मिर्च , नाम आते ही कुछ लोग सी-सी करने लगते हैं तो कुछ लोग चटखारे लेने लगते हैं. हमारे देश में यही तो समस्या है की एक स्वाद के बारे में दो लोगों की राय कभी एक नहीं हो सकती. पर इसमें बेचारी मिर्च का क्या दोष . वह फायदा तो सभी को एक ही जैसा पहुँचाती है. मिर्च सिर्फ तीती या कडवी ही नहीं होती, बहुत सारे रोगों में तो ये किसी बहुत अच्छी मिठाई से भी ज्यादा मीठी होती है. आइये आज इसी को चख कर देख लेते हैं---
आपको पता है, इसमें कितने सारे तत्व पाए जाते हैं-
अमीनो एसिड, एस्कार्बिक एसिड, फोलिक एसिड, सिट्रीक एसिड, ग्लीसरिक एसिड, मैलिक एसिड, मैलोनिक एसिड, सक्सीनिक एसिड, शिकिमिक एसिड, आक्जेलिक एसिड, क्युनिक एसिड, कैरोटीन्स , क्रिप्तोकैप्सीन, बाई-फ्लेवोनाईड्स, कैप्सेंथीन, कैप्सोरूबीन डाईएस्टर, आल्फा-एमिरिन, कोलेस्टराल, फ़ाय्तोईन, फायटोफ़्लू, कैप्सीडीना, कैप्सी-कोसीन, आल्फा-एमीरीन आदि.
इसमें जो फोलिक एसिड है वह ऐसा तत्व है जिसके कारण सफेदमूसली का महत्व बढ़ जाता है और यही तत्व गर्भवती महिलाओं को सिर्फ इसलिए दिया जाता है ताकि बच्चे का खासकर बच्चे के प्रजनन अंगों का ठीक से विकास हो सके.
अगर आपको किसी कुत्ते ने काट लिया है तो अस्पताल भागने से पहले घर में अगर लालमिर्च हो तो उसकी चटनी पीस कर काटने वाले स्थान पर लगा लीजिये.यह इंजेक्शन का विकल्प है, यह चटनी लगाने के बाद फिर इंजेक्शन की जरूरत नहीं पड़ती. ये ऐसे लोगों के लिए लाभदायक है जिनके घर से अस्पताल का रास्ता एक घंटे से ज्यादा समय का हो.
खून में हीमोग्लोविन कम हो जाए तो प्रतिदिन कम से कम ६ हरी मिर्च खाएं, कच्ची ही .५-६ दिनों में हिमोग्लोविन सामान्य हो जाएगा. जिनके ब्लड में प्लेटलेट्स घट जाती हैं, उन्हें भी ये कच्ची हरी मिर्च बहुत फायदा पहुँचाती है.
बदन में दाद-खाज खुजली या किसी प्रकार का चर्म रोग हो जाए तो आप सरसों के तेल में लालमिर्च का पावडर खौलाइये, फिर इस तेल को ठंडा करके छान लीजिये और पूरे बदन पर या खुजली वाले स्थान पर रो लगा कर सो जाए .२१-२२ दिनों में सफ़ेद हो गयी त्वचा भी सामान्य रंग में आना शुरू कर देती है.
कालरा में एक चम्मच मिर्च का पावडर एक चम्म्ह नमक के साथ पानी में उबालिए ,फिर उस पानी को चाय समझ के पी जाए. दिन में दो बार कीजिए ,जबरदस्त लाभ होता है.
पेट दर्द कर रहा हो तो हरी मिर्च या लाल मिर्च के दो ग्राम बीज गुनगुने पानी से निगल लीजिये.
किसी ने ज्यादा शराब पी ली है और हैंगओवर हो गया है तो मिर्च का २ चुटकी पावडर गुनगुने पानी में मिला कर दिन में दो तीन बार पिला दीजिये.
सन्निपात के रोगी को अगर एक मिर्च पीस कर किसी तरह पिला दी जाए तो मूर्छा फ़ौरन ख़त्म हो जाती है.
जब जलवायु परिवर्तित होने लगे तो हरी मिर्च का सेवन ज्यादा कर देना चाहिए.
लेकिन लाल मिर्च के सेवन से हमेशा बचना चाहिए ,यह कई सारे रोग उत्पन्न कर देती है ,रोज लाल मिर्च खाने से लीवर कमजोर हो जाता है, अंडकोष, किडनी, आँखे भी कमजोर हो जाते हैं.पेट की पाचन शक्ति कम हो जाती है और कैंसर होने के रास्ते खुक्ल जाते हैं, इसलिए लालमिर्च का सिर्फ बाहरी उपयोग ही करना चाहिए ,इसे खाने से परहेज करना चाहिए. आयुर्वेद के अनुसार लालमिर्च का ज्यादा उपयोग या नियमित उपयोग संखिया के जहर का काम करने लगता है. ब्लड भी अशुद्ध हो जाता है.
जबकि हरी मिर्च खाने से मुंह की लार अधिक उत्पन्न होती है जो भोजन को अच्छी तरह पचती तो है ही ,गैस नहीं बनने देती है और हृदय को तथा प्रजनन शक्ति को ताकत प्रदान करती है. मल- मूत्र विसर्जन के रास्ते में आने वाली सारी बाधाएं दूर करती है.
इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा
9 टिप्पणियां:
तीखी पर फायदेमंद जानकारी है।
अति तो हर वस्तु की बुरी है।
कड़वी है पर अच्छी है।
अच्छी जानकारी , आभार
सुंदर प्रस्तुति। कभी घूमते-फिरते मेरे ब्लाग पर भी आएं, स्वागत है।
मिर्च के बारे मे एक और खास बात, आज से ३-४ सौ वर्ष पहले इसे भारत मे कोई नही जानता था।
आलू टमाटर की तरह यह भी दक्षिणी अमरीका से भारत आया है!
हरा मिर्च के इतने सारे गुण और लाल मिर्च के इतने सारे दोष ।
इस रंग बदलती दुनिया में.................
जाननकारी बहुत उपयोगी ।
दीदी बहुत अच्छी व सुन्दर जानकारी दी ।आपको कोटी कोटी प्रणाम
डॉ0 साहब नमस्कार मायोमा ट्यूमर का भी कोई इलाज है क्या ? रक्त स्राव बंद नहीं हो रहा है ? कोई उपाय हो तो लिखे
Mitch hara kyo hota hai please replay OK 8877997223
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