लौकी इकलौती ऎसी सब्जी है जिसमें दूध के सारे गुण पाए जाते हैं। मराठी और गुजराती में तो इसे दुधी और दुध्या कह कर ही पुकारा जाता है। जैसे दूध ज्यादा पी लेने पर कफ की अधिकता हो जाने से शरीर भारी हो जाता है ठीक वैसे ही ज्यादा लौकी खाने से भी कफ बढ़ जाता है और शरीर भारी हो जाता है। हिन्दी में लौकी ,लौका, लौया, कद्दू, मीठा कद्दू, घीया, मीठी तुम्बी, राम तोरई आदि नामो से इसको पुकारते हैं। संस्कृत में-तुम्बी ,अलाबू या मिष्ट कहते हैं। बंगाली में कोदू,लौऊ कहते हैं। मराठी में भोप्ला भी कहते हैं। अंग्रेजी में व्हाईट पम्पकिन या स्वीट गार्ड और वैज्ञानिक भाषा में-कुकुरबीटा लेजेनेरिया कहा जाता है।
लेकिन इस सबसे सस्ती सब्जी से आप कई सारी मुश्किल बीमारियों का सफलता पूर्वक इलाज कर सकते हैं। देखिये कैसे -------------
** बहुत छोटे बच्चे कभी कभी बुखार की अधिकता में झटका लेने लगते हैं। जिसका ९०% परिणाम यह होता है कि बुखार की गरमी सिर में चढ़ जाने से दिमाग कमजोर हो जाता है और भी कई मुश्किलें आ सकती हैं जैसे बच्चा बेहोश हो सकता है या कोमा में जा सकता है। ऎसी दशा में पहले से सावधान रहिये ,यदि बच्चे को बुखार इतना तेज हो गया है कि कुछ भी खिलने -पिलाने पर उलटी हो जा रही है तो तुरंत लौकी को कद्दूकस करके बच्चे के माथे पर मोटा लेप रखिये ,१०- १० मिनट पर ३ बार बदल दीजिए ,इससे बुखार कि गर्मी मस्तक में नहीं चढेगी। किसी को भी अगर बुखार तेज हो तो जरूर माथे पर लौकी कद्दूकस करके लेप कर दीजिए ,यह बुखार में काफी राहत देती है।
** टी बी या राज यक्ष्मा या क्षय रोग कितनी खतनाक बीमारी है मगर लौकी से ये हार मान जाती है। ताजा लौकी पर जौ के आटे का लेप कीजिए फिर उसे कंडे की आग में भूनिये इतना भूनिये कि पानी रिसने लगे ,अब इसे किसी मुलायम कपडे में रख के निचोड़ लीजिए, यह अमृत रस रोगी को आधा आधा सुबह शाम पिला दीजिए ,अगले दिन फिर नई लौकी के साथ यही काम कीजिए ,एक माह में ही बीमारी खत्म होने के रास्ते पर होगी ,२ माह पिला देंगे तो बिमारी जड़ से खत्म।
** लौकी के ताजा पत्ते पीस कर बवासीर के मस्सों पर लेप करने से मस्से जड़ से खत्म हो जाते हैं और घाव भी भर जाता है।
**गर्भवती महिलाओं के लिए वरदान है लौकी। जिन महिलाओं को अक्सर गर्भ पात हो जाता है वे तो लौकी को कद्दूकस करके उसमे मिश्री मिला कर रोज खाया करें। जिन महिलाओं को सिर्फ लडकियां ही पैदा हो रही हैं वे दूसरे और तीसरे महीने में लौकी कद्दूकस करके मिश्री मिला कर खाएं यदि लौकी में बीज हो तो उसे भी चबा चबा कर कहा लें ,फेंके नहीं। शुरू के तीन -चार महीनो तक लौकी मिश्री खाने से शिशु गोरे रंग का पैदा होगा। इससे महिलाओं को कब्ज भी नहीं होगा , गर्भ का तो पोषण होगा ही। लौकी की सब्जी गर्भस्थ शिशुओ को बहुत फायदा करती है।
**हार्ट पेशेंट को लौकी का हलवा बहुत फायदा करता है या फिर उन्हें लौकी उबाल कर बस जीरा ,हल्दी,धनिया पावडर मिला कर पिलायें।
इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा
कफ वात हरं तिक्तं रोचनं कटुकं लघु
वार्ताकं दीपनं प्रोक्तम् जीर्ण सक्षार पित्तलम्।
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यह सुश्रुत संहिता में लिखा है। इसका अर्थ है कि बैंगन कफनाशक, वातनाशक, तिक्त, रुचिकर, कटु, हल्का और भूख बढ़ाने वाला होता है।
जबकि मैं अक्सर लोगों को बैंगन खाने से मना करती हूँ क्योंकि इससे खुजली ,स्किन डीजीज और कब्ज की बीमारी हो जाती है बैंगन के बीज पित्तकारक होते हैं। बैंगन जितने कोमल होते हैं उतने ही गुणकारी और शक्तिदायक होते हैं। बैंगन का भुर्ता पाचन शक्ति बढ़ाता है।
बैंगन की सब्जी बनाते समय यदि तीन बातों का ध्यान रखिये तो सब्जी आपको फायदा ही करेगी- प्रथम -बैंगन की ढेंप (ताज) भी सब्जी में डाला जाये। द्वितीय - सब्जी में तेल भरपूर मात्रा में हो। तृतीय- सब्जी में हींग जरूर डाली जाए। साथ ही बैंगन की सब्जी केवल ठंड में खाई जाए अर्थात बैगन खाने का उपयुक्त समय दीपावली से होली तक है।
**बुखार से पीड़ित व्यक्ति को बैंगन नहीं खाना चाहिए।
**अनिद्रा के रोगी को भी बैंगन नहीं खाना चाहिए।
**किसी भी दिमागी बिमारी के रोगी को भी बैंगन नहीं खाना चाहिए। (मानसिक तनाव, उन्माद आदि रोग में )
**बवासीर के रोगी को तो कतई बैगन नहीं खाना चाहिए।
** त्वचा रोग ,एलर्जी आदि में भी बैगन नहीं खाना चाहिए।
**एसिडिटी हो तो बैगन की तरफ देखिये भी नहीं।
** गर्भवती महिलायें भी बैगन से परहेज करें।
बैगन की तो कई किस्में पाई जाती हैं लेकिन काले और गोल बैगन जो बीज रहित हों ,सबसे ज्यादा गुणकारी होते हैं। बीज वाले बैगन कभी नहीं खाने चाहिए। ये पित्त बढ़ाते हैं। छोटे छोटे कोमल बैगन पित्त और कफ को दूर करते हैं।
बैगन में विटामिन ए ,बी ,सी ,आयरन, कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन भरपूर पाये जाते हैं।
---यदि लीवर और तिल्ली बढ़ गयी हो तो कोमल बैगन आग में भून कर पुराना गुड मिला कर खाएं, सुबह खाली पेट। एक माह लगातार खाए ,लाभ दिखाई देगा।
---शरीर में हवा का गोला घूमता हुआ सा महसूस होता हो तो बैगन का सूप हींग और लहसुन मिला कर बनाएं और रोजाना पीयें।
---बैगन मूत्रल है। इसकी सब्जी रोजाना खाने से ज्यादा मूत्र होगा और किडनी और मूत्राशय में बनने वाली पथरी गल कर बाहर निकल जाएगी।
---अगर आपको खुल कर भूख नहीं लगती है तो बैंगन और टमाटर का सूप बनाकर लगातार २१ दिन जरूर पीयें ,भूख खुल कर लगने लगेगी।
---आपको नींद नहीं आती है टोबैगन आग में भूनिये ,छिलका उतारिये। बचे हुए गूदे में शहद मिलाकर शाम के समय खा लीजिये। लगातार २१ दिन खाएं। नींद अच्छी और गहरी आयेगी। रक्तचाप सामान्य रहेगा।
---खांसी बहुत ज्यादा परेशान कर रही है तो बैगन को पानी में उबाल कर सूप बनाये फिर इस सूप में हल्दी और मिश्री मिला कर पी जाएँ ,जल्दी आराम मिलेगा।
---बैगन की सब्जी हार्ट को भी मजबूती प्रदान करती है।
---कब्जियत दूर करने के लिए बैगन और पालक का सूप पीजिये ,सेंधा नमक मिला कर।
---आपकी हथेलियाँ और पैर के तलुए पसीने से भीगे रहते हों तो उनपर बैगन का रस मल लीजिये।
---बैगन के बीज पेट के कीड़ों को खत्म करते हैं। बीजो को शहद मिलकर खा लीजिये।
---बवासीर के मस्सो पर बैगन का ढेप पीस कर लगा दीजिये ,अद्भुत आराम मिलेगा।
इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा
सर में चोट लगने की वजह से ८०% लोगो की सूंघने की क्षमता कम हो जाती है या ख़त्म हो जाती है ,४० % लोगो की स्वाद कलिकाएँ प्रभावित होती हैं ,५०% लोग याददाश्त कम हो जाने के शिकार होते हैं ,३५% लोगों की सुनने की क्षमता काम हो जाती है ,२% लोगों की बोलने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है.
इन समस्याओं से लोगो को मुक्ति दिलाने के लिए एक जड़ी पर शोध कर रही हूँ ,६०% कामयाबी मिल चुकी है किन्तु मुझे १००% सकारात्मक परिणाम चाहिए. देखिये अभी कितना समय और धन खर्च होता है।
लेकिन बुजुर्गों से आशीर्वाद की अपेक्षा है और सभी से निवेदन है क़ि मेरी सफलता के लिए ईश्वर से प्रार्थना कीजिए।
जो पाठक गण मुझे निजी तौर पर जानते हैं वे मुझको माफ करें क्योंकि मैं आज आलू खिलाने जा रही हूँ आप लोगों को।
आलू मुझे बेहद पसंद है ,मेरा काम रोटी चावल के बिना चल सकता है मगर आलू के बिना नहीं. बहुतेरी नसीहतें मिली मुझको कि इतना आलू मत खाओ मोटी हो जाओगी .मोटा होना कौन कहे, आज भी वैसी ही दुबली हूँ जैसी २० साल पहले थी.इसलिए अब आप भी मेरी बात मानिए और आज ही से आलू ज्यादा खाना शुरू कर दीजिए.यकीन मानिए बहुत ताकत देता है और आपकी रक्त नलिकाओ को हमेशा लचीला बनाए रखता है जिससे ब्लड प्रेशर नार्मल बना रहेगा और हार्ट अटैक का कोई ख़तरा नहीं होगा .
अगर आप एसिडिटी से त्रस्त हैं तो खूब आलू खाइए ये क्षारीय होता है और गले की जलन में बहुत फायदा पहुंचाता है .डकारें भी कम कर देता है।
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अगर यूरीन में किरीटनीन बढ़ गया है तो आलू का रस निकाल कर पीजिए.आलू का रस नकसीर में और शरीर में कहीं भी रक्तस्राव हो रहा हो तो भी फायदा करता है.कच्चे आलू का रस २-२ चम्मच दिन में चार बार पीजिए.मासपेशियां भी मजबूत होंगी, नाडियाँ भी मजबूत होंगी स्नायूतंत्र की विकृतियाँ दूर होंगी.घमौरी, फुंसी, खुजली जैसे त्वचा रोग भी दूर हो जायेंगे.हृदय की जलन भी कम होती है ,जिनके शरीर में विटामिन बी-१२ नहीं बनता ,उनके लिए तो यह अमृत है. आलू कद्दूकस करके १० मिनट बाद निचोड़ लीजिए, जो पानी निकले वही आलू का रस है ,जो लुगदी बचे उसकी नमकीन भी तल सकते हैं या पराठे में भर सकते हैं.
आलू गुर्दे की पथरी को तोड़ कर गुर्दे की रिपेयरिंग भी करता है। आलू में पोटेशियम होता है,जो पथरी को तोड़ देता है और फिर पथरी बनने नहीं देता ,अतिरिक्त सोडियम की मात्रा को शरीर से बाहर निकाल देता है। आलू ताकत भी देता है और जल्दी पच भी जाता है। आलू में प्रोटीन की बहुत मात्रा पायी जाती है.जो मासपेशियों को भरती है। आलू में पाया जाने वाला ग्लूकोज शरीर को अद्भुत गति प्रदान करता है। और कार्बोहाइड्रेट तो शरीर की टूटी फूटी कोशिकाओं का निर्माण करता ही है।
आलू सौन्दर्यवर्धक भी है। आखों के नीचे काले घेरे हो गए हैं तो रात में आलू का पेस्ट आखों के चारो ओर लगा कर सोयें। आलू आखों के लिए बहुत अच्छा काजल का काम करता है अतः १-२ बूँद रस आँखों में चला जाए तो भी कोई हर्ज नहीं ,आँखों की सफाई होगी, रोशनी बढ़ेगी, मोतियाबिंद का जाला कट जाएगा ,फूला होगा तो वह भी कट जाएगा. एक माह तक पेस्ट लगाने से कितने ही ज्यादा काले घेरे होंगे तो खत्म हो जायेंगे.इस पेस्ट को झाइयों ,झुर्रियों ,दाग ,धब्बे पर भी लगा सकते हैं। पूरे चेहरे पर ही लगाए तो साँवला चेहरा भी गोरा हो जाएगा। धूप से अगर झुलस गया होगा तो वह भी ठीक हो जाएगा।
गठिया या हड्डी के किसी भी तरह के दर्द में भुना हुआ आलू फायदा करता है ,हड्डी बढ़ गयी हो तो आलू भून कर फिर छिलिये और सेंधा नमक तथा काली मिर्च छिड़क के खाते रहिये। ३-४ माह में रोग जड़ से खत्म हो जाएगा ,६ माह भी लग सकते हैं।
हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों को आलू उबालकर खाना चाहिए जिससे उनकी रक्त नलिकाए पर्याप्त लचीली हो जाए तथा बी पी सामान्य बना रहे.
मोटा होने के लिए आलू के रस में शहद मिला कर पीजिए.बच्चों को पिलाइए.
महिलायें आलू खाती रहें तो कमर दर्द से बची रहेंगी।
कुल मिला कर - आलू जिंदाबाद
इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा
जीरा तो हर घर में पाया जाता है ,अधिकाँश गृहिणियों को इसके लाभ की भी जानकारी है, वे सभी इसकी सहायता से बड़े बड़े रोगों पर काबू पा लेती हैं जीरा दो प्रकार का होता है- सफ़ेद जीरा (Cuminum cyminum) जो हम मसाले और छौंकने में प्रयोग करते हैं ,दुसरा काला जीरा (Carum carvi) जो प्रायः औषधीय कार्यों में ही प्रयोग होता है। सफ़ेद जीरा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब में बोया जाता है। सर्दी के अंत में इस पौधे पर फूल और फल आते हैं। जीरे में कार्बोहाइड्रेट ,प्रोटीन, फाइबर ,मिनरल,पेन्टोसोन , कैल्शियम ,फास्पोरस आयरन, विटामिन-ए और सी ,क्यूमिक एल्डीहाइड आदि तत्व पाये जाते हैं।
काला जीरा पर्वतीय फसल है। यह कश्मीर ,कुमायूं ,गढ़वाल ,उत्तरी हिमालय तथा अफगानिस्तान और ईरान में बोया जाता है। इसमें एक तेल होने के कारण इसकी गंध बहुत तीखी होती है।
जीरा सौंदर्य बढता है। जीरा उबाल कर उस पानी से रोजाना मुख धुलिये। चेहरा खिल उठेगा।
जीरा दूध बढ़ाता है। खीर में मेवे की जगह १ चम्म्च जीरा डालिये। ये खीर खाने से दूध बढ़ जाएगा।
जीरा गहरी नींद लाता है। सोते समय भून कर पिसे हुए जीरे के चूर्ण को गरम दूध से फांक लीजिये ,लगभग ४ ग्राम ,देखिये कितनी अच्छी नींद आती है।
आपको ब्लड -प्रेशर भी है, एसिडिटी भी है, भूख भी नहीं लगती तो जीरे की शरण में जाइये। १०० ग्राम जीरा २५ ग्राम काली मिर्च और १२५ ग्राम मिश्री या बूरा मिला कर पीस लीजिये ,१-१ चम्म्च पानी से निगल लीजिये सुबह शाम दोनों समय। कम से कम १ माह तक लगातार।
जीरा कैंसर से बचाता है ,हर हाल में दोनों समय जीरा भोजन में प्रयोग कीजिये।
जीरा हीमोग्लोबिन भी बढ़ाता है और प्रतिरोधक क्षमता भी।
जीरा हमारी त्वचा का सबसे अच्छा दोस्त है। जीरे का पतला पेस्ट तैयार कीजिये ,इस पेस्ट को साबुन की तरह पुरे बदन पर खूब मलिए। फिर सादे पानी से बिना साबुन के नहा लीजिये। सप्ताह में कम से कम एक बार इस क्रिया को करते रहने से स्किन डिजीज आपसे कोसों दूर रहेगी।
जीरा मुंह की बदबू भी दूर करता है। भुने हुए जीरे को चबा-चबाकर चूसिये।
खट्टी डकारें आ रही हो तो भुने हुए जीरे के चूर्ण में सेंधा नमक मिलाकर गर्म पानी से निगलिये ,एक-एक घंटे के अंतराल पर ३ बार लेना काफी होगा। पेट हल्का हो जाएगा।
जीरा उल्टियां भी रोकता है। २ ग्राम जीरे के चूर्ण को एक गिलास पानी में डालिये ,स्वाद केअनुसार सेंधा नमक और नीबू मिलाइये और पी लीजिये ,तुरंत उलटी रुक जायेगी।
पेट में बहुत तेज दर्द हो रहा हो तो २-३ ग्राम जीरे का चूर्ण शहद मिलाकर चाट लीजिये ,१० मिनट में ही दर्द गायब हो जाएगा।
जीरा पेट के कीड़े भी मारता है। २ ग्राम भुने हुए जीरे का चूर्ण शहद में मिलाकर सुबह खाली पेट चटाइए। कीड़े मल के साथ बाहर निकल जायेंगे।
जीरे से एक पाचक चूर्ण आप घर में बनाकर रखिये-जीरा सौंफ धनिया ५०-५० ग्राम लीजिये और भून लीजिये फिर इसमें ५० ग्राम अनारदाना ,२५ ग्राम काला नमक, १० ग्राम सेंधा नमक मिलाइये और सबके वजन के बराबर चीनी मिलाइये। एक साथ महीन पीस लीजिये अब इस मिश्रण में ३ नीबू का रस मिला दीजिये। तैयार हो गया पाचक चूर्ण। सुबह शाम १-१ चम्म्च खाइये या आवश्यकतानुसार खाइये।
जीरे से मंजन भी बनता है जो मसूड़ा सूज जाए तो बहुत काम आता है। २० ग्राम जीरा भून लीजिये उसमे २० ग्राम सेंधा नमक मिलाइये और महीन पीस लीजिये ,अब इससे मंजन करिये दांत मजबूत होंगे ,मसूड़ों की सूजन ख़त्म होगी। १०० तरह के पेस्ट पर यह अकेला मंजन भारी है।
जीरा गर्भवती नारी के लिए वरदान है। गर्भ के दौरान कब्ज होती है ,जिसकी वजह से बवासीर हो जाना आम बात है। कभी कभी खूनी बवासीर भी हो जाती है। ऎसी दशा में १-१ चम्म्च जीरा ,सौंफ और धनिया लीजिये रात में भीगा दीजिये एक गिलास पानी में। सवेरे इस पानी को उबालिये और आधा पानी जल जाय तो एक चम्म्च देशी घी मिलाकर पी लीजिये। यह काम सुबह शाम ५ दिनों तक कीजिये। बस रोग ख़त्म।
कालाजीरा हार्ट अटैक के खतरे को ख़त्म कर देता है। २-२ ग्राम काले जीरे का पाउडर शहद में मिलाकर सुबह शाम चाटिये।
काले जीरे को पानी में उबालकर उस पानी में बैठ जाइये तो खूनी बवासीर, और गर्भाशय और योनि की खुजली तीनो में फायदा मिलेगा।
नवजात शिशु के मर जाने पर माता के स्तनों का दूध सुखाने के लिए काले जीरे को पानी में पीस कर लेप कर देना चाहिए ,अन्यथा या तो दूध बहता रहेगा या स्तनो में ही एकत्र होकर गांठ का रूप ले लेगा।
जहरीले बिच्छू आदि के काटने पर जीरे के चूर्ण और नमक को बराबर मात्रा में मिला कर फिर उसमे घी मिलाकर मलहम बनाइये और काटे हुए स्थल पर लेप कर दीजिये। जहर उतर जायेगा।
बहुत पुराना बुखार हो या मलेरिया हो ,काले जीरे का २-३ ग्राम पाउडर गुड मिला कर खा लीजिये। सुबह दोपहर शाम तीन बार ,बुखार गायब।
इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा
ये मटर है ,आजकल इसका मौसम भी है। वैसे तो फ्रोजन मटर और सूखी मटर साल भर मिलती है लेकिन अगर आप किसी खाद्यान्न के समस्त गुणों का उपयोग करना चाहें तो उस खाद्यान्न को उसके मौसम में भरपूर खाइये। बेमौसम की चीजें बीमारियां पैदा कर देती हैं क्योंकि हमारे शरीर में बेमौसम की चीजों को पचाने के लिए उचित रस का स्राव नहीं होता।
आजकल तो पूर्वोत्तर भारत में कोई दिन बिना मटर खाये नहीं जाता होगा ,किसी भी परिवार का। अमीर हो या गरीब। मटर तो पुलाव का बहुत महत्वपूर्ण अंग है। फिर मटर पनीर के क्या कहने। चाट की कल्पना बिना मटर के तो हो ही नहीं सकती ,आजकल तो समोसे में भी मटर पाई जाती है। मटर की दाल सस्ती होने के कारण पूर्वी उत्तर प्रदेश के ९०% घरों में मटर की ही दाल खायी जाती है।
इस मटर का वैज्ञानिक नाम है Pisum sativum. मटर की लताएँ होती हैं। मटर में ५४%कार्बो हाइड्रेट और २४%प्रोटीन पाया जाता है। इसमें आयरन, फास्पोरस, फ़ैट, फाइबर, भस्म, ट्राइगोनेल्लीन आदि तत्व पाये जाते हैं।
मटर खाने से दो बहुत बड़े नुक्सान होते हैं। आप अगर इन नुकसानों से खुद को बचा सकें तो भरपूर मटर खाइये अन्यथा संभल जाइये। पहला नुक्सान है- पौरुष हारमोन का निष्क्रिय होना। इसके तेल में लैंगिक हारमोन विरोधी गुण पाया जाता है जो पुरुष को बाँझ बना देता है। जो नारियां मटर ज्यादा खाएंगी वो लड़की ज्यादा पैदा करेंगी ,उन्हें लड़का मुश्किल से ही पैदा होगा। कारण कि मटर भ्रूण बनते समय पौरुष हारमोन को निष्क्रिय कर देती है। दूसरा नुक्सान है -गैस बनना अर्थात शरीर में वायु दोष उत्पन्न हो जाना, अनावश्यक डकार आना ,कब्जियत रहना ,पेट फूलना आदि।
अगर आपका शरीर इन दो नुक्सान को बर्दाश्त कर सकता है तो बिंदास मटर खाइये।
लेकिन इस मटर में गुण भी होते हैं -यह कफ और पित्त के दोषों को शांत भी करती है। कच्ची मटर खाने से कब्ज नहीं होती।
मटर का प्रयोग सौंदर्य निखारने के लिए कीजिये। मटर उबाल कर पीस कर शरीर पर उबटन लगाएं ,रंग निखार जाएगा ,उसमे एक चुटकी हल्दी पाउडर मिला लीजिये तो स्किन हेल्दी भी हो जायेगी।
मटर खाने से मोटापा बढ़ता है ,यह खून और मज्जा दोनों बढ़ाती है ,इसलिए मोटे व्यक्ति मटर से परहेज करें।
मटर स्त्रियो के लिए कभी कभी अमृत बन जाती है। अगर नवजात के लिए दूध न उतर रहा हो तो खूब हरी मटर खाएं ,बच्चा छक कर दूध पियेगा। अगर नारी को पीरियड में रुकावट आ रही है तो मटर खाएं रुकावट दूर हो जायेगी।
पैर के तलुओं में या पेट में या माथे में अर्थात शरीर में कहीं भी जलन हो रही हो तो हरी मटर पीस कर लेप कर दीजिये।
मैंने अक्सर ठंड के मौसम में कुछ लोगो की अंगुलियाँ सूजते हुए देखी हैं।
ऎसी दशा में हरी मटर उबाल कर उसके पानी में एक चम्म्च तिल का तेल मिला दीजिये और सूजे हुए हाथ या पैर की अंगुलियां इसी पानी में डलवाइए। सूजन उतर जायेगी और दर्द भी ख़त्म।
इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व किसी मान्यताप्राप्त हकीम या वैद्य से सलाह लेना आपके हित में उचित होगा