आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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बुधवार, 13 जनवरी 2010

आपकी सब्जी की टोकरी में है एक डाक्टर

आपकी सब्जी की टोकरी में है एक डाक्टर  जी हाँ !इसका नाम है प्याज.
 मैंने आज तक इसकी चर्चा इसलिए नहीं की क्योंकि मेरी सब्जी की टोकरी में आज तक प्याज रहा ही नहीं ,लेकिन इसका लाभ मैंने भी उठाया है ,बचपन में जब मम्मी गेहूँ साफ़ करती थीं तो हम भाई बहनों को उसके टीले जैसे पहाड़ पर गिरते गिरते चढ़ने में मजा आता था ,नतीजा ये  हुआ कि कभी गेहूँ मेरे कान में चला गया ,उसका असर दो साल बाद दिखायी दिया जब कान दर्द  के मारे स्कूल से घर भेज दिया जाता था  ,दुनिया भर की दवाइयां करवाई गयी ,कुल ६ साल की उम्र थी  मेरी ,आपको आश्चर्य होगा ये जानकर कि हजारों रु की दवाओं ने वह काम नहीं किया जो प्याज के दो बूंद रस ने कर डाला .यही नुस्खा मैंने चार साल पहले अपनी भाभी पर आजमाया ,वे हमेशा कान दर्द से परेशान रहती थी ,मुझे अपने पड़ोसी के घर से आधी प्याज मांगनी पड़ी ,उसे कूंच -कूंच कर कपडे से गार कर मैंने एक चम्मच रस निकला ,फिर उसे हल्का सा गरम किया और भाभी के कान में पांच  बूंद डाल दिया  दिया , तब से आज तक उन्होंने कान दर्द की शिकायत नहीं की 
आज इस प्याज पर शोध करते करते मैं बहुत सारे रहस्य जान गयी ,अब आपसे बता रही हूँ ताकि आप भी फायदा उठा सके--
अगर बच्चों या बुजुर्गों को खांसी के साथ कफ ज्यादा गिर रहा हो तो एक चम्मच प्याज से रस को चीनी या गुड मिलाकर चटा दीजिये ,सुबह ,दोपहर ,शाम फिर कफ का काम तमाम .       बवासीर में १५ ग्राम रस को १५ ग्राम चीनी मिलाकर सात दिन पिलाइए             ,अगर जोड़ो में दर्द है या त्वचा पर कहीं जलन हो रही है तो प्याज के रस को सरसों के तेल में बराबर मात्र में मिलाएं और मालिश करें ,बहुत आराम मिलेगा                  कान के दर्द में दो से पांच बूंद गरम करके डालिए            मसढो के दर्द या सूजन में १० ग्राम रस नमक मिला कर पिलाइए और  दो -चार बूंद रस में नमक मिलाकर मालिश भी कीजिये,आधे घंटे में आराम             नाक में से खून निकले तो एक एक बूंद रस दोनों नाक में डाल लीजिये       अगर मिर्गी का दौरा चढ़ रहा हो तो सफ़ेद प्याज का रस निकाल कर काजल की तरह आँखों में लगा दीजिये ,लाभ दिखायी पडेगा .                अगर गरमी के कारण सर दर्द करने लगे तो प्याज को तोड़ कर सूघिये ,दो मिनट लगातार सूघने से दर्द गायब .इस सम्बन्ध  में तो बुजुर्ग भी कहते हैं कि लू से बचने के लिए आधा प्याज काट कर जेब में रख कर चलो.               अगर किसी को हैजा हो गया हो तो हर १५ मिनट पर दो  -दो  चम्मच प्याज का रस पिलाते रहिये जल्दी ही कालरा के कीटाणु मर जायेंगे और घर के और लोग भी सुरक्षित रहेंगे.            जुकाम हो गया हो तो सफ़ेद प्याज काट कर नाक से सूँघिये .                पीलिया [जांडिस] हो गया है तो  एक सफ़ेद प्याज को कूंच  कर उसमें गुड और हल्दी मिला कर चोखा बना लीजिये और सुबह शाम चार दिन लगातार खाइए  ,आठ प्याज खर्च होंगे ,लगभग २५० ग्राम गुड और १०० ग्राम हल्दी  खर्च होगी और पीलिया जैसी जानलेवा बीमारी गायब             अगर शरीर में कहीं दाद जैसी खुजली होरही हो तो प्याज के बीजों को सिरके में पीसिये और उक्त स्थान पर लगाइए                       किसी भी जहरीले जानवर ने काट लिया हो तो प्याज के दो टुकडे कीजिये और काटे हुए स्थान पर खूब घिसाई  कीजिए,सांप बिच्छू ,कुत्ता ,मकड़ी, मधुमक्खी , चूहा आदि किसी जानवर का जहर नहीं चढ़ेगा           बच्चों की वृद्धि  रूक गयी हो तो प्याज में गुड मिला कर खिलाइए ,तेजी से बढ़ेंगे बच्चे.      नपुंसकता में प्याज का रस ,अदरक का रस ,शहद और घी १० -१० ग्राम लीजिये और खूब फेटिये फिर पूरा पी जाइए ,सुबह के समय रोज पीना है ३१ दिनों तक ,नपुंसकता ख़त्म हो जायेगी .
जो लोग मेरी तरह प्याज नहीं खाते वे भी दवा के रूप में तो इसका प्रयोग कर ही सकते हैं ,आजकल लगभग हर घर में जोड़ों के दर्द का एक मरीज है ,ज़रा प्रयोग करके देखिये ये नुस्खे . तब आपको लगेगा कि डाक्टर तो वाकई आपकी सब्जी की टोकरी में रहता है . 



[इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा]

बुधवार, 30 दिसंबर 2009

एक आदेश

 इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा

सभी ब्लॉगर साथियों को मेरा सादर नमस्कार ,
आप लोग इस आलेख  के शीर्षक को देखकर नाराज मत होना
आज कल जितने समस्याग्रस्त जीव [मरीज] मेरे पास आ रहे हैं सभी का जवाब मेरे एक प्रश्न के उत्तर में ऐसा होता है कि बस मैंने वही जवाब सबका मान लिया है ,जाहिर है कि आपका भी वही जवाब होगा ,तो मुझे अब आप लोगों को आदेश ही देना पडेगा . 
मेरा प्रश्न है कि--  आप दिन में कितनी बार मूत्र त्याग करते हैं ?
आज तक के जवाब हैं--चार या पाच बार ,सिर्फ दो लोगो ने छः-सात बार बताया .
ये जवाब अब मुझे गुस्सा दिलाने के लिए काफी हैं .
आप सोचेंगे कि भला क्यों ?
मूत्र त्याग = यूरीन डिस्चार्ज
यूरीन यूरिया से बना शब्द है ,आप रोज कितनी यूरिया खाते हैं ?गेहूँ ,चावल ,दाल ,सब्जियां सब तो बोरा -बोरा यूरिया डाल-डाल कर उगायी जाती हैं ,इन्हें धोने पकाने से तो यूरिया निकल नहीं जाती ,लेकिन हमारे शरीर में ऐसा सिस्टम है जो खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाले हानिकारक तत्वों को छान -फाटक कर अलग कर देता है ,ये तत्व सामान्य दशा में मलाशय और मूत्राशय में एकत्र होकर बाहर निकल जाते है. अगर आप इन्हें  शरीर में रोके रहें तो शायद मुझे बताने की जरूरत  नहीं कि शरीर क्या महसूस करेगा ? 
अगर आप स्वस्थ रहना  चाहते है तो २४ घंटे में कम से कम  एक बार मल त्याग और 9 बार मूत्र त्याग जरूरी है ताकि शरीर में भोज्य पदार्थों के माध्यम से जाने वाला जहर बाहर निकलता रहे ,तथा किडनी,लीवर और फेफड़े सुरक्षित रहें ,
इस यूरिया ने जब हमारे देश के एक बहुत  बड़े भूभाग को बंजर  कर दिया तो फिर हमारे हाड-मांस के ५-६ फुट  के शरीर की क्या औकात  है? इसी जहर की वजह से हमारे हारमोन डिसबैलेंस हो जा रहे हैं ,नपुंसकता बढ़ रही है , दिमाग पर सर्वाधिक असर हो रहा है जिसकी वजह से रेप केस के साथ साथ क्राईम ज्यादा हो रहे हैं ,विनम्रता  ख़त्म होती जारही है ,दिमाग में हमेशा गरमी चढी रहती है तो  ब्लड प्रेशर  सामान्य कैसे रहेगा ?बाल झड़ना ,नजर कमजोर होना ये सब इसी के दुष्प्रभाव हैं .
आप किसानों को या दूधियों को यूरिया का प्रयोग करने से तो मना कर नहीं  सकते ,डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों में जो रसायन इस्तेमाल किये जाते हैं ,उनसे भी आप बच नहीं सकते ,ये भी संभव नहीं कि सब कुछ खाना ही छोड़ दें हम ,पर ये जो हमारा शरीर है न ,इसकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना हमारे हाथ में है और शरीर से ज्यादा से ज्यादा जहर बाहर निकालना हमारे हाथ में है.
तो आप लोगों को ये मेरा अनुरोध नहीं आदेश है कि कम से कम 9 बार मूत्र विसर्जन कीजिये ,चाहे इसके लिए जितना पानी पीना पड़े . अगर आपने एक सप्ताह यह काम कर लिया तो आप खुद ही आठवें दिन अपने आपको इतना हल्का -फुल्का महसूस करेंगे जितना आपने कभी नहीं किया होगा ,अनेक बीमारियाँ तो आपकी यूं ही नष्ट हो जायेंगी .
ये आयुर्वेद की सबसे सस्ती दवा मैंने आपको बतायी है ,लेना न लेना आपके हाथ में ,
शरीर तो आप ही का है ,और आपको अगर अपने शरीर में जहर इकट्ठा करने का शौक है तो मैं क्या करूं ?
मैंने तो अपना फर्ज निभा दिया .....