कुण्डलियाँ : अरविन्द कुमार झा
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मना लो तुम भी होली
*होली में बढ़ती सदा इन चीजों की मांग*
*कपडे खोया साथ में दारू, गांजा, भांग*
*दारू, गांजा,भांग,छान मस्ती में सब ज...
13 वर्ष पहले
7 टिप्पणियां:
क्या यह एस्पैरेगस नहीं है?
घुघूती बासूती
आप का ब्लॉग सचमुच बहुत अच्छा लगा .आपकी सोच कितनी अच्छी है.परहित में आपकी आस्था सराहनीय है. मेरी शुभ कामनाये आपके साथ है.
ईश्वर आपको इस शुभ कार्य में सफलता दे.बधाई !!
जडी-बूटियों का जिसे, 'सलिल' हो गया ज्ञान।
उसका जीवन सत्य ही, हो जाता रस-खान॥
दिव्यनर्मदा पर लिखें, कृपया कुछ आलेख।
जनगण का हित सध सके, हर्षित हों हम देख॥
-दिव्यनर्मदा.ब्लॉगस्पॉट.कॉम
-दिव्यनर्मदा@जीमेल.कॉम
pahala sukh nirogi kya
duja sukh ghar ho maya
teza sukh putr aagyaakari
choutha sukh patani gunvanti
सदीप जी ,यह पूरा मुक्तक इस तरह है --
पहला सुख निरोगी काया
दूजा सुख घर होवे माया
तीजा सुख सुशीला नारी
चौथा सुख सुत आज्ञाकारी
aapke blog par aakar sukh aur swasthya ki anubhooti hui .......
ATYANT AAKARSHAK AUR UPYOGI SAAMGRI K LIYE HARDIK BADHAI
उम्दा प्रयास
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