आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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गुरुवार, 11 जून 2009

स्टीविया अर्थात आयुर्वेदिक चीनी

स्टीविया से आप सब अनजान तो होंगे नहीं। स्टीविया रिबाऊदियाना मूळ रूप से पेरूग्वे का पौधा है । वहाँ ये बेहया की तरह अपने-आप उग जाता है। यह पौधा सामान्यतः शक्कर से तीस गुना मीठा होता है । यही नहीं इसका एक्सट्रेक्ट चीनी से तीन सौ गुना मीठा होता है । इसके गुणों को जानना तो जैसे आम मानव के लिए वरदान बन गया । आज के समय में जब मधुमेह की बीमारी एक महामारी का रूप लेती जा रही है और शुगर फ्री , ईकुअल ,टोटल जैसी दवाएं हर दसवें घर में प्रयोग की जा रही हैं तो सावधानियां नितांत आवश्यक हो गयी हैं। विश्व की मधुमेह आबादी में हर पांचवा व्यक्ति भारतीय देखा गया है। अब आप सभी चीनी छोड़ कर स्टीविया का प्रयोग शुरू कर दीजिये।
स्टीविया की व्यवसायिक खेती जापान, पेरूग्वे , कोरिया, ताईवान , अमेरिका तथा एशिया में हो रही है। भारतवर्ष में पंजाब ,मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र , कर्णाटक, आंध्रप्रदेश, और थोड़ी मात्रा में उत्तर प्रदेश में भी हो रही है। आप भी चाहें तो अपनी गृहवाटिका में इसके दस -पाँच पौधे लगा सकते हैं क्योंकि बुजुर्गों ने कहा है की सावधानी हमेशा अच्छी होती है।
स्टीविया का पौधा ७० से०मी० ऊंचा पौधा है । यह बहुवर्षीय झाडीनुमा पौधा है जिसे पनपने के लिए १२ से ४५ डिग्री तापमान चाहिए ।
स्टीविया के पत्ते का स्वाद मीठा होता है । इसके पत्तों में स्टीवियोसाइड , रीबाऊदिस , रीबाऊदिसाइद्सी , डुल्कोसाइड , जैसे योगिक पाये जाते हैं ,जिनके कारण पत्तों में इंसुलिन बैलेंस करने की शक्ति आ जाती है। स्टीवियोसाइड इसके पत्तों में ५ से २० % तक पायी जाती है । १०% स्टीवियोसाइड वाले पत्ते अच्छे माने जाते हैं।
इन पत्तों का उपयोग आसान सा है। इसके पत्तों को छाये में तीन दिन सुखा लीजिये । फ़िर उन्हें मिक्सर में महीन पीस लीजिये । एक कप काफी या चाय में इस चूर्ण की आधे से एक ग्राम मात्रा काफी होगी। इस चूर्ण को आवश्यकता के अनुसार आप हर मीठी चीज को मीठा करने के लिए डाल सकते हैं । तैयार सामान पूरी तरह कैलोरी शून्य होगा । अब शुगर के रोगी जितनी चाहें मिठाई खाएं वो भी धड़ल्ले से । यह पूरी तरह से हर्बल है जबकि आज तक जो भी कैलोरी फ्री शुगर फ्री दवाएं प्रयोग हो रही थी सबमें कोई न कोई साइड इफेक्ट का ख़तरा था और स्टीविया हर तरह के साइड इफेक्ट से मुक्त है । इसके अलावा यह हाई ब्लड प्रेशर एवं ब्लड शुगर का भी नियमितीकरण करता है । यह चर्म रोगों में भी फायदेमंद है। यह एंटी वायरल तथा एंटी बैक्टीरियल का भी काम करता है ।
भारतीय भोजन का जरूरी हिस्सा मिठाई होती है । खीर ,हलुआ, शरबत तो प्रतिदिन की एक डिश है .पर हम अब शारीरिक श्रम कम करते हैं तो अनावश्यक कैलोरी के साथ मोटापा बढ़ने के डर से मीठा खा नहीं पाते । अब मन मसोसने की जरूरत नहीं । जी भर कर मीठा खाएं पर गन्ने की चीनी नहीं स्टीविया की चीनी ।

16 टिप्‍पणियां:

RAJNISH PARIHAR ने कहा…

जी बहुत ही अच्छी और नयी चीज़ बताई आपने..धन्यवाद...

Sheetal ने कहा…

aapke is tarah ausadheey gun vale ped paundho ke barey mein batane se vakai hum sabhi apne aaspaas ki cheezon se laabh payenge.bahut bahut dhanyavaad.mere blog par bhi aayein.

निर्मला कपिला ने कहा…

bahut badiya jankari hai magar ye paudh kahan asani se milga kyaa iska seed milta hai? dhanyvad

gazalkbahane ने कहा…

bahut badiya jankari hai magar ye paudh kahan asani se milga kyaa iska seed milta hai? dhanyvad
यही सवाल मेरा है
श्याम सखा
http//:gazalkbahane.blogspot.com/ पर एक-दो गज़ल वज्न सहित हर सप्ताह या
http//:katha-kavita.blogspot.com/ पर कविता ,कथा, लघु-कथा,वैचारिक लेख पढें

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

पढ़कर तो मिठास मिल गई,
परन्तु यह उपलब्ध कहाँ से होगी।

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत उपयोगी लगी यह जानकारी शुक्रिया

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) ने कहा…

bahut hi gyan parak jankari dee aapne aap ka but bhut abhar

IMAGE PHOTOGRAPHY ने कहा…

उम्दा जानकारी के लिये धन्यवाद,

shama ने कहा…

एक बात पूछ सकती हूँ? आपके ब्लॉग पे मैंने,"ल"के बदले,जो मराठी में "कमल" के स्थान पे होता है, वो अक्षर देखा..कैसे टाइप हो सका? मैंने तो बड़ी कोशिश की थी, उसे टाइप करने की..!

http://lalitlekh.blogspot.com

http://kavitasbyshama.blogspot.com

http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com

Ye cheenee kaa paryaay mai istemaal karti hun..!
Aapke blog pe badee achhee jaankaaree milee!

Mere any blog links in blogs pe milhee jeyenge...!Intezar rahega!

संजीव गौतम ने कहा…

बहुत ज्ञानवर्धक है. आपको बहुत-बहुत साधुवाद अलका जी. संजीव गौतम

Udan Tashtari ने कहा…

एकदम नई बात पता चली. आभार.

gazalkbahane ने कहा…

आपने अपनी मेल मे पौधे के बीज भेजने को लिखा था हमें इन्तजार है
श्याम

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

बहुत उपयोगी ब्लाग है।

'' अन्योनास्ति " { ANYONAASTI } / :: कबीरा :: ने कहा…

आयुर्वेदिक चीनी नहीं ,प्राकृतिक चीनी कहना ज्यादा उचित होगा ! आखिर वर्त्तमान चीनी भी जिस गन्ने से बनता है वह भी एक पौध ही तो है ? हाँ चीनी बनाने में रसायनों का प्रयोग उसकी कमियों को कई सौ गुना बढा देता है |

Unknown ने कहा…

pwdha ka photo site pe laga de pahchane me asani hogi

मंजुला ने कहा…

mai bhi ye paudha ghar may lagana chati hoon..krapya batiye kahan say bij melega?