आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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रविवार, 2 नवंबर 2014

अमरता और देवत्व हासिल होते है जडी- बूटियो से ही


आज मेरे लिए एक ख़ास दिन है इस दिन को मैं और ख़ास बनाना चाहती हूँ आप सभी को एक ख़ास जानकारी देकर। मुझे यह जानकारी कुछ दिनों पूर्व धनतेरस के शुभ दिन भगवान धन्वंतरि की महान कृपा से मिली। 
हम अभी तक देवताओं और अमरत्व के बारे में सुनते आये ,किसी कहानी की तरह।  अपनी धार्मिक किताबों में पढ़ते भी आये। लेकिन हमारा ये साईंटिफिक युग का दिमाग साथ ही साथ यह  भी यही सोचता रहा कि  हाँ "दिल को बहलाने को ग़ालिब ये ख़याल अच्छा है".  
लेकिन अब मुझे तो विश्वास हो गया कि सचमुच यह सम्भव है। महान शल्य चिकित्सक सुश्रुत ने ऎसी जड़ी-बूटियों के बारे में बहुत कुछ लिखा है। 
कुल अट्ठारह जड़ीबूटियों के बारे में बताया है कि  इन्हें खाने से (एक ख़ास विधिपुरक इनका सेवन करने से ) मनुष्य दो हजार साल तक जीवित रह सकता है ,पलक झपकते ही कहीं भी आ-जा सकता है।अबाध गमन और श्रुतनिगदि अर्थात एक बार सुने को हमेशा याद रखने वाला (पावरफुल मेमोरी) बलवान और निरोग तो हो ही जायेगा ,बुढ़ापे का कोई लक्षण नहीं आएगा। इनके नाम हैं- अजगरी, श्वेत कापोती, कृष्ण कापोती, गोंसी, वाराही, कन्या, छत्रा, अतिच्छत्रा, करेणु, अजा, चक्रका, आदित्यपर्णिनी, ब्रह्मसुवर्चला, श्रावणी,महाश्रावणी, गोलोमी, अज्लोमी, महावेगवती।

२४ तरह की ऎसी सोमलताओं का वर्णन है जिनसे सोमरस निकलता है जिनका एक ही बार ख़ास विधि से सेवन करना होता है और दो माह तक नज़रबंद रहना होता है अर्थात एक ख़ास तरह से जीवन बिताना होता है। इस दो माह की कठिन तपस्या के बाद देवत्व आपके अंदर आ जाएगा। सशरीर वायु में बेरोकटोक गमन कीजिए। १००० हाथियों का बल आपके अंदर आ जाएगा। भूख, प्यास, नींद, बुढ़ापा आपकी मर्जी के गुलाम होंगे। १० हजार साल तक आपकी उम्र बढ़ जायेगी। इतने खूबसूरत हो जाएंगे की देखते ही लोग देवता समझ लेंगे। इनके नाम इस तरह हैं---अंशुमान, मुंजवान, चन्द्रमा, राजत्प्रभ, दूरवासोम, कांईयां, श्वेताभ, कनकप्रभ, प्रातांवां, तालवृन्त, करवीर, अनश्वान्, स्वयंप्रभ, महासोम, गरुणाहृत, गायत्र, त्रैष्टुभ, पांक्त, जागत, शाकवर, अग्निष्टोम, रैवत, त्रिपदागायत्री, उडुपति। 
लेकिन महर्षि सुश्रुत ने सुश्रुत संहिता में यह भी बताया है की यह दिव्य औषधियां  उन्ही लोगों को दिखती हैं जो धार्मिक, अकृतघ्न, औषधि पर विश्वास रखने वाले और बुजुर्गों का सम्मान करने वाले होते हैं। 
सात तरह के व्यक्तियों को इन रसायन के सेवन के अयोग्य माना गया है-
अनात्मवान् 
आलसी
 दरिद्र
प्रमादी 
व्यसनी 
पापी 
और औषधि पर विश्वास न रखने वाला।  

और अब मैंने यह संकल्प कर लिया है की मैं इन्हे खोज कर ही रहूंगी ताकि इनका लाभ पूरी मानवता को मिल सके। 

3 टिप्‍पणियां:

आशीष अवस्थी ने कहा…

सुंदर लेखन व जानकारी , धन्यवाद !
Information and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )

दिगम्बर नासवा ने कहा…

कितना कुछ है ग्रंथों में जिसकी खोज बाकि है ...
आप प्रयास अक्रें ... सब की शुभकामनायें आपके साथ हैं ...

RAJNISH PARIHAR ने कहा…

बधाई .....एँकी लॉसिंग स्पॉंडोलीटिस का कोई उपचार हो तो कृपया पोस्ट करें ....