एक अनार सौ बीमार
बड़ी पुरानी कहावत है - एक अनार सौ बीमार। आखिर ऐसा क्यों कहा जाता है यह जानना भी तो जरूरी है। आइये आज यही जानने की कोशिश करते हैं।
अनार का वैज्ञानिक नाम है- Punica garnatum .इसे संस्कृत में दाड़ी ,गुजराती में दाडम, बंगला भाषा में दारिम ,मराठी में डालिव , कर्नाटक की भाषा में दार्लिव ,तेलगू में दानिव चेट्टू ,तमिल में मालदेई चेहड्डी, अंग्रेजी में Pomegranate ,और अरबी में रूमान हामिज कहते हैं। हमारे वेदों में इसे कई जगह लोहित पुष्पक के नाम से भी सम्बोधित किया गया है।
अनार के फल में मालवाडीन आर्सेलिक एसिड,केरोटीन सीटोस्टीरॉल, ग्रेनाटिंस ए ,बी ,बेटुलिक एसिड, प्यूनिकाटोलिन , एमीनोएसिड, डाईग्लाइकोसाइड्स, पेन्टासग्लाइकोसाइड्स, निकोटिनिक एसिड ,राइबोफ्लेविन, कार्बोदित, थायमाइन ,विटामिन-सी, डेल्फीनिडीन, साइटोस्टीरॉल जैसे महत्वपूर्ण तत्व अभी तक खोजे गए हैं।
अनार तीन प्रकारके होते हैं- १- मीठा अनार -यह तीनो दोषों का नाश करता है अर्थात शरीर में कफ वात और पित्त को बैलेंस करता है। जिसके कारण शरीर में कोई रोग पनप ही नहीं पाता और मनुष्य निरोगी जीवन जीता है। यह हृदय रोग, कण्ठरोग ,मुंह के रोग, बुखार आदि को ख़त्म करता है। शरीर में बल और वीर्य और बुद्धि को बढ़ाता है लेकिन थोड़ा कब्ज पैदा करता है।
२- खट्टा - मीठा अनार ----यह अनार पित्त को बढ़ाता है ,भूख भी बढ़ाता है ,स्वादिष्ट होता है।
३- खट्टा अनार ---- यह भी पित्त बढ़ाता है लेकिन वात और कफ का नाश भी करता है।
किन बीमारियों में अनार का प्रयोग कैसे करना चाहिए ,आइये देखें ---
***** दस्त में- अगर लूज मोशन रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं तो अनार के दाने भून कर उनका रस निकालिये और पी लीजिये।
***** खूनी बवासीर में अनार की छाल का ३ ग्राम चूर्ण मठ्ठे के साथ निगलवा देना चाहिए।
***** पांचवे महीने में गर्भवती महिला को अनार के पत्तों का चूर्ण शहद मिलाकर जरूर चाट लेना चाहिए ,इससे गर्भ स्थिर और मजबूत हो जाता है।
***** अगर मुंह के किसी भाग से खून आ रहा हो तो अनार के छिलके के चूर्ण में शहद मिला कर चाटिये।
***** पेट में फीता कृमि हो गए हैं तो अनार के जड़ का काढ़ा बनाएं, एक -एक घंटे पर एक- एक गिलास पीजिये ,चार गिलास में ही सारे फीता कृमि अंडे- बच्चे समेत मर कर पेट से बाहर हो जाएंगे।
***** किसी भी वजह से भोजन के प्रति अरुचि हो गयी है तो अनार के रस में सेंधा नमक और शहद मिला कर पीजिये ,बहुत फायदा होगा।
***** उपदंश जैसे रोगों में अनार की छाल का चूर्ण काम करता है।
***** अतिसार अर्थात बहुत ज्यादा दस्त में अनार के छिलके का काढ़ा भी दे सकते हैं।
इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा
बड़ी पुरानी कहावत है - एक अनार सौ बीमार। आखिर ऐसा क्यों कहा जाता है यह जानना भी तो जरूरी है। आइये आज यही जानने की कोशिश करते हैं।
अनार का वैज्ञानिक नाम है- Punica garnatum .इसे संस्कृत में दाड़ी ,गुजराती में दाडम, बंगला भाषा में दारिम ,मराठी में डालिव , कर्नाटक की भाषा में दार्लिव ,तेलगू में दानिव चेट्टू ,तमिल में मालदेई चेहड्डी, अंग्रेजी में Pomegranate ,और अरबी में रूमान हामिज कहते हैं। हमारे वेदों में इसे कई जगह लोहित पुष्पक के नाम से भी सम्बोधित किया गया है।
अनार के फल में मालवाडीन आर्सेलिक एसिड,केरोटीन सीटोस्टीरॉल, ग्रेनाटिंस ए ,बी ,बेटुलिक एसिड, प्यूनिकाटोलिन , एमीनोएसिड, डाईग्लाइकोसाइड्स, पेन्टासग्लाइकोसाइड्स, निकोटिनिक एसिड ,राइबोफ्लेविन, कार्बोदित, थायमाइन ,विटामिन-सी, डेल्फीनिडीन, साइटोस्टीरॉल जैसे महत्वपूर्ण तत्व अभी तक खोजे गए हैं।
अनार तीन प्रकारके होते हैं- १- मीठा अनार -यह तीनो दोषों का नाश करता है अर्थात शरीर में कफ वात और पित्त को बैलेंस करता है। जिसके कारण शरीर में कोई रोग पनप ही नहीं पाता और मनुष्य निरोगी जीवन जीता है। यह हृदय रोग, कण्ठरोग ,मुंह के रोग, बुखार आदि को ख़त्म करता है। शरीर में बल और वीर्य और बुद्धि को बढ़ाता है लेकिन थोड़ा कब्ज पैदा करता है।
२- खट्टा - मीठा अनार ----यह अनार पित्त को बढ़ाता है ,भूख भी बढ़ाता है ,स्वादिष्ट होता है।
३- खट्टा अनार ---- यह भी पित्त बढ़ाता है लेकिन वात और कफ का नाश भी करता है।
किन बीमारियों में अनार का प्रयोग कैसे करना चाहिए ,आइये देखें ---
***** दस्त में- अगर लूज मोशन रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं तो अनार के दाने भून कर उनका रस निकालिये और पी लीजिये।
***** खूनी बवासीर में अनार की छाल का ३ ग्राम चूर्ण मठ्ठे के साथ निगलवा देना चाहिए।
***** पांचवे महीने में गर्भवती महिला को अनार के पत्तों का चूर्ण शहद मिलाकर जरूर चाट लेना चाहिए ,इससे गर्भ स्थिर और मजबूत हो जाता है।
***** अगर मुंह के किसी भाग से खून आ रहा हो तो अनार के छिलके के चूर्ण में शहद मिला कर चाटिये।
***** पेट में फीता कृमि हो गए हैं तो अनार के जड़ का काढ़ा बनाएं, एक -एक घंटे पर एक- एक गिलास पीजिये ,चार गिलास में ही सारे फीता कृमि अंडे- बच्चे समेत मर कर पेट से बाहर हो जाएंगे।
***** किसी भी वजह से भोजन के प्रति अरुचि हो गयी है तो अनार के रस में सेंधा नमक और शहद मिला कर पीजिये ,बहुत फायदा होगा।
***** उपदंश जैसे रोगों में अनार की छाल का चूर्ण काम करता है।
***** अतिसार अर्थात बहुत ज्यादा दस्त में अनार के छिलके का काढ़ा भी दे सकते हैं।
इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा
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