पुष्ट देह बलवान भुजाएं रूखा चेहरा ,लाल मगर
लोगे या लोगे पिचके गाल ,संवारी मांग सुघर ?
यह प्रश्न आपसे किया जाए तो निश्चित ही आप पुष्ट देह और बलवान भुजाएं ही लेना चाहेंगे। लेकिन यह तभी संभव होगा जब आपके शरीर में वीर्य का निरंतर निर्माण होता रहे। आज के इस दौर में हमें ऐसा तरोताजा भोजन मिलता ही नहीं जिससे शरीर में पर्याप्त मात्रा में वीर्य निर्माण हो सके।आज के इस प्रगतिशीलता के दौर में तनाव और रेडिएशन भी वीर्य निर्माण की प्रक्रिया को बाधित करते हैं। दिन भर बस,ऑटोरिक्शा ,ट्रेन आदि की यात्रा और समय पर गंतव्य तक न पहुँचने का तनाव मनुष्य की आधी शक्ति निचोड़ लेता है। हर शहर में जाम लगता ही है। जाम में फंसे लोगो का अगर ब्लड प्रेशर और हार्ट बीट नाप ली जाए तो डाक्टर सबको तुरंत I C U में भर्ती कर देंगे। यह अवस्था भी वीर्य का नाश करती है।
इससे भी बड़ा एक और दुश्मन है जो हर कदम पर मौजूद है --मोबाइल और मोबाइल टावर , घरों में फ्रीज ,ओवन, ए सी आदि से निकलने वाला रेडिएशन , ये सब भी महिलाओं और पुरुषों की जीवनी शक्ति क्षीण करते हैं। रेडिएशन की वजह से गर्भस्थ शिशुओं में भी विकृति आ जाती है।
यही नहीं जब किशोरावस्था में शरीर में वीर्य निर्माण शुरू होता है तो उसे संचित करने की बजाय युवा उसका दुरूपयोग शुरू कर देते हैं। हस्त-मैथुन तथा अन्य क्रियाओं द्वारा उसे नष्ट करने पर तुल जाते हैं। लड़कों में २१ वर्ष की उम्र लग जाती है वीर्य को पकने और पुष्ट होने में। लेकिन उसे कच्ची हालत में ही युवा दुरूपयोग करने लगते हैं वह पक नहीं पाता। इसका नतीजा निम्न बीमारियों के रूप में सामने आता है ---
***शरीर में भोजन नहीं लगता, भले ही आप कोई अमृत खा लीजिये।
***इम्युनिटी कमजोर हो जाती है।
***बुढ़ापा जल्दी घेर लेता है।
***कमर में दर्द बना रहता है।
***कामेच्छा ख़त्म हो जाती है। (पुरुषों और नारियों दोनों में )
***पेट के रोग हो जाते हैं और बाल सफ़ेद हो कर झड़ने लगते हैं।
***चेहरे और बदन की रौनक ख़त्म हो जाती है।
***मौसम चेंज होते ही आप बीमार पड़ जाते हैं।
***लिंग छोटा या टेढ़ा हो जाता है।
***युवावस्था में यौवन का भरपूर आनंद आप नहीं उठा पाते।
****लड़कियों में अनियमित मासिक स्राव तथा फेलोपियन ट्यूब में इन्फेक्शन की प्राब्लम जाती है।
***संतानोत्पत्ति में परेशानी आती है क्योंकि शुक्राणुओं की संख्या और गति दोनों ही कम होती है।
****अगर किसी तरह संतान हो भी गयी तो वह किसी न किसी बीमारी से दुखी रहती है।
सोचिये किशोरावस्था का थोड़ा सा सुख आपको कितना महँगा पड़ता है। क्योंकि बस यही आपके हाथ में होता है। तनाव और इलेक्ट्रिक और मैग्नेटिक रेडिएशन पर आप कंट्रोल नहीं कर सकते क्योंकि वह ज़िंदगी का हिस्सा बन चुके हैं।
आयुर्वेद में ही इसका सटीक उपचार है।
स्त्री और पुरुषों के लिए निर्गुण्डी रसायन तो हमने बनाने की विधि पिछली पोस्टों में लिखी ही है। इसके अतिरिक्त कुछ और दिव्य औषधियां हैं जिसकी पूर्ण जानकारी आप हमसे ले सकते हैं। यह दवाएं ऎसी नहीं होती कि सभी जगह आसानी से मिल जाएँ। किन्तु फिर भी मुझ जैसे कुछ अन्वेषी खोज ही लेते हैं।
पुरुषों के लिए एक ख़ास घी, तेल तथा महिलाओं के लिए एक अवलेह निरंतर वीर्य निर्माण की क्रिया को गति प्रदान कर देता है।
पत्थर सी हों मांसपेशियां, लोहे से भुजदंड अभय
नस -नस में हो लहर आग की तभी जवानी पाती जय।
आइये अपने शरीर में पुनः वीर्य निर्माण करें।
आप किसी जिज्ञासा के लिए मुझे फोन कर सकते हैं- ९८८९४७८०८४, 8604992545