आयुर्वेद का अर्थ औषधि - विज्ञान नही है वरन आयुर्विज्ञान अर्थात '' जीवन-का-विज्ञान'' है

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सोमवार, 17 जून 2013

इसकी लकड़ी पानी में डूब जाती है


चोबेहयात के नाम से मशहूर यह पेड़ भारत में बनारस, हाथरस, पहाड़ी क्षेत्रों और गोरखपुर में पाया जाता है. इसके फूल को ध्यान से देख लीजिये। ये जमैका देश के राष्ट्रीय फूल हैं। यह सभी चित्र गूगल से प्राप्त हुए हैं,आभारी हूँ। 
इस पेड़ की ख़ास पहचान है कि  इसकी लकड़ी पानी में डूब जाती है। इसकी लकड़ी में तेल भी होने की वजह से यह आसानी से नहीं कूट-पीस पाती। लेकिन इस लकड़ी को जलाओ तो बड़ी अच्छी खुशबू आती है।



इसे संस्कृत में जीवदास ,वृद्धमित्र ,  मराठी में लौह-लक्कड़ ,हिन्दी और उर्दू में चोबेहयात कहते हैं।इसका वैज्ञानिक नाम है- Guaiacom officinale. यह अपने संस्कृत वाले नाम को चरितार्थ करता है। यह वाकई बूढों का दोस्त है।

इन 
कोढियों के लिए तो वरदान है ये। ४ ग्राम चोबेहयात की लकड़ी का चूर्ण एक ग्राम काली मिर्च के चूर्ण में मिलाकर शरबत बनाकर सिर्फ २ महीने ही पीने से कोढ़ ख़त्म हो जाता है ,लेकिन इस शरबत को पीने के बाद बीस  ग्राम मक्खन या देशी घी किसी अनाज में मिलकर खाना जरुरी है।
पचास वर्ष के हो चुके लोगो को इसका २ ग्राम चूर्ण तो रोज ही खा लेना चाहिए, इस उम्र की तमाम बीमारियाँ -सियाटिका, गठिया, गले की नली का सुखना, मल के साथ खून आना, जोड़ों में दर्द आदि बीमारियाँ उन्हें नहीं परेशान करेंगी।
यह एक रसायन है जो जीवनदायी प्रक्रिया को तेज कर देता है ,इसीलिए इसका एक नाम जीवदास भी है. जिससे चेहरे पर तेज चमकने लगता है।सांप और बिच्छू जैसे जहरीले जानवर के जहर को इसकी लकड़ी का लेप खींच लेता है।जिससे प्राणी को नया जीवन मिल जाता है। 
 हैजे में इसका २ ग्राम पाउडर शहद के साथ चाटने से उलटी, दस्त बंद हो जाते हैं।

          

बुजुर्गों को इसकी लकड़ी का चूर्ण सप्ताह में एक बार जबान पर रख के चूसना चाहिए जिससे उनके गले से आंत तक की सभी परेशानियाँ दूर हो जाएँ।
इसकी लकड़ी में बड़े गुण हैं, औषधीय रूप से ही नही सामान्य तौर पर भी. लेकिन इसकी नाव नहीं बनायीं जा सकती वरना वो तो पानी में डूब जायेगी।


आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने 
का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा

शनिवार, 25 मई 2013

फालसा : फोड़े ,फुंसी ,घमौरियों का दुश्मन



फालसा  फोड़े ,फुंसी ,घमौरियों का दुश्मन है या यू कहिये की ये गर्मियों में आपका सच्चा दोस्त है. अगर मिल जाए तो गर्मियों के मौसम में प्रतिदिन पचास  ग्राम फालसा जरूर खाएं।
इसे संस्कृत में परुश्कम कहते है और अंग्रेजी में Asiatic grewia कहते हैं।

----इन गर्मियों में अगर रोज आप पचास ग्राम फालसे खा लेंगे तो घमौरियां ,फुंसी - फोड़े से निजात मिल जायेगी।

----ये फालसा शुक्र वर्धक भी होता है अतः आपको ताकत भी दे ही देगा।
----दिल की बीमारियों में आप फालसे के शरबत में गुड और सोंठ मिला कर पीजिये।
----पित्त विकार की वजह से फोड़े फुंसी ,घमौरियां निकल आती है और आदमी को गुस्सा भी ज्यादा आने लगता है. ऎसी हालत में फालसा रामबाण की तरह काम करता है। बस रोजाना या तो सौ  ग्राम फालसे का शरबत बनाकर पीयें या यू ही शहद मिला कर खाएं।
----जो घाव जल्दी भर न रहा हो उन घावों पर फालसे के पत्तो  की चटनी पीस कर मलहम की तरह लगा लीजिये।बहुत तेज घाव ठीक होता हुआ आपको दिखाई देगा।
----शरीर की गरमी बाहर निकालनी हो तो फालसे को मिश्री मिलाकर खाए।
----शुगर के रोगियों को भी फालसा फायदा करता है लेकिन फालसे का फल नहीं बल्कि इसके पेड़ की छाल  का काढा रोज पीना होगा।
----अगर बदन पर पीव वाली फुंसियां उगी हों तो फालसे के पत्ते कलियाँ पीस कर लेप कर लीजिये।
----पत्ते और कलियों का पेस्ट मुहासों पर भी काम करता है।
----गले के किसी भी रोग में फालसे के पेड़ की छाल का काढा बहुत अच्छी दवा के रूप में काम करेगा .
---- लू लग गयी हो तो फ़ौरन फालसे का शरबत पीजिये।
----गले में फ़सान महसूस होती हो तो फालसे को पानी में उबाल कर काढा बनाइये उससे गरारे कीजिए। गले के अन्दर के छाले तक ख़त्म हो जायेंगे और आवाज कोयल जैसी मीठी।

खट्टे-मीठे स्वाद वाले इस फालसे में विटामिन-सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त सिट्रिक एसिड, एमीनो एसिड, ग्रेवियानोल, बीटा  एमिरिदीन, बेट्यूलीन, फ्रेडीलिन, किम्फेराल, क्वेरसेटिन, ल्यूपिनोन, ल्यूपियाल, डेल्फीनिडीन, सायनीडीन, टैरेक्सास्टेरोल जैसे तत्व भी मौजूद हैं जो इस मटर के दाने के बराबर के फल में इतने गुण भर देते हैं। 

न आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा

रविवार, 19 मई 2013

शनिवार, 4 मई 2013

PILES SHEET


  1. आज तक  तो पाइल्स (बवासीर ), भगन्दर (फैस्चुला ), फ़ीशर और महिलाओं में योनिद्वार बाहर निकलने की बीमारी का इलाज आपरेशन के अलावा दवा खाना और लगाना होता था ,लेकिन अब सिर्फ एक गद्दी पर बैठने मात्र से इन रोगों का इलाज हो जायेगा. न दवा खानी ,न लगानी ,न कोई आपरेशन की तकलीफ . मैं इस गद्दी को पेटेंट भी करवा रही हूँ .इस गद्दी का निर्माण  ८ प्रकार की जड़ी बूटियों से हुआ है. 

बुधवार, 1 मई 2013

बालों का असमय सफ़ेद होना



हालाँकि समय से पहले बाल सफ़ेद होने के कई कारण हो सकते हैं और हर कारण के लिए अलग अलग दवाएं हैं फिर भी अश्वगंधा ,चित्रक और पिप्पली के चूर्ण का सेवन करने से इस समस्या का हल निकल सकता है. बाक़ी आपकी आदतें मालिक हैं.





इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा

मंगलवार, 23 अप्रैल 2013

kalaunji



मेरे प्रबुद्ध पाठक गण पहचान ही लेंगे इसे कलौंजी कहते हैं।
इस के अलावा इसे विभिन्न भाषाओं में स्थुलजीरक ,मंगरैल ,जीर्णा ,काली बहुगंधा, जीरे, कालीजीर, स्याह्दाना ,हब्ब्तुस्सोदा आदि नामों से पुकारा जाता है।इसे उपकुन्चिका या कला जाजी भी कहते है.इसको अंग्रेजी में ब्लैक क्यूमिन या निगेला सीड तथा वैज्ञानिक भाषा में Nigella sativa कहते हैं।
बड़ी ताकतवर चीज है ये। आयुर्वेद कहता है कि  इसके बीजों की ताकत सात साल तक नष्ट नहीं होती.
इसके बीजो में मैलेन्थीन ,मैलेन्थेजैनिन ,एल्ब्युमीन,शर्करा,गोद, ग्लूकोसाइड , टैनिन ,राल,स्थिर तेल और उड़नशील तेल पाया जाता है।

                 

----- कलौंजी का तेल बड़ी करामाती चीज है।हाथ-पैरों की सूजन भगाता है, दर्द दूर करता है,चर्म रोग दूर करता है और नामर्दी भी दूर करता है। कलौंजी के अन्य उपयोग निम्नलिखित हैं ----
---- मस्सों के लिए --कलौंजी के कुछ दाने सिरके में पीस कर मस्सों पर लगा कर सो जाए कुछ दिनों में मस्से
कट जायेंगे।
----- सर्दी में अगर सिर दर्द हो जाए तो कलौंजी और जीरा बराबर मात्रा  में पीस कर सर में लेप कीजिए .
----- महिलाओं को अपने यूट्रस (बच्चेदानी) को सेहतमंद बनाने के लिए हर डिलीवरी के बाद कलौंजी का काढा ४ दिनों तक जरूर पी लेना चाहिए। काढ़ा बनाने के लिए दस ग्राम कलौंजी के दाने एक गिलास पानी में भिगायें, फिर २४  घंटे बाद उसे धीमी आंच पर उबाल कर आधा कर लीजिये। फिर उसको ठंडा करके पी जाइये, साथ ही नाश्ते में पचीस ग्राम मक्खन जरूर खा लीजियेगा। जितने दिन ये काढ़ा पीना है उतने दिन मक्खन जरूर खाना है।
----- आपको अगर बार बार बुखार आ रहा है अर्थात दवा खाने से उतर जा रहा है फिर चढ़ जा रहा है तो कलौंजी को पीस कर चूर्ण बना लीजिये फिर उसमे गुड मिला कर सामान्य लड्डू के आकार के लड्डू बना लीजिये। रोज एक लड्डू खाना है ५ दिनों तक , बुखार तो पहले दिन के बाद दुबारा चढ़ने का नाम नहीं लेगा पर आप ५ दिन तक लड्डू खाते रहिएगा, यही काम मलेरिया बुखार में भी कर सकते हैं।
----- पागल कुत्ते ने काट लिया है तो ६ ग्राम कलौंजी पानी में पीस कर पिला दीजिये, सुई लगवाने की जरूरत नहीं है।
----- यह तो हम सुनते ही आये हैं की जुकाम हुआ हो तो कलौंजी को महीन कपडे में बाँध कर सूंघते रहने से बहुत आराम मिलता है और जुकाम जड़ से ख़त्म हो जाता है.
----- कलौंजी गंजे सर पे बाल भी उगा देती है मगर यह दवा बड़े तरीके से बनानी होती है ,कोई वैद्य ही इसको बना सकता है।
----- ये पथरी को भी गला देती है अगर पथरी छोटी हो तो। इसके लिए कलौंजी को पानी में पीस कर शहद मिला कर पीना होता है।
----- बहुत हिचकी आ रही हो तो आधा चम्मच कलौंजी का पाउडर आधा चम्मच मक्खन में मिलकर चाट लीजिये।
----- अगर बच्चा पेट में ही मर गया हो तो उसको निकलने के लिए जच्चा को कलौंजी का काढ़ा तुरंत बना कर तुरंत पिलाइये ,बच्चा बिना नुक्सान पहुंचाए बाहर निकल आएगा।
----- बवासीर परेशान कर रही हो तो कलौंजी की राख मस्सो पर मल लीजिये.
----- ऊनी कपड़ों को रखते समय उसमें कुछ दाने कलौंजी के डाल दीजिये,कीड़े नहीं लगेंगे।
----- आपके बाल बहुत गिर रहे है तो कलौंजी पीस कर पतला लेप बनाकर पूरे सर में लगा लीजिये,बाल गिरने बंद और लम्बे होने शुरु.
----- भैषज्य रत्नावली कहती है कि  अगर कलौंजी को जैतून के तेल के साथ सुबह सवेरे खाएं तो रंग एकदम लाल सुर्ख हो जाता है।
----- मुंहासे दूर करने है तो इसे सिरके के साथ पीस कर रात में चेहरे पर लगा कर सो जाएँ कुछ ही दिनों में चेहरा साफ़.



यह मेरा चार महीने का बेटा अखिल मिश्रा है ,जब ये साहबजादे सोते हैं तभी मैं मरीजों की दवा बना पाती हूँ या ब्लॉग लिख पाती हूँ ,अब इन्ही का राज है और मेरे इकलौते बेटे को आप सभी के प्यार और आशीर्वाद की जरुरत है।

सारे चित्र गूगल इमेज से साभार(बेटे की फोटो के अलावा )
इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा

सोमवार, 4 मार्च 2013

गोभी सेहत की दुश्मन है

मेरे पास अस्सी % मरीज सिर्फ पेट अन्दर हो जाए ,इसके लिए आते हैं ,लेकिन उस वक्त मैं उन्हें जो परहेज बताती हूँ  वह उन्हें बहुत नागवार लगता है।उस परहेज का महत्वपूर्ण भाग फूल गोभी है ,फूलगोभी खाते रहने से पेट फूल जाता है या ज्यादा बाहर निकल आता है बाकी शरीर पेट के मुकाबले कम फूलता है नतीजतन शरीर बेडौल दिखाई पड़ता है।

                                  


इसे हिन्दी में फूल गोभी, संस्कृत में अधोमुखा या गोजिन्ह्वा या दर्विका, मराठी में गोजीभ,तमिल में अंशोवादी ,तेलगू में इदुमलिकेच्दू,  फारसी में कल्मेरूमी, अरबी में किबनपति कहते हैं। इसे अंग्रेजी में cullyflower और साइंटिफिक भाषा में ब्रेसिका ओलिरोसिया कहते है। 

फूल गोभी में निम्न तत्व पाये जाते हैं। जल, प्रोटीन, वसा ,फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, कैल्सियम, थायेमिन, राइबोफ्लेबिन, नियासिन, विटामिन सी,।
      ** गोभी वात पैदा करती है। लेकिन ये कफ और पित्त की बदबू को दूर भी करती है.
      ** गोभी के पंचांग का काढा पीने से मूत्राघात मिटता है।
      ** इसके पत्तो का साग बनाकर खाइये अगर आपको खूनी बवासीर हो गया हो तो।
      ** गोभी के बारे में यूनानी चिकित्सा कहती है कि अगर ये ठीक से पच गयी है तो पेट और पसलियों के बीच में दर्द पैदा करती है।
      ** अगर आप चाहते हैं कि शराब का नशा आपको न चढ़े तो शराब पीने से पहले इसकी पकौड़ियाँ या सब्जी खा लीजिये।
      ** गोभी कामशक्ति को तो बढाती है मगर दिमाग को कमजोर कर देती है।
      ** गोभी स्वरभंग की सबसे अच्छी दवा है इसके पत्ते और तने का काढा बनाइये फिर उसमे शहद मिला कर पी लीजिये, किसी भी वजह से आई आवाज की खराबी दूर हो जायेगी।
      ** किसी का बुखार न दूर हो रहा हो तो उसे गोभी की जड़ का काढा बनाकर सुबह शाम पिला दीजिये।
      ** पेट दर्द के लिए गोभी बहुत फायदेमंद है।पेटदर्द में गोभी के पंचांग को चावल के पानी में पकाकर सुबह शाम सौ सौ ग्राम पी लीजिये।
      ** गोभी का रस पीने से खून साफ़ होता है .
      ** हड्डियों का दर्द दूर करने के लिए गोभी का रस और गाजर का रस बराबर मात्र में मिलाकर पीजिये।यह रस पीलीया में भी लाभ पहुंचाता है।
      ** खून की उल्टियां हो रही हो तो गोभी की सब्जी खाएं या कच्ची गोभी को सलाद के रूप में खा लीजिये।
     ** गोभी का काढा पेशाब की जलन भी दूर करता है।    
     ** गले की सूजन में गोभी के पत्तो का रस निकालिए। २ चम्मच रस और २ चम्मच पानी मिलकर १-१ घंटे पर पी लिजिये।
  •                   

  • बंद गोभी या पत्तागोभी अनेक पौष्टिक खनिज लवण और विटामिन का स्रोत है। इसमें प्रोटीन, वसा, नमी, फाईबर तथा कर्बोहाइड्रेट भी अच्छी मात्रा में होता है। पत्तागोभी में कैल्सियम, फास्फोरस, आयरन, कैरोटीन, थायमिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन तथा विटामिन सी भी प्रचुर मात्रा में होता है। इसमें क्लोरीन तथा सल्फर भी पाया जाता है और अपेक्षाकृत आयोडीन का प्रतिशत भी अधिक होता है। सल्फर, क्लोरीन तथा आयोडीन साथ में मिल कर आँतों और आमाशय की म्यूकस परत को साफ कर देते हैं।
  • ** अगर आपकी प्लेटलेट्स घट गयी हैं तो पूरी पत्ता गोभी उबाल कर पी लीजिये ,सुबह शाम १-१ ,दस पत्तागोभी का रस आपकी प्लेटलेट्स को बिलकुल सही मुकाम पर पहुंचा देगा।  


इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा

बुधवार, 27 फ़रवरी 2013

भृंगराज


भृंगराज का नाम आप लोगों के लिए नया नहीं है। तमाम हेयर आयल के विज्ञापन रोज प्रकाशित होते हैं,उनमें भृंगराज  की चर्चा बड़े जोर-शोर से की गयी होती है।केशों के लिए यह महत्वपूर्ण तो है ही लेकिन इसके अन्य औषधीय गुण शायद और ज्यादा महत्वपूर्ण लगते हैं मुझे। अकेले भृंगराज कायाकल्प करने में सक्षम है। अगर उसे सही तरीके से प्रयोग किया जाये तो।यहाँ तक कि कैंसर से आप इसके सहारे लड़ सकते हैं और जीत भी सकते हैं।

           
भृंगराज के पौधे वर्षा के मौसम में खेतों के किनारे ,रेल लाइन के किनारे, खाली पड़ी जमीन पर ,बाग़ बगीचों में खुद ही उग जाते हैं। ये हमेशा हरे रहते हैं।इनके फूल पत्ते तने जड़ सब उपयोगी हैं। इनकी झाड़ियाँ ज्यादा से ज्यादा आधा मीटर तक उंची मिलेंगी।
इस पौधे में बीटा-एमिरीन ,विडेलोलेक्टोंन, ग्लूकोसैड्स-फायटोस्टीराल-ए , ल्यूतियोलिन, फैटिक एसिड ,पामीटिक एसिड, ट्रायतर्पेनीक एसिड, स्टीयरिक एसिड,लिनोलिक एसिड और आलिक एसिड , एकलिप्तींन ,एम्पलिप्तींन एल्केलायद ,निकोटीन और राल जैसे तत्व मौजूद हैं।
  
----पीलिया एक जानलेवा रोग है ,लेकिन आप रोगी को पूरे  भृंगराज के  पौधे का चूर्ण मिश्री के साथ खिला दीजिये 100 ग्राम चूर्ण पेट में पहुंचाते ही पीलिया ख़त्म . या फिर भृंगराज के पौधे को ही क्रश करके 10 ग्राम रस निकालिए ,उसमें 1 ग्राम काली मिर्च का पावडर मिलाकर मरीज को पिला दीजिये .दिन में 3 बार ,3 दिनों तक इस मिश्रण में थोड़ा मिश्री का चूर्ण भी मिला लीजियेगा ।
----बाल काले रखने हैं तो भृंगराज की ताजी पत्तियों का रस रोजाना सिर  पर मल कर सोयें।
----गुदाभ्रंश हो गया हो तो भृंगराज की जड़ और हल्दी की चटनी को मलहम की  तरह मलद्वार पर लगाए इससे कीड़ी काटने की बीमारी मेंभी आराम मिलता है .गुदा भ्रंश में मल द्वार थोड़ा बाहर निकल आता है. 
----पेट बहुत खराब हो तो भृंगराज कीपत्तियों का रस या चूर्ण दस ग्राम लीजिये उसे एक कटोरी दही में मिला कर खा जाएँ ,दिन में दो बार ३ दिनों तक .
----आँखों की रोशनी तेज रखनी है तो भृंगराज  की पत्तियों का ३ ग्राम पाउडर १ चम्मच शहद में मिला कर रोज सुबह खाली  पेट खाएं।
----भृंगराज सफ़ेद दाग का भी इलाज करता है मगर काली पत्तियो और काली शाखाओं वाला भृंगराज चाहिए।इसे आग पर सेंक कर रोज खाना होगा ,एक दिन में एक पौधा लगभग चार माह तक लगातार खाए।
----जिन महिलाओं को गर्भस्राव की बिमारी है उन्हें गर्भाशय को शक्तिशाली बनाने के लिए भृंगराज की ताजी पत्तियों का ५-६ ग्राम रस रोज पीना चाहिये
----त्रिफला के चूर्ण को भृंगराज  के रस की ३ बार भावना देकर सुखा कर रोज आधा चम्मच पानी के साथ निगलने से बाल कभी सफ़ेद होते ही नही। इसे किसी जानकार वैद्य से ही तैयार कराइये.
----अगर कोई तुतलाता हो तो इसके पौधे के रस में देशी घी मिला कर पका कर दस  ग्राम रोज पिलाना चाहिए ,एक माह तक लगातार।
----इसके रस में यकृत की सारी बीमारियाँ ठीक कर देने का गुण मौजूद है लेकिन जिस दिन इसका ताजा रस दस ग्राम  पीजिये उस दिन सिर्फ दूध पीकर रहिये भोजन नहीं करना है ,यदि यह काम एक माह तक लगातार कर लिया जाय तो कायाकल्प भी सम्भव है।यह एक कठिन तपस्या है.
----अब इसका सबसे महत्वपूर्ण उपयोग सुनिए- बच्चा पैदा होने के बाद महिलाओं को योनिशूल बहुत परेशान करता है,उस दशा में भृंगराज के पौधे की जड़ और बेल के पौधे की जड़ का पाउडर बराबर मात्रा में लीजिये और शहद के साथ खिलाइये ,५ ग्राम पाउडर काफी होगा ,दिन में एक बार खाली पेट लेना है ७ दिनों तक . 
      
सारे चित्र विकिपीडिया  से साभार


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गुरुवार, 17 जनवरी 2013

ये कटहल है

         

ये कटहल है


इसकी जड़, छाल और पत्ते दवा के तौर पर प्रयोग किये जाते हैं जबकि फल कच्चे पक्के दोनों तरह खाएं जाते हैं। कच्चे कटहल की सब्जी बडे  शौक से हमारे देश में खायी जाती है और पका कटहल का कोया तो राम भक्त हनुमान जी ने प्रसिद्द कर रखा है। आपने भी खाएं होंगे। चलिए खैर ................. हम बात करते हैं इसके आयुर्वेदिक गुणों पर


ये कटहल के पके कोए हैं--------------------

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 कटहल के फूलों के भी आयुर्वेदिक गुण हैं बस जानकारी होनी चाहिए। कोशिश करती हूँ की जितना मुझे ज्ञात है आपको बता सकूँ।

सबसे पहले इसके नामों की चर्चा की जाए। इसे वैज्ञानिक भाषा में Artocarpus integrifolia कहते हैं। यह Moraceae कुल का प्राणी है। वैसे संस्कृत में इसको पनस कहते हैं। तमिल में बला, तेलगू में फ़न्सचह, बंगला में कटोल, गुजराती में भी पनस ही कहते हैं। 


कटहल की छाल में साय्क्लोआर्टीनोल ,टैनिन्स, सायक्लोआर्तीआर्तिनिल एसिटेट, सायक्लोआर्तीनान जैसे तत्वों की मौजूदगी देखी गयी है।इसके बीजो में विटामिन b-1 b-2 दोनों मौजूद है।जबकि कटहल में विटामिन A & C ,आयरन,फस्पोरस और प्रोटीन मिलता है। इसकी जड़ में बेतुलिनिक एसिड ,बीटा -सितास्तीराल ,आर्सोलोक एसिड ,आतोफ्लेवानान, आर्तोकार्पेसिन और नार आर्तोकारपेसिन पाए जाते हैं।


अपने रासायनिक तत्वों के कारण ही कटहल से बनी किसी भी तरह की सब्जी खाने से बड़ी तृप्ति होती है।.


**किसी को अगर सांप काट ले तो उसे तुरंत कटहल की ढेर सारी सब्जी खिला दीजिये। सांप के विष को बेअसर कर देगी ये सब्जी।

** बहुत पतला आदमी हो ,मांस न चढ़  रहा हो तो खूब खाए पके कटहल के कोए।
** कटहल की जड़ को घिस कर पीने से मल के साथ गिरने वाले खून में यानी खूनी आव में फायदा होता है।
** कटहल के नए पत्तों को पीस कर स्किन डीजीज यानी चरम रोगों ,दाद ,खाज,खुजली में लगाने से आराम मिलता है।
** कटहल के पेड़ का दूध ग्रंथियों की सूजन पर लगाने से आराम मिलता है ,कच्चे फोड़े पर भी लगा सकते हैं। ये उन्हें जल्दी पका कर मवाद बाहर निकाल देगा।
** इसके बीज खाने से खुल कर पेशाब आता है मगर ज्यादा खाने से कब्जियत भी हो सकती है।
** इसका पका फल पुरुषार्थ बढाता है।
** कटहल के फूलों का चूर्ण मंजन के तौर पर प्रयोग कीजिये ,ये मुंह के घाव में भी फायदा पहुंचाएगा और मसूड़ों में ताकत लाएगा 

** कटहल का फल मिट्टी के नीचे जड़ में भी लगता है ,जिस भाग्यशाली को जड़ में उगा हुआ कटहल मिल जाये  तो समझिये की उसकी 90% बीमारियाँ ख़त्म। ये तन को ताकत देगा,मन को खुश रखेगा,दिल को मजबूत करेगा,पेट की सारी बीमारी ख़त्म करेगा और फेफड़े मजबूत करेगा।


रविवार, 11 नवंबर 2012

हींग बड़े काम की चीज है



यह हींग का पौधा है                  यह पेड़ के तने से निकली हुई राल या हींग 

हींग बड़े काम की चीज है। इसका वैज्ञानिक नाम होता है- Ferula foetida  इसे अंग्रेजी में Asafoetida कहते हैं। दरअसल हींग कोई फल या फूल नहीं होती ,यह तो पेड़ के तने से निकली हुई गोंद  होती है। इसका पेड़ 5 से 9 फीट उंचा होता है। इसके पत्ते 1 से 2 फीट लम्बे होते हैं।
लेकिन ये हींग इतने सारे रोगों में काम आती है कि आपको जानकार आश्चर्य होगा।आइये कुछ महत्वपूर्ण उपयोगों के बारे में जान लीजिये-

** यदि प्रजनन अंगों से सम्बंधित कोई भी बीमारी है तो 3 चुटकी हींग का चूर्ण सेकिये और 3 ही चुटकी इलायची दाने का चूर्ण आग पर सेंक लीजिये और रोगी को दूध में मिला कर पिला दीजिये।

** किसी महिला को अक्सर गर्भपात हो जाता हो तो यही हिंग उसे रोकने में सक्षम होती है।गर्भवती महिला को चक्कर आने पर या दर्द होने पर हींग को घी में सेंक कर तुरंत पानी से निगलवा दीजिये।

** पेट में दर्द हो या कीड़े हों तो 3-4 चुटकी हींग का पाउडर पानी से खाली पेट निगल लीजिये।

** कोई भी नशा विशेषतः अफीम का हो तो 2 ग्राम हींग का चूर्ण दही या पानी में मिला कर पिला दीजिये।

** दांत में दर्द हो रहा हो तो वहाँ घी में तली हुई हींग  दबाइए।

** घाव मे कीड़े पड़  जाएँ तो नीम के पत्तो के साथ हींग पीस का घाव में लगाइए ,कीड़े तो मरेंगे ही घाव जल्दी भरेगा।

** आयुर्वेद में हींग को काफी गुणकारी माना जाता है बस एक सावधानी रखिये की हींग हमेशा घी में ही तली या भुनी जानी चाहिए 

** दाद ,खाज खुजली में हींग को पानी में रगड़ कर लेप कर सकते हैं।

आप सभी को धनतेरस की और दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।







इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा

सोमवार, 24 सितंबर 2012

ये कृष्ण का कदम्ब




.......जो खग हों  तो बसेरो करो मिलि कालिंदी कूल कदम्ब की डारन
       मानुष हो तो वही रसखान ...................

बचपन में तो इसे रटा गया था , अब जब पूजा में कदम्ब के फल या फूल चढ़ाए जाते हैं तो याद आता है कि  क्यों  कृष्ण जी इसके दीवाने थे .

इस कदम्ब का वैज्ञानिक नाम है- Anthocephalus cadamba 
इसमें  अल्केलायद कदम्बाई न o 3, अल्फाडीहाइड्रो कदम्बीन ,ग्लैकोसीड्स एल्केलायद ,आइसो- डीहाइड्रो कदम्बीन , बीटासिटोस्तीराल ,क्लीनोविक एसिड ,पेंतासायक्लीक , ट्रायटार्पेनिक एसिड ,कदम्बाजेनिक एसिड,सेपोनिन ,उत्पत्त तेल, क्वीनारिक एसिड आदि रासायनिक तत्वों की भरमार होती है ,जिनकी वजह से कदम्ब देव वृक्ष की श्रेणी में आता है।

                                                         
इसके तो फूल पत्ते, छाल, फल सभी लाभदायक हैं।
*** बुखार न जा रहा हो तो कदम्ब की छाल का काढा दिन में दो- तीन बार पी लीजिये।
***अगर पत्तों के काढ़े से कुल्ला करेंगे तो मुंह के छाले और दांत की बीमारियों में आराम मिलेगा।
*** बदहजमी हो गयी हो तो कदम्ब की कच्ची कोंपलें 4-5 चबा लीजिये।
*** बदन पर लाल चकत्ते पड़  गये हों तो कदम्ब किई -5 कोंपले सुबह-शाम चबाएं।
*** कदम्ब के फल आपके प्रजनन अंगों को मजबूत करते हैं।
*** खून में कोई कमी आ जाए तो कदम्ब के फल और  पत्तों का 4 ग्राम चूर्ण लगातार एक महीना खा लीजिये।



*** फोड़े- फुंसी और गले के दर्द में कदम्ब के फूल और पत्तों का काढा बनाकर पीजिये।
***महिलाओं को अपने वक्ष -स्थल पुष्ट रखने हैं तो कदम्ब के फूलों की चटनी बनाकर लेप कीजिए।
*** दस्त हों रहे हों तो कदम्ब की छाल का काढा पी लीजिए या छाल का रस 2-2 चम्मच . लेकिन बच्चों को देते समय इस रस में जीरे का चूर्ण एक चुटकी और मिश्री भी मिला लीजिये।
*** आँख में खुजली हो रही है या आँख  आ गयी है तो इसकी छाल का  रस लेप कर लीजिये।
*** सांप के काटने पर इसके फल फूल पत्ते जो भी मिल जाएँ पहले तो पीस कर लेप कीजिए फिर काढा बनाकर पिलाइए।
*** दिल की तकलीफों या नाडी डूबने की हालत में इसका रस 2 चम्मच किसी तरह पिला दीजिये देखिये फिर चमत्कार।

इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा