आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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गुरुवार, 25 मार्च 2010

पहचानिए असली अशोक को


                        असली अशोक                                काष्ठदारू 
ये मार्च का महीना है ,इसी महीने में महिला दिवस मनाया जाता है ,अभी देश में महिला आरक्षण  को लेकर बहुत शोर शराबा हुआ है , इसीलिए मैंने अपनी ये पोस्ट महिलाओं को ही समर्पित करने का फैसला किया है.इस महीने एक और दुखद अनुभव मुझे हुआ. अनेक लोगों ने कायाकल्प लड्डू बनवाये मगर सिर्फ अपने लिए ,अपनी पत्नी के लिए नहीं , वे तो अपने आपको स्वस्थ और जवान बनाए रखना चाहते हैं मगर अपनी उस जीवन साथी को नहीं जो एक सुबह से गयी रात तक उनकी चाकरी करती रहती है. चलिए मैं ही महिलाओं के हक़ में कुछ करू -----
            ऊपर दो चित्र आप देख रहे हैं ,दोनों अशोक के नाम से जाने जाते हैं . मगर आप ठीक से पहचान लीजिये कि जो पेड़ हर जगह दिखायी देता है वो अशोक नहीं है,उसे काष्ठदारु कहते हैं . हालाकि इस पृथ्वी पर ऎसी कोई वनस्पति नहीं है जिसकी कोई औषधीय उपयोगिता न हो ,काष्ठदारु भी चर्मरोगों ,प्रमेह और बुखार में उपयोगी है .मगर आज हम सिर्फ अशोक की बात करेंगे .
          यह लेगुमिनोसी कुल का पौधा है जिसका वैज्ञानिक नाम है ''सराका इंडिका' .इसे पूरे देश में अशोक के नाम से ही जाना जाता  है,संस्कृत में इसे हेम पुष्प ,ताम्र पल्लव और कंकेली भी कहते हैं.मुझे  दो दिन देर हो गयी आपको ये जानकारी देने में कि चैत्र मॉस की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को अर्थात रामनवमी से एक दिन पहले अशोक की पुष्प कलिकाओं को पानी के साथ सेवन किया जाए तो सभी दुखों [रोगों] से छुटकारा मिल जाता है.
           अशोक का पौधा तीस फिट तक ऊंचा और फैला हुआ होता है ,पत्तियाँ तीन से नौ इंच लम्बी गहरी हरी होती हैं. इसके फूल चमकीले सुनहले रंग के लाल आभा लिए हुए होते हैं इसीलिए पुराणों में इसका नाम हेमपुष्प है ,बसंत ऋतू में खिलने वाले ये फूल बहुत सुगन्धित होते हैं जिनमें सर्दियों में फलियाँ लगती हैं. हर फली में ६-७ बीज होते हैं .
छाल का काढा -----
अशोक की ९० ग्राम छाल लीजिये और उसे ३०० ग्राम पानी में रात भर भिगा दीजिये ,सुबह उसको धीमी आंच पर अल्यूमिनियम के अलावा किसी भी धातु के बर्तन में तब तक उबालें जब तक कि वो ५० ग्राम न बचे ,अब इसे तीन बराबर भागों में बाँट लें और निम्न बीमारियों में दिन में तीन बार पी लीजिये -
मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्तस्राव में ,अनियमित मासिक धर्म में ,ल्यूकोरिया में ,बदबूदार मासिक धर्म में ,बवासीर में ,रजोनिवृति  के समय में ,विभिन्न स्त्रीरोगों में ,एबार्शन हो जाता हो तो भी ये काढा रोक लेगा ,शरीर में कहीं दर्द हो तो ,कफ ज्यादा होने में ,गर्भाशय के आसपास दर्द में ,किसी भी संक्रमण में .
अगर मेरी राय माने तो हर नारी को महीने में पांच दिन ,दिन में दो बार इसे पी लेना चाहिए क्योंकि दुर्घटना से सावधानी भली .क्या ये जरूरी है कि हम मकान में तभी ताला लगाएं जब एक बार चोरी हो जाए? 
शुगर के रोगियों को अशोक के सूखे फूलों के चूर्ण का सेवन करते रहना चाहिए ,चूर्ण की मात्रा चार ग्राम प्रतिदिन .सूजन की स्थिति में इसकी  छाल का पेस्ट बना कर प्रभावित स्थान पर लगाएं ,ये पेस्ट किसी भी जहरीले जानवर के काटने के स्थान पर भी बहुत तेज काम करता है ,इसे तुरंत लगाकर आप जहर फैलने ,फफोले पड़ने या संक्रमण होने से रोक सकते हैं .  अशोक की सुखी लकड़ियों और पत्तियों का धुँआ घर से कीटाणुओं को भगाता है ,अगर जलाते समय थोड़ा सा देशी घी उसमें डाल दें तो सांस की बीमारियों के कीटाणु भी नष्ट हो जायेंगे ..
          अशोक की छाल में ग्लाइकोसाइद्स , क्वैर्सेतिन ,कैतेकाल,  किम्फेराल, पलारगोनिदीन , साय्नीदीन ,सैपोनिंस ,टैनिन्स ,
हिमोटाक्सीली, कितोस्तीराल ,कैल्शियम ,
एपीजैनिन तथा लोहा पाया जाता है .साथ ही लकड़ियों की राख में भी कई सारे तत्व पाए जाते हैं ,ये राख आपके गमलों के लिए अच्छी खाद का काम करेगी .इस खाद में सोडियम , पोटेशियम ,मैग्नीशियम ,कैल्शियम, अल्यूमीनियम ,सिलिका आदि देखे गये हैं .
ये पीले  रंग के पुष्प काष्ठदारु के हैं ,ऊपर वाला चित्र अशोक के फूलों का है . 
                      इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा

26 टिप्‍पणियां:

अजय कुमार ने कहा…

उपयोगी जानकारी । आपके खजाने से एक और नुस्खा ,बधाई

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत अच्छी जानकारी दी है....खास तौर पर स्त्रियों के लिए..

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत ही उपयोगी जानकारी है यह शुक्रिया

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…

baap re baap.....mujhe kuchh nahin kahanaa...ham bolenge to bologe ki bolta hai......

रश्मि प्रभा... ने कहा…

achhi baat se awgat karaya

rashmi ravija ने कहा…

बहुत ही उपयोगी जानकारी दी ...इतनी सारी बातें पता चलीं...शुक्रिया

Ashish (Ashu) ने कहा…

अति सुन्दर आपका हर लेख अतुलनीय हे..आपके विचारो के सानिध्य मे रहने का सुवसर प्राप्त करने के लिये मॆने आपके ब्लाग का लिंक अपनी डायरी Ashu में दिया हॆ । धन्यवाद

Vinashaay sharma ने कहा…

आपके पास तो जड़ी,बुटियों का खजाना है,बहुत अच्छी सेवा कर रहीं हैं,मेरी पत्नी की आखों में मोतिया हो गया है,उसके लिये कोई देसी इलाज है,क्या?

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आपकी तिज़ोरी भारी पड़ी है नायाब निस्खों से ... अच्छी जान कारी ....

बेनामी ने कहा…

very best hai jee...

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

thanks a lot for this information. but pls.also tel me about KASHTHDARU. i M WAITING.

ओम पुरोहित'कागद' ने कहा…

अल्का जी,
आपके ब्लाग शायद सार्वजनिक हैँ और शायद इसी वज़ह से मैँ इन्हे पढ़ पाया।लिखता पढ़ता हूं इस लिए'साहित्य हिन्दुस्तानी' को पढ़ा और आयुर्वेदिक जड़ी बूटियोँ से लगाव है इस लिए'मेरा समस्त' को पढ़ा।पसंद आया तो फालो कर दिया।इस मेँ तो कोई बुराई भी नहीँ है।यदि आपको रुचिकर नहीँ लगा तो हटा देता हूं।फोन पर यूं पूछना कि'क्या आपने पढ़ा है'मुझे तो अरुचिकर लगा।वैसे आपका ब्लाग प्रबंधन अच्छा है।बधाई तो स्वीकार कर ही लो।
मेरा ब्लाग क्योँ नहीँ?देखो तो जरा-
omkagad.blogspot.com

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

aapne to bahut hi jyada aur achhi jankari di hai .aajma kar dekhugi.

Gyan Darpan ने कहा…

अलका जी
गर्मियां शुरू होते आजकल बेल के फल आने शुरू हो गए है कृपया इसके सेवन से होने वाले लाभों व बेल के बारे में भी बताएं

ओम पुरोहित'कागद' ने कहा…

अल्का जी,
नमस्कार!
मैँ एक दिन बैठा-बैठा ग्वारपाठे के सम्बन्ध मेँ गूगल पर सर्च कर रहा था कि,कई लोगोँ के साथ आपका नाम व ब्लाग भी सामने आ गया।बस,मैँने खोल लिया आपका ब्लाग।पहले पढ़ा फिर आगे बढ़ा और फालो कर दिया।फिर आया आपका अजीब सा फोन।मैँ परेशान हो गया कि ऐसे क्योँ पूछा कि 'आपने मेरा ब्लाग पढ़ा क्या?' मेरे 'हां'कहने परआपने फिर पूछा'क्या था उसमेँ-क्या पढ़ा?' मैँ और ज्यादा परेशान हो गया।बस इसी लिए तल्ख सी टिप्पणी हो गई वरना ऐसी कोई बात नहीँ है।माफी आप क्योँ मांगें?मैँ मांग लेता हूं मेरी तल्खी के लिए।

आपको ऐहसास हो गया कि ये पूछा जाता है कि'मेरा ब्लाग कैसा लगा?'न कि'मेरा ब्लाग आपने पढ़ा क्या.........?' खैर!अब लड़ाई खत्म!शायद दोनोँ तरफ समझने की गलती या भूल तो हुई ही है।
*आपको आयुर्वेदिक जड़ी बूटियोँ का अच्छा ज्ञान है।मुझे भी उच्च रक्तचाप व ह्रदय रोग से बचाव के लिए अच्छा सा आयुर्वेदिक उपचार/नुस्खा बताइए।वैसे मैँ अर्जुन छाल व मोती पिस्टी का सेवन कर रहा हूं।लोकी का ज्यूस भी खूब पीया है।पिस्ता भी भिगो कर खाया है।परन्तु फर्क नहीँ आया है।
*दिल तो25वर्ष पहले ही धर्मपत्नी को दे दिया था,तो फिर अब मेरे सीने मेँ क्या और क्योँ दर्दाता है?यदि दिया हुआ दिल अभी भी मेरे ही सीने मेँ पड़ा है और दर्द मुझे देता है तो दिल की नाइंसाफी है ना!
*आपके पास-पड़ौस मेँ कोई राजस्थानी परिवार रहता हो तो उसकी मदद लेँ-राजस्थानी भाषा सीख जाएंगी।कठिन नहीँ है।
*हिन्दी मेँ मैँने खूब लिखा है और देश भर मेँ कविताएं पढ़ीँ हैँ।दूरदर्शन व आकाशवाणी पर कई दशकोँ से प्रसारण भी हो रहा है।ब्लाग पर राजस्थानी के साथ साथ हिन्दी व पंजाबी कविताएं भी सुनाऊंगा।थोड़ा इंतज़ार करेँ।मैँ नैट के मामले मेँ थोड़ा कमज़ोर हूं।
*मैँने तो आपके ब्लाग पर अपनी फोटो टांग दी है औरआपने शायद अभी खिँचवाई नहीँ है।
*अब आपका ब्लाग मैँ नियमित पढ़ूंगा।
*आप इस बात पर ताज़ुब करना कि मैंने यह सारा ख़त मोबाइल पर लिखा है और मोबाइल से ही प्रेषित किया है।

Akhilesh pal blog ने कहा…

bahoot he achha likha hai aap ne

Dr. Tripat Mehta ने कहा…

very informative
thanks :)
http://sparkledaroma.blogspot.com/
http://liberalflorence.blogspot.com/

Amitraghat ने कहा…

बहुत बढ़िय पोस्ट ..........."

डॉ कुमार गणेश ने कहा…

ALKA JI,AAP KA BLOG HAMARE SWASTHYA KE SAJAG PRAHARY KA KAAM KAR RAHA HAI.ISI PRAKAR HAMARE SWASTHYA KO DURUST BANAYE RAKHIYE...KOSHISH KARUNGA KI YAHAN AKSAR LABH UTHANE AA PAAU...

ओम पुरोहित'कागद' ने कहा…

alka ji,
ydi aap uch rakt chap ki dawa bhejengi to main nischy hi niymit roop se sevan karunga.

ओम पुरोहित'कागद' ने कहा…

क्या हुआ अल्का जी , आप तो दवा भेजने वाली थीँ?दवा तो दूर दुआ के लिए भी इधर का रुख ना किया।मैँने अब हिन्दी कविताएं लगाई हैँ वो ही पढ़ लेतीँ।खैर!आपकी जैसी इच्छा!

vijay kumar sappatti ने कहा…

alka ji

hamesha ki tarah , is baar bhi bahut hi rochak jaankari , aapki research kamaal ki hoti hai ... sirf dawa hi nahi , balki usse jude hue sabhi baate bhi aap bataati hi ,jo ki bahut upyogi hoti hai aur lekh ki saarthakta ko siddh karti hai ..

aabhar aapka

vijay

हर्षिता ने कहा…

बहुत अच्छी जानकारी दी है,खास तौर पर स्त्रियों के लिए धन्यवाद।

Asha Joglekar ने कहा…

Alkaji hum to kashtdaru ko hee Ashok samazrahe the aur sochte bhee the ki is ko to kabhee phool aate hi nahee fir Malwika dwara padaghat se kaun sa vruksh pushpit ho utha tha . Aapne to dono ke phool dikhaye hain par mai ab aage koshish karoongi dekhane ki. waise kab pushpit hota hai kashtdaru ? Aapki jankari bahut achchi lagi maine to yah ped dekha nahi hai . par ye kahan adhik paya jata hai wah bhee batayen

पा.ना. सुब्रमनियन ने कहा…

आभार. आपने हमारा भ्रम दूर किया.

pramodtewari ने कहा…

aapne bahut hi achchhi jankari di dhanywad