बीज हो तो उसे भी चबा चबा कर कहा लें ,फेंके नहीं। शुरू के तीन -चार महीनो तक लौकी मिश्री खाने से शिशु गोरे रंग का पैदा होगा। इससे महिलाओं को कब्ज भी नहीं होगा , गर्भ का तो पोषण होगा ही। लौकी की सब्जी गर्भस्थ शिशुओ को बहुत फायदा करती है। 
**हार्ट पेशेंट को लौकी का हलवा बहुत फायदा करता है या फिर उन्हें लौकी उबाल कर बस जीरा ,हल्दी,धनिया पावडर मिला कर पिलायें। 

इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा

2 टिप्‍पणियां:

आशीष अवस्थी ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति , आप की ये रचना चर्चामंच के लिए चुनी गई है , सोमवार दिनांक - १३ . ७ . २०१४ को आपकी रचना का लिंक चर्चामंच पर होगा , कृपया पधारें धन्यवाद !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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उपयोगी पोस्ट।