सबसे पहले आप काली जीरी और काला जीरा के चित्र को ध्यानपूर्वक देखिये -----
यह काला जीरा है
यह काली जीरी है
चरक कहते हैं कि ----
विषघ्नी च सोमराजी विपाचिता।
काली जीरी को देश के विभिन्न भागों में भिन्न -भिन्न नामों से पुकारा जाता है। ये नाम हैं-
सोमराजी, वनजीरक, अरण्यजीरक, मलौबक्शी, काकशम, बृहत्पाली, तिक्तजीरक, रणचजिरी, कलुजौरी, हकुच , बकौकी आदि। इसको वैज्ञानिक भाषा में Vernonia anthelmintika कहते हैं।
काली जीरी के पौधे की एक खासियत है की ये पड़ती जमीनो पर उगा हुआ मिलता है।
## चरक संहिता में स्पष्ट है कि शरीर में कैसा भी जहर हो काली जीरी उसको नष्ट करने की क्षमता रखती है। यह शरीर में मौजूद हर प्रकार के कीड़ों को मारने में सक्षम है। ५ ग्राम काली जीरी लेकर उसको २०० ग्राम पानी में धीमी हीट पर उबालिये। जब १०० ग्राम पानी बच जाए तो उसको थोड़ा ठंडा करके पी जाएँ। याद रखिये बहुत कड़वा होता है।५-६ दिन तक पीना पर्याप्त होगा।
## किसी को फालिज मार गया हो तो आप इसको पीस कर पानी के साथ पतली चटनी बनाइये और प्रतिदिन प्रभावित अंगो पर लेप कीजिये।एक महीने में आश्चर्यजनक परिणाम देखने को मिलेगा।
## चर्म रोग, सफ़ेद दाग,सोरायसिस ,असमय बाल सफ़ेद होना या बाल गिरना,इन सभी रोगों में काली जीरी और काले तिल को सूर्योदय से पहले लिया जाए तो एक साल में ही रोग जड़ से समाप्त हो जाता है। कैसा भी भयंकर चर्म रोग हो उसके कीटाणुओं का वंश ही समाप्त हो जाता है।
## इसके सेवन से श्वास नली की तकलीफ तथा हिचकी ख़त्म हो जाती है।
## यह शरीर से सारे बलगम को निकाल बाहर करती है। सर्दी की तकलीफ में बहुत आराम देती है।
## इसके काढ़े से बवासीर में भी आराम मिलता है। ५० ग्राम काली जीरी कच्ची ही पीसिये और ५० ग्राम भून कर पीसिये। दोनों चूर्ण मिलाइये। ४ ग्राम की मात्र में रोज खाइये। २१ दिनों में खूनी बादी हर तरह की बवासीर जड़ से ख़त्म हो जायेगी।
इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा
2 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (19-09-2015) को " माँ बाप बुढापे में बोझ क्यों?" (चर्चा अंक-2103) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुंदर
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