अगर दीपावली के त्यौहार पर जिमीकंद (सूरन) को अनिवार्यतः खाने की परम्परा न होती तो अनेको लोग इसकी तरफ देखते भी नहीं. उन अनेकों में आप मुझे भी गिन सकते हैं. क्योंकि जिमीकंद (सूरन) खाने से गले के अन्दर खुजली होने लगती है ,जिसे "गर काटना" भी कहते हैं. इसी खुजली से बचने के लिए लोग जिमीकंद खाते ही नहीं.लेकिन ये कई बीमारियों में बहुत काम आता है और ये ऐसे समय पैदा होता है जब कीट-पतंगों की बहुतायत हो जाती है .ये कीड़े रात में बल्ब,मोमबत्ती, दीपक को इस तरह घेर लेते हैं कि खाना बनाना-खाना मुश्किल, लिखना-पढ़ना मुश्किल, छोटे बच्चों की स्किन तो इतनी नाजुक होती है कि एक कीड़ा भी अगर शरीर के संपर्क में आये तो फफोले पड़ जाते हैं. फिर कितनी जलन सी होती है ,ये बस बच्चा ही बताएगा रो-रोकर. ऐसे समय यह जिमीकंद बहुत काम आता है.
जिमीकंद में विटामिन-ए, विटामिन-बी, आयरन, फास्पोरस, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाईड्रेट, क्षार, कैल्शियम आक्ज्लेट आदि तत्व पाए जाते हैं.
इसे देश के अधिकाशतः राज्यों में सूरन, ओल, जिमीकंद के नाम से ही जानते हैं.मराठी में गोडासूरण, खाजेरासूरण कहा जाता है.इसका वैज्ञानिक नाम है- Amorphophallus companulatus और अंग्रेजी में Wild corm कहते हैं.
## पेट में किसी भी तरह की परेशानी महसूस हो तो आप इसकी सब्जी बनाकर खाएं ,इसके खुजली वाले गुण से डरें नहीं. न ही इसके कसैलेपन की परवाह करें . ये पेट की सभी बीमारियों में दवा का काम करता है ,इसका खुजली वाला अवगुण दूर करने के लिए ज़रा ज्यादा तेल -घी-चिकनाई का प्रयोग इसकी सब्जी, चोखा या अचार में कीजिए.
## जिमीकंद को छाये में सुखाकर उसका चूर्ण बनाकर रख लीजिये. आपको बवासीर हो गयी हो तो रोज सुबह खाली पेट ५-६ ग्राम चूर्ण पानी से निगल लीजिये, कम से कम एक महीना तो खा ही लीजिये. यही चूर्ण यकृत क्रिया को भी ठीक करता है और अगर प्लीहा बढ़ गया है तो जिमीकंद का चूर्ण बहुत तेज काम करता है.
## जब किसी को आंव या खूनी आंव हो जाए तो जिमीकंद के चूर्ण को जरा से घी में भूनिए और जितना चूर्ण उतनी ही चीनी मिलाकर खा लीजिये.कम से कम ११दिन और दिन में सिर्फ एक बार .
## अगर गठिया हो गया हो तो सूरन का गूदा और सूरन के बीज पीस कर लेप कर लीजिये .रोज रात में लेप कीजिए २१ दिनों तक.
## कोई जहरीला कीड़ा काट ले तो जिमीकंद की चटनी पीस कर उस स्थान पर लेप कीजिए. यह चटनी सारा ज़हर सोख लेगी.
इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा